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छठे चरण में राजनीति की असली जंग, मतदाता आज इन दिग्गजों का भविष्य EVM में कर रहे कैद

छठे दौर के चुनाव के लिए सात राज्यों में 59 सीटों पर 12 मई को मतदान कराए जा रहे हैं। इस चरण में कई बड़े दिग्गजों की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 09:46 AM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 08:36 AM (IST)
छठे चरण में राजनीति की असली जंग, मतदाता आज इन दिग्गजों का भविष्य EVM में कर रहे कैद
छठे चरण में राजनीति की असली जंग, मतदाता आज इन दिग्गजों का भविष्य EVM में कर रहे कैद

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। लोकसभा चुनाव के छठे दौर के तहत रविवार को मतदान हो रहा है। इस चरण में सात राज्यों में 59 सीटों पर मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के समर्थन में EVM का बटन दबा रहे हैं। जिन सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें से उत्तर प्रदेश की 14, हरियाणा की 10, तीन राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में आठ-आठ सीटें और दिल्ली की सात तथा झारखंड की चार सीटें शामिल हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इनमें से भाजपा ने 45, तृणमूल कांग्रेस ने आठ, कांग्रेस ने दो और सपा एवं लोजपा ने एक-एक सीट जीती थी।

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उत्तर प्रदेश : दिग्गजों का इम्तिहान [ 14 सीट ]
उत्तर प्रदेश में छठे चरण का चुनाव कई दिग्गजों के भाग्य का फैसला करेगा। प्रदेश के 14 संसदीय क्षेत्रों में रविवार को हो रहे मतदान में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, मुकुट बिहारी वर्मा, जगदंबिका पाल, रमाकांत यादव और संजय सिंह जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। बात आजमगढ़ से शुरू करें तो पिछले चुनाव में यहां से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद निर्वाचित हुए थे, लेकिन इस बार उनके पुत्र अखिलेश यादव अपने पिता की सीट बरकरार रखने के लिए मैदान में हैं।

पिछली बार सपा की जीत का अंतर बड़ा नहीं था, लेकिन इस बार बसपा से गठबंधन होने और कांग्रेस द्वारा समर्थन मिलने के कारण अखिलेश समर्थकों में आत्मविश्वास अधिक दिखता है। सपा से सीट छीनने के लिए भाजपा ने भोजपुरी फिल्मों के कलाकार दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा है। सुलतानपुर से वरुण गांधी सांसद हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मां मेनका गांधी से सीटों की अदला-बदली की है। वरुण पीलीभीत से उतरे और मेनका सुलतानपुर से चुनाव लड़ रही हैं। बसपा ने चंद्रभद्र सिंह सोनू को गठबंधन प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस ने पूर्व सांसद डॉ. संजय सिंह को मैदान में लाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। इलाहाबाद सीट से सांसद श्यामाचरण शुक्ल भाजपा से बगावत कर चुके हैं। उनके स्थान पर भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को मैदान में उतारा है। इस सीट पर गठबंधन ने पिछड़ा कार्ड चलते हुए सपा के राजेंद्र सिंह पटेल को टिकट दिया है। कांग्रेस के योगेश शुक्ला मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं। फूलपुर सीट पर सबकी निगाहें है। 2014 में यहां पहली बार कमल खिला था। भाजपा उम्मीदवार के तौर पर केशव प्रसाद मौर्य सांसद चुने गए थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद मौर्य उप्र के उपमुख्यमंत्री बने, जिसके चलते उपचुनाव हुए और तब भाजपा ने सीट खो दी। सपा के नागेंद्र पटेल ने भाजपा के कौशलेंद्र पटेल को मात देकर ये सीट छीन ली। इस बार भाजपा ने केसरी देवी पटेल को उतारा है तो गठबंधन की ओर से पंधारी यादव मैदान में हैं। कांग्रेस ने पंकज निरंजन को टिकट दिया है। प्रतापगढ़ में मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है। अपना दल (एस) के सांसद हरिवंश सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने संगम लाल गुप्ता को मैदान में उतारा है। गुप्ता अपना दल के टिकट पर वर्ष 2017 में विधायक निर्वाचित हुए थे।

कांग्रेस की ओर से तीन बार सांसद रहीं रत्ना सिंह उम्मीदवार हैं। वहीं गठबंधन ने बसपा के अशोक त्रिपाठी को टिकट दिया है। स्थानीय समीकरण में उलट फेर करने वाले रघुराज प्रताप सिंह की पार्टी जनसत्ता दल से उम्मीदवार अक्षय प्रताप गोपालजी के आने से मुकाबला चतुष्कोणीय बन गया है। डुमरियागंज क्षेत्र में भाजपा के सांसद जगदंबिका पाल को इस बार अपनी सीट कायम रखने के लिए गठबंधन की ओर से बसपा के आफताब आलम से कड़ी चुनौती मिल रही है।

