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भाजपा की हारने वाली सीटों पर कमजोर कड़ियों की पड़ताल, शोध टीम ने शुरू किया काम

भाजपा की परदे के पीछे काम करने वाली टीम उत्तर प्रदेश की उन सीटों की समीक्षा में जुट गई है जहां पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 28 May 2019 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 10:33 AM (IST)
भाजपा की हारने वाली सीटों पर कमजोर कड़ियों की पड़ताल, शोध टीम ने शुरू किया काम
भाजपा की हारने वाली सीटों पर कमजोर कड़ियों की पड़ताल, शोध टीम ने शुरू किया काम

लखनऊ [आनन्द राय]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 30 मई को दिल्ली में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के चलते भाजपा के पदाधिकारी और शीर्ष नेताओं की सक्रियता अभी दिल्ली में बढ़ी है, लेकिन परदे के पीछे काम करने वाली टीम उन सीटों की समीक्षा में जुट गई है जहां पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी की शोध टीम ने यहां कमजोर कड़ियों की पड़ताल शुरू कर दी है। 

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प्रदेश में रायबरेली समेत 16 सीटों पर भाजपा को शिकस्त मिली है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह एक लाख 67 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए हैं। सोनिया की जीत का आंकड़ा कम होने से अमेठी सीट जीतने की खुशी बढ़ गई है, लेकिन पार्टी ने अब रायबरेली पर भी निगाह गड़ा दी है। वोट के लिहाज से मजबूत और कमजोर बूथों की सूची बननी शुरू हो गई है।

श्रावस्ती सीट पर दद्दन मिश्र को भाजपा ने दोबारा मौका दिया था लेकिन, इस बार वह मात्र 5320 मतों से पराजित हो गए। दद्दन मिश्र सबसे कम मतों से चुनाव हारने वाले उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद हैं। इसके बाद सहारनपुर में राघव लखनपाल की हार है जिन्हें मात्र 22417 मतों के चलते संसद में दोबारा पहुंचने का मौका नहीं मिला। अमरोहा में कंवर सिंह तंवर को 63248, बिजनौर में कुंवर भारतेंदु सिंह 69941, जौनपुर में केपी सिंह 80936, मुरादाबाद में सर्वेश सिंह 97878, लालगंज में नीलम सोनकर 161597, घोसी में हरिनारायण राजभर 122568, गाजीपुर में 119392, नगीना में यशवंत सिंह 166832 मतों से पराजित हुए हैं।

इन सभी निवर्तमान सांसदों के सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती थी लेकिन, मोदी लहर के बावजूद इन्हें पराजित होना पड़ा। भाजपा बूथवार पड़े मतों के अवलोकन के साथ ही जातीय समीकरण का भी अध्ययन करने में जुट गई है। मैनपुरी में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ पार्टी ने अपने 2014 के उम्मीदवार प्रेम शाक्य पर ही दांव लगाया और शाक्य ने उनकी जीत का अंतर काफी कम कर दिया। मुलायम सिंह 94389 मतों से ही जीत सके। पार्टी ने ऐसे सभी क्षेत्रों में भितरघात, विद्रोह के साथ संगठन की कमजोरी और जातीय समीकरण का भी अध्ययन कर रही है।

उम्मीदवार बदलने का नुस्खा कारगर नहीं

अंबेडकरनगर, रामपुर, आजमगढ़ और संभल में पार्टी ने अपने पिछले उम्मीदवार बदल दिए। पर, यह दांव काम न आया। किन बूथों पर हार हुई और सामाजिक समीकरण साधने के लिए संभावनाओं का आकलन शुरू हो गया है। अंबेडकरनगर में प्रदेश सरकार के मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा 95880 मतों से पराजित हुए हैं। योगी सरकार के तीन मंत्रियों ने चुनाव जीत लिया लेकिन, अकेले मुकुट बिहारी हार गये। आजमगढ़ में सिने स्टार दिनेश लाल उर्फ निरहुआ और रामपुर में सिने अभिनेत्री जयाप्रदा को सीट गंवानी पड़ी।

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