उप्र से जीते सांसदों में से 56 फीसद पर आपराधिक और गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज
संसद में सबसे अधिक भागीदारी वाले उप्र ने इस बार पिछले लोकसभा चुनाव से भी अधिक आपराधिक प्रवृत्ति वाले प्रत्याशियों को दिल्ली पहुंचाया है।
लखनऊ, जेएनएन। संसद में सबसे अधिक भागीदारी वाले उप्र ने इस बार पिछले लोकसभा चुनाव से भी अधिक आपराधिक प्रवृत्ति वाले प्रत्याशियों को दिल्ली पहुंचाया है। चुनाव आयोग द्वारा बनाई गई शपथ पत्र की व्यवस्था ने इस हकीकत को बेपर्दा कर दिया है कि उप्र से जीतकर संसद पहुंचे सांसदों में से 56 फीसद पर आपराधिक और गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। करोड़पति प्रत्याशी भी मतदाताओं ने बांहें खोलकर गले लगाए हैं।
निर्वाचन आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव में यह व्यवस्था सख्त कर दी थी कि प्रत्याशियों को अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मुकदमों का उल्लेख करते हुए शपथ पत्र देने होंगे। चुनाव नतीजे आने के बाद एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने उन शपथ पत्रों का विश्लेषण किया है। इससे निष्कर्ष निकला है कि 17वीं लोकसभा में पिछली बार की तुलना में आपराधिक प्रवृत्ति के सांसद कहीं अधिक संख्या में पहुंचे हैं। इस बार 44 (56 फीसद) सांसदों के द्वारा अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए गए हैं, जबकि 2014 में 80 में से 28 (35 फीसद) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे।
यही नहीं, गंभीर आपराधिक मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। 37 (47 फीसद) सांसदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 2014 में यह आंकड़ा महज 22 (28 फीसद) ही था। आपराधिक मामलों में पहले नंबर पर रामपुर सीट से जीते सपा सांसद आजम खां, दूसरे पर घोषी के बसपा सांसद अतुल कुमार सिंह और तीसरे स्थान पर उन्नाव से विजयी हुए भाजपा सांसद स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी हैं। यह अध्ययन 80 में से 79 सांसदों के शपथ पत्र का है, क्योंकि अकबरपुर सांसद देवेंद्र सिंह भोले का शपथ पत्र स्पष्ट नहीं था।
करोड़पति हैं 98 फीसद सांसद
शपथ पत्रों के मुताबिक, अध्ययन में शामिल 79 में से 77 (98 फीसद) सांसद करोड़पति हैं, जबकि पिछले आम चुनाव में 80 में से 68 (85 फीसद) सांसद ही इस श्रेणी में थे। करोड़पति सांसदों की सूची में पहले स्थान पर मथुरा की भाजपा सांसद हेमा मालिनी, दूसरे पायदान पर बसपा के बिजनौर सांसद मलूक नागर और तीसरे क्रम पर भाजपा के टिकट पर झांसी लोकसभा सीट से जीते उद्योगपति अनुराग शर्मा हैं। 17वीं लोकसभा में उप्र से जीतने वाले सांसदों की औसतन संपत्ति 18.5 करोड़ है।
युवाओं से ज्यादा उम्रदराजों को तरजीह
भारत को भले ही सबसे युवा देश की संज्ञा दी जाती हो लेकिन, 17वीं लोकसभा की तस्वीर इससे हटकर है। दरअसल, 25 से 50 वर्ष की आयु के महज 27 (34 फीसद) सांसद ही जीते हैं, जबकि 51 से 80 वर्ष वालों की संख्या 51 (65 फीसद) है। एक सांसद ने तो अपनी उम्र 80 वर्ष से भी अधिक घोषित की है। इसके अलावा महिला सांसद मात्र 10 (13 फीसद) हैं।
शिक्षा की यह स्थिति
- 8वीं से 12वीं तक पढ़े- 16 (20 फीसद)
- स्नातक - 61 (77 फीसद)
संपत्ति में पीएम मोदी 60वें स्थान पर
उप्र से जीते सांसदों के विवरण में एक और खास बात निकलकर सामने आई है। तीन बार गुजरात जैसे संपन्न राज्य के मुख्यमंत्री और पांच साल प्रधानमंत्री रह चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अधिक संपत्ति तो उनके कार्यकर्ताओं के पास है। संपत्ति के मामले में प्रधानमंत्री मोदी 60वें स्थान पर हैं, जबकि उन्हीं की पार्टी की सांसद एवं अभिनेत्री हेमा मालिनी शीर्ष पर हैं। पांचवें स्थान पर मेनका गांधी तो आठवें स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का नाम है। वहीं, घोषित संपत्ति में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी 24वें स्थान पर हैं।
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