हरियाणा: कांटे की है टक्कर  [ 10 सीट ]
हरियाणा की सभी 10 सीटों पर एक साथ छठे चरण में ही चुनाव हो रहा है। इस बीच मिशन-10 का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा की राह में कांग्रेस जहां बड़ा बैरियर बनकर खड़ी हो गई, वहीं भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की घेराबंदी कर उन्हें उनके संसदीय क्षेत्र तक समेट दिया है। भाजपा जहां अकाली दल, वहीं आम आदमी पाटी (आप) जननायक जनता पार्टी (जजपा) से गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी है। अभी राज्य में सात सीटों पर भाजपा, एक पर कांग्रेस और दो पर इनेलो का कब्जा है। हालांकि इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला खुद की पार्टी जजपा बना चुके हैं। भाजपा की कोशिश जहां सभी 10 सीटें जीतने की है, वहीं कांग्रेस नौ, इनेलो कम से कम दो और जजपा-आप गठबंधन चार सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। सोनीपत, हिसार, रोहतक और सिरसा चार लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जो सबसे हॉट हैं। सोनीपत में कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हाई प्रोफाइल प्रत्याशी हैं, जबकि भाजपा ने यहां से सांसद रमेश कौशिक को मैदान में उतारा है। जजपा ने अजय सिंह चौटाला के बेटे दिग्विजय चौटाला पर दांव खेला है।

रोहतक, सिरसा और हिसार तीन सीटें ऐसी हैं, जहां पिछले चुनाव में भाजपा कमल नहीं खिला सकी थी। रोहतक में कांग्रेस ने तीन बार के सांसद रहे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को मैदान में उतारा है। उनके सामने भाजपा ने तीन बार के ही सांसद रह चुके डॉ. अरविंद शर्मा को टिकट दिया है, जो पहले कांग्रेस में थे। यहां का चुनाव दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। हिसार में मुकाबला त्रिकोणीय है। यहां जजपा के दुष्यंत चौटाला, भाजपा के बृजेंद्र सिंह और कांग्रेस के भव्य बिश्नोई के बीच कांटे की टक्कर है। हिसार के रण की खास बात यह है कि इन तीनों उम्मीदवारों की मां विधायक हैं। दुष्यंत जजपा नेता अजय चौटाला, बृजेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और भव्य बिश्नोई कांग्रेस नेता कुलदीप बिश्नोई के बेटे हैं। सिरसा सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां भाजपा की सुनीता दुग्गल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर और इनेलो के निवर्तमान सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी के बीच टक्कर है। अंबाला सीट पर भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी जंग है। भाजपा ने अपने सांसद रतनलाल कटारिया और कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य कु. सैलजा पर भरोसा जताया है।

कुरुक्षेत्र के रण में त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। यहां भाजपा ने मनोहर कैबिनेट में राज्य मंत्री नायब सिंह सैनी, इनेलो ने विधायक दल के नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन सिंह चौटाला और कांग्रेस ने पूर्व मंत्री चौ. निर्मल सिंह को रण में उतारकर मुकाबले को रोचक और कांटेदार बना दिया है। गुरुग्राम में भाजपा व कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है। भाजपा ने मोदी कैबिनेट में राज्य मंत्री राव इंद्रजीत पर दोबारा भरोसा जताया है, जबकि कांग्रेस ने लालू यादव के समधि पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव पर दांव खेला है। दोनों में जबरदस्त फाइट है। फरीदाबाद में मुकाबला त्रिकोणीय है। यहां भाजपा ने मोदी कैबिनेट के राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, आप-जजपा गठबंधन के पंडित नवीन जयहिंद और कांग्रेस ने पूर्व सांसद अवतार भड़ाना को मैदान में उतारा है। तीनों के बीच जबरदस्त मुकाबला है। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर भाजपा ने अपने सांसद धर्मबीर जबकि कांग्रेस ने विधायक दल की नेता किरण चौधरी की बेटी एवं पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को टिकट दिया है। श्रुति पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती हैं। यहां जजपा की स्वाति यादव भी मैदान में हैं। करनाल भी हाट सीट है। यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल के चहेते संजय भाटिया भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे, जबकि कांग्रेस ने पूर्व स्पीकर एवं विधायक कुलदीप शर्मा को टिकट दिया है।

प. बंगाल : अब तक का कठिन दौर [ 8 सीट ]
बंगाल रविवार को सबसे कठिन सियासी जंग का गवाह बनेगा। इस दौर में तृणमूल के कब्जे वाली आठ सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। कुल 83 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला 1.33 करोड़ से अधिक मतदाता कर रहे हैं। वैसे तो आठों ही सीटों पर दिलचस्प मुकाबला है, लेकिन असली लड़ाई झाडग्राम, मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुड़ा, विष्णुपुर और घाटाल सीट पर है। जीत की उम्मीद को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत कई दिग्गज भाजपा नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा दी थी। वहीं 2014 का प्रदर्शन बरकरार रखने के लिए तृणमूल प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक सप्ताह तक इसी इलाके में सभा करती रहीं। यही नहीं पदयात्रा भी की। जंगलमहल इलाके की तीन सीट झाडग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा में आदिवासियों का रुख विजेता तय करता है।

