यूपी विधानसभा चुनाव 2017 : चाय की प्याली में भविष्य की सरकार
लड़ाई सपा और भाजपा में है, यह कहते हुए राममूर्ति मिश्र खड़े हो जाते हैं। कुल मिलाकर भाजपा टॉप पर है।
आशुतोष तिवारी, इलाहाबाद। अरे का हो बाबू साब, इधर आइए। अपने घर के सामने धूप का आनंद ले रहे ठा. जयनरायन सिंह, सुरेंद्र पाठक के घर की तरफ चल देते हैं। वहां पहले से महफिल जमी थी और कहकहे अपनी रंगत पर थे। चाय की चुस्कियों के बीच ताजी होती पुरानी दास्तान। अल्लापुर स्थित बाघम्बरी हाउसिंग स्कीम में सुरेंद्र पाठक के घर पर विधानसभा चुनाव 2017 पर बहस पूरे रौ में थी। यूं तो इनके यहां ऐसा जमावड़ा आम है, लेकिन मंगलवार को कुछ खास था। शहर उत्तरी में इस बार कौन जीतेगा -मुद्दे से शुरू हुई बहस प्रदेश में किसकी बारी तक आकर हमलावर हो चुकी थी।
सबको बीच में टोकते हुए रिटायर्ड एनएससी अधिकारी चंद्रकांत शुक्ला, देखो भाई मुश्किल सबसे बड़ी इ है कि चोर तो अधिकांश प्रत्याशी हैं। अब इन सभी का विरोध भी ठीक नहीं, लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए दिमाग से काम लेना होगा। कैसे किया जाए? तपाक से ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण दुबे ने सुझाव दे डाला, जो इनमें से सबसे कम चोर हो, उसको मौका दिया जाए। सुन लो, छोटी-छोटी बात में रह जाना अब बिल्कुल बेवकूफी होगी। इ पर एक पंक्ति भी सुन लो भाई लोग--‘‘मन जब भूत-भविष्य में हो, तब वर्तमान को देखो। मन जब लघु में भटक रहा हो, तब महान को देखो।’’ वाह रे ज्योतिषाचार्य जी, कह गए आप..। यह पंक्ति कुछ और आगे जाकर मोड़ लेती कि एडवोकेट अशोक श्रीवास्तव जंप कर गए, बोले हमको एक बात साफ करिए कि सरकार किसकी बननी चाहिए, सीधे मुद्दे पर आइए। हम बताते हैं कि सरकार किसकी बननी चाहिए, यह कहने के साथ ही एडवोकेट संजीव पांडेय ने राय की जगह फरमान सुना डाला-एक बार फिर अखिलेश की सरकार बननी चाहिए।
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इलाहाबाद शहर स्मार्ट बन जाएगा। तमक कर प्रदीप पाठक बोले..कैसे भइया? एक बार फिर गुंडन की सरकार बनेगी का। संजीव-अच्छा तो फिर कौन गुंडा नहीं है बताइये जरा..। प्रदीप ने भाजपा बता हाथ खड़ा कर लिया, मानों सबसे समर्थन हासिल करने का मौका तलाश लिया हो। संजीव पांडेय-भाजपा के शीर्ष नेताओं के ऊपर कितने मार-काट के इल्जाम हैं, हैं न, गुजरात दंगा का हाल तो किसी से छिपा नहीं.क्यूं भाई..? अब प्रदीप पाठक हमलावर हुए, एक बात साफ कर दें संजीव, यहां दर्शन दो तरह का है। एक पूरी पार्टी अपराधियों की है, दूसरी एक पार्टी में कुछ अपराधी हैं, समझ गए न..। संजीव कुछ कहते, इससे पहले कपड़ा व्यवसायी प्रेमचंद्र पांडेय बीच-बचाव की मुद्रा में, सुनो भाई आपस में इस तरह लड़ना ठीक नहीं। हमें पहले अपनी मानसिकता परिवर्तित करनी होगी। दिखायी पड़ने वाला वर्तमान परिदृश्य तो कुल मिलाकर यही है-कांग्रेस का पंजा सपा की साइकिल से जा चिपका है। यानि सपा से भाजपा की फाइट है और बसपा आउट आफ फाइट है।
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आपका मतलब कि लड़ाई सपा और भाजपा में है, यह कहते हुए राममूर्ति मिश्र खड़े हो जाते हैं। कुल मिलाकर भाजपा टॉप पर है। ज्योतिषाचार्य उन्हें टोक देते हैं--मिसिर जी, लगता है कि आप बहुत दिनन से गांव नहीं गए, उधर बसपा का टेंपो हाई है.महराज। आप कास्ट फैक्टर को नजरअंदाज नहीं कर सकते, उनका एक-एक वोट पड़ता है, हमारे-आपके की तरह घर में आराम नहीं फरमाता। अब आप समझ गए होंगे..। रिटायर्ड डिप्टी एसपी मरकडेय सिंह-यानि मर्म यही है कि समझदारी से मतदान किया जाए, अच्छे व्यक्ति का चुनाव करना होगा। अरे डिप्टी साब, फिर देर किस बात की-भाजपा को करिए वोट। यह कहते हुए सेना के रिटायर्ड मास्टर वारंट अफसर विमलचंद्र श्रीवास्तव उठ खड़े होते हैं, भाई सभा समाप्त करिए और भी काम करने हैं।
अरे, सुनते जाइए श्रीवास्तव जी, इ वही भाजपा है ना कि अपना पैसा तक बैंक से नहीं निकाल सके। बेटे की शादी थी और मैं बैंक से अपना पैसा नहीं निकाल पाया था। अरे हिटलरशाही ज्यादा नहीं चलने वाली, ठा.जयनारायन सिंह की इस बात पर बहस फिर से गरम होने लगी। सहसा ज्योतिषाचार्य जी आंखें बंद करके खड़े हो जाते हैं-वहां बैठे लोग दम साधे उनकी तरफ टुकुर-टुकुर देखने लगते हैं, न जाने कौन सी आकाशवाणी होने वाली हो। ज्योतिषाचार्य जी ने कविता के रूप में उड़ेल दी अपने मन की बात- ‘कोउ हाल मस्त कोई चाल मस्त, कोउ मैना, तीतर-सुए में। कोई खान मस्त पहिरान मस्त, कोई राग-रागिनी धुएं में। कोउ अमल मस्त, कोई रमल मस्त। कोई शतरंज, चौपड़ जुए में। खुद इक मस्ती बिन और मस्त सब पड़े अविद्या कुएं में।’ वाह-वाह, वाह-वाह की तारीफ के साथ दूसरे दिन के चौपाल का समय निर्धारित कर सभी अंगड़ाई लेते हुए खड़े हो लेते हैं।