Lok Sabha Election 2019 : एक बोगी में आए, एक कमरे में ठहरे लेकिन प्रचार अलग-अलग
1967 में लोकसभा के इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र के चुनाव में महाराष्ट्र से राजनीतिज्ञ व साथी एसएम जोशी और एसके पाटिल साथ आए साथ रुके थे। हालांकि दो अलग प्रत्याशियों का समर्थन किया।
प्रयागराज : तब और अब के चुनाव में काफी अंतर आ गया है। उस समय पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किसी प्रत्याशी के समर्थन में लोग लगे रहते थे। भले ही वह एक अच्छे साथी हों और अलग-अलग प्रत्याशियों का समर्थन करते समय उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता था। यहां हम बात दो दिग्गज नेताओं की हम करेंगे।
चौथे लोेकसभा चुनाव से संबंधित मामला
बात पांच दशक पुरानी चौथे लोकसभा चुनाव की है। जब दो दोस्त एक ही ट्रेन की एक बोगी में सवार होकर मायानगरी (मुंबई) से संगमनगरी आए थे। दोनों दोस्त एक ही होटल के एक कमरे में ठहरे भी। सुबह का नाश्ता भी साथ किया। बस यहां से दोनों अलग-अलग प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार के लिए निकल गए। एक ने कांग्रेस उम्मीदवार तो दूसरे ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) प्रत्याशी के पक्ष में वोट मांगे।
इलाहाबाद संसदीय सीट पर संसोपा के सामने थे हरिकिशन शास्त्री
1967 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी थे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बड़े बेटे हरिकिशन शास्त्री। उनके खिलाफ चुनाव मैदान में थे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) से बाबू शालिगराम जायसवाल। बाबू शालिगराम पूर्व में विधानसभा के तीन चुनाव हार चुके थे, इसलिए उनकी माली हालत बहुत खराब हो चली थी। फिर भी समाजवादियों ने उनका हौसला बढ़ाते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा था। सत्य प्रकाश मालवीय, जनेश्वर मिश्र, बरकत उल्ला चौहान, प्रो. केके भट्टाचार्य उनके लिए चंदा इकट्ठा करते थे। कांग्रेस प्रत्याशी के पास धन, जनबल सब कुछ था। तत्कालीन दिग्गज नेता कमलापति त्रिपाठी, हेमवती नंदन बहुगुणा, वीपी सिंह, द्वारिका प्रसाद मिश्र आदि हरिकिशन शास्त्री की तरफ से सक्रिय थे।
दिग्गज नेता एसके पाटिल व एसएम जोशी खास दोस्त थे
संसोपा को राष्ट्रीय नेताओं की कमी खल रही थी। खैर तय हुआ कि बाबू शालिगराम के समर्थन में एक बड़ी सभा एजी ऑफिस और शिक्षा निदेशालय गेट पर आयोजित की जाए। इस सभा के लिए समाजवादियों के दिग्गज नेता एसएम जोशी को आमंत्रित किया गया था। जिस दिन संसोपा की सभा थी, उसी दिन कांग्रेस प्रत्याशी की सभा लाला श्रीराम डिग्री कालेज, सिरसा में आहूत की गई थी। हरिकिशन शास्त्री ने अपने पिता के मंत्रिमंडलीय सहयोगी रहे और महाराष्ट्र के ही दिग्गज नेता एसके पाटिल को बुलाया था।
दो प्रत्याशियों के अलग-अलग समर्थन में जोशी व पाटिल आए थे
एक ही राज्य (महाराष्ट्र) निवासी एसएम जोशी और एसके पाटिल सहपाठी थे, इसलिए वह आपस में घनिष्ठ मित्र भी थे। यह बात दीगर थी कि दोनों अलग-अलग राजनीतिक दल और विचारधाराओं से जुड़े थे। बावजूद दोनों नेता एक ही टे्रन के एक डिब्बे से आए और सिटी साइड में एक ही होटल और एक कमरे में ठहरे। दूसरे दिन सुबह नाश्ता कर सभा स्थल के लिए रवाना हो गए। एसके पाटिल अपनी सिरसा की सभा में पहुंचे और एसएम जोशी कर्मचारियों की सभा में। संसोपा की सभा में बोर्ड ऑफिस, गवर्नमेंट प्रेस, पुलिस मुख्यालय, आबकारी विभाग के कर्मचारी बड़ी संख्या में भोजनावकाश के दौरान जुटे थे। मंच पर इलाहाबाद के ज्यादातर समाजवादी नेता मौजूद थे। लंच तीन बजे समाप्त होना था, इसलिए एसएम जोशी को दो बजे ही माइक पकड़ा दिया गया।
...ताकि आवाज सीएम के कानों तक पहुंचे आवाज
सभा में करीब 20 हजार कर्मचारियों की संख्या देखकर एसएम जोशी ने उत्साहित होकर माइक पकड़ते ही पहले नारा लगवाना शुरू किया। कर्मचारियों से अपील की। कहा कि जो नारा मैं लगवा रहा हूं, उसे ध्यान से सुनें और इतनी तेज नारा लगाएं कि सर्किट हाउस में ठहरीं सूबे की मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी के कानों तक आवाज जाए। नारे लगे बोल गरीबा, हल्ला बोल, हल्ला बोल, रोटी, कपड़ा और मकान की खातिर हल्ला बोल, हल्ला बोल, हल्ला बोल। बोल गरीबा हल्ला बोल, जय संशोपा और जय समाजवाद।
हरिकिशन शास्त्री जीत गए चुनाव
वरिष्ठ कर्मचारी नेता केएस श्रीवास्तव बताते हैं कि जोशी ने कहा कि एक तरफ आपका साथी मुट्ठीगंज में दोनों मकान गिरवी रखकर समाजवादी और कर्मचारी मित्रों के भरोसे चुनाव में उतरा है। दूसरी ओर गाडिय़ों का काफिला है। उन्होंने बाहरी व्यक्ति का मोह छोड़ देने और सदैव साथ रहने वाले, आंदोलनों में खड़ा होने वाले का समर्थन कर लोकसभा में भेजने का आग्रह किया। हालांकि इसके बाद भी चुनाव हरिकिशन शास्त्री जीते थे।