माओवादी हिंसा का केंद्र रहा जंगलमहल माओवाद के प्रभाव में आने से पहले वाममोर्चा का गढ़ था। हालांकि 2011 तृणमूल के सत्ता के आने के बाद जंगलमहल पूरी तरह से शांत हो चुका है। तृणमूल का झंडा हर ओर है। लेकिन 2014 के बाद भगवा ब्रिगेड ने इलाके में सक्रियता बढ़ाई है। पंचायत चुनाव के नतीजे इसके गवाह हैं। मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) भी पहुंचा। इलाके में आज आरएसएस के 150 से अधिक एकल विद्यालय चल रहे हैं। पंचायत चुनाव में झाडग्राम की 39 में से 28 ग्र्राम पंचायतों पर भाजपा का कब्जा है। जबकि आठ में दो पंचायत समिति भाजपा के हिस्से आई हैं। वहीं पुरुलिया की 1920 पंचायत सीटों में से भाजपा ने 638 सीट जीतीं। तृणमूल और भाजपा में मात्र 200 सीटों का अंतर रह गया।

विष्णुपुर के तृणमूल सांसद सौमित्र खां इस चुनाव भाजपा के उम्मीदवार हैं, जबकि तृणमूल ने श्यामल सांत्रा को उम्मीदवार बनाया है। कभी दीदी की बेहद खास रही पूर्व आइपीएस अधिकारी भारती घोष भाजपा के टिकट पर घटाल के वर्तमान सांसद व बांग्ला फिल्म के बड़े सितारे दीपक अधिकारी उर्फ देव को चुनौती दे रही हैं। इधर, मेदिनीपुर से भाजपा ने विधायक और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने तृणमूल ने कभी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे डॉ. मानस रंजन भुइयां को उतारा है जो उसी जिले से लगातार विधायक रहे हैं।

मध्य प्रदेश : नजदीकी मुकाबला [ 8 सीट ]
मध्य प्रदेश में प्रमुख दल सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला है। छठे चरण में प्रदेश की आठ में से जिस एक भोपाल सीट पर भी चुनाव होना है, वह इसका ज्वलंत उदाहरण है। देश की सबसे चर्चित भोपाल सीट इस पर कांग्रेस ने जहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उतार कर विपक्ष को चुनौती दी है, वहीं भाजपा ने मालेगांव बम धमाके की आरोपित साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाकर मामला रोचक बना दिया। छठे चरण में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाग्य का फैसला होगा। सिंधिया राजघराने का गढ़ मानी जाने वाली गुना सीट पर चुनाव जीतना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।

सिंधिया परिवार इस सीट का 14 बार प्रतिनिधित्व कर चुका है। भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए डॉ. केपी यादव को उम्मीदवार बनाया है। चंबल संभाग की प्रमुख लोकसभा सीट मुरैना-श्योपुर पर मुख्य मुकाबला भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर और कांग्रेस के रामनविास रावत के बीच है। बसपा के करतार सिंह भडाना मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं। भिंड में भाजपा ने पूर्व विधायक संध्या राय को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने प्रदेश प्रवक्ता देवाशीष जरारिया पर दांव लगाया है। पिछले 30 साल से यह सीट भाजपा के कब्जे में है। भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में शुमार विदिशा में भाजपा के रमाकांत भार्गव का मुकाबला कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल से है।

बिहार: नए बनाम पुराने लड़ाके [ 8 सीट ]
छठे दौर के चुनाव में बिहार में इस बार आठ सीटों पर आठ ही तरह का मुकाबला होता दिख रहा है। ज्यादातर सीटों पर पुराने महारथियों के मुकाबले में नए लड़ाके मैदान में हैं। उन्होंने मुकाबले को कठिन बना दिया है। पूर्वी चंपारण में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का मुकाबला राजनीति में पिछले महीने उतरने वाले आकाश सिंह से है। लंबे राजनीतिक अनुभव वाले राधामोहन के खिलाफ रालोसपा ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह के पुत्र को मैदान में उतारकर सबको चौंकाया है। सिवान में सजायाफ्ता मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और आपराधिक छवि वाले अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह के बीच मुकाबला है।

वाल्मीकिनगर में जदयू के वैद्यनाथ महतो का मुकाबला कांग्रेस के शाश्वत केदार से है। शाश्वत पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय के पौत्र हैं और वह भी पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं। पश्चिमी चंपारण में भाजपा के संजय जायसवाल और रालोसपा के ब्रजेश कुशवाहा के बीच लