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Lok Sabha Election 2024: अधिकारी परिवार के गढ़ पर कब्जा करना चाहेगी तृणमूल, कांटे की टक्कर में किसकी होगी जीत?

West Bengal Lok Sabha Election 2024 बंगाल की कांथी लोकसभा सीट पर भी रोचक चुनावी लड़ाई है। यहां पर एक सवाल बड़ी गहराई से पूछा जाता है कि राजनीतिक प्रभाव का अस्तित्व अधिकारी परिवार के करिश्मे से है या शासक दल के आभा मंडल से। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर हाल में इस सीट पर कब्जा करना चाहती है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Fri, 24 May 2024 05:07 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2024 05:07 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: ममता बनर्जी हर हाल में इस सीट पर कब्जा करना चाहती है।

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। पूर्व मेदिनीपुर जिला अंतर्गत कांथी लोकसभा क्षेत्र मुख्य रूप से धान, पान, काजू और मछली के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां राजनीतिक फसल भी खूब काटी जाती है। एक सवाल बड़ी गहराई से पूछा जाता है कि कांथी में राजनीतिक प्रभाव का अस्तित्व अधिकारी परिवार के करिश्मे से है या शासक दल के आभा मंडल से। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर हाल में इस सीट पर कब्जा करना चाहती है।

ममता को दे रहे चुनौती

विधानसभा में विरोधी दल के भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी जो पहले तृणमूल कांग्रेस में थे वह लगातार ममता को चुनौती दे रहे हैं। वह इस चुनाव में ममता को अपना दम दिखाना चाहते हैं। पूर्व मेदिनीपुर जिले का कांथी संसदीय क्षेत्र शुरू से ही राजनीतिक दृष्टि से काफी संवेदनशील माना जाता है।

सात विधानसभा क्षेत्रों वाली इस संसदीय सीट पर 2009 से तृणमूल का कब्जा है। इसके पहले यह माकपा के दखल में रहा। 2009 में इस सीट से चुनाव जीतकर तृणमूल के शिशिर अधिकारी केंद्रीय पंचायत राज्य मंत्री बने। 2014 में भी उन्हें इस सीट से कामयाबी मिली।

कृषि प्रधान क्षेत्र

यह संसदीय क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि प्रधान है। इसी के साथ समुद्री क्षेत्र होने से मत्स्यजीवी भी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं। लिहाजा चुनावी मुद्दे इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमते हैं। 2014 में हुए पिछले संसदीय चुनाव में इस सीट पर तृणमूल के शिशिर अधिकारी को 52.80 की दर से कुल 6,76,749 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे माकपा के तापस सिन्हा को 4,48,259 वोट मिले थे। इस लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल कृषि व मत्स्य पालन के क्षेत्र में किए गए कार्यों का श्रेय लेना चाहेगा।

अधिकारी परिवार का गढ़

कम्युनिस्टों के स्वर्ण काल में 1989 से 1998 तक इस क्षेत्र पर माकपा का कब्जा रहा और सुधीर गिरि यहां से सांसद निर्वाचित होते रहे। 1999 में पहली बार तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर नीतीश सेनगुप्ता इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए, जिसके कर्णधार 2009 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे सांसद शिशिर अधिकारी माने गए।

2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में भी वे इस सीट से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर ही वह निर्वाचित हुए थे, लेकिन इसके बाद से ही उनकी और उनके परिवार की टीएमसी से दूरी बढ़ती गई। फिलहाल उनका पूरा परिवार टीएमसी से निकलकर बीजेपी में जा चुका है।

इनके बीच है मुख्य मुकाबला

इस बार इस सीट पर मुकाबला उत्तम बारिक (तृणमूल कांग्रेस ),सौमेन्दु अधिकारी (भाजपा), वाम समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार-उर्वशी बनर्जी और एसयूसीआई उम्मीदवार मानस प्रधान के बीच है। हालांकि इस बार का चुनाव स्थानीय अधिकारी परिवार के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि चुनाव परिणाम इस सवाल का जवाब होगा कि कांथी के अधिकारी परिवार का राजनीतिक प्रभाव शासक दल टीएमसी की वजह से था या उनके अपने करिश्मे से। ऐसे में सीधी लड़ाई भाजपा और टीएमसी के बीच मानी जा रही है।

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वर्ष 2019 का चुनाव परिणाम

2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 1660147 मतदाता थे। उस चुनाव में तृणमूल में रहे शिशिर अधिकारी की जीत हुई थी। उन्हें 711872 वोट हासिल हुए थे। शिशिर अधिकारी को लोकसभा सीट में मौजूद कुल मतदाताओं में से 42.88 प्रतिशत का समर्थन प्राप्त हुआ था। तब भाजपा प्रत्याशी डॉ. देबाशीष सामंता दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 600204 वोट मिले थे, जो संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में से 36.15 प्रतिशत है। दोनों के बीच जीत का अंतर 111668 वोट रहा था।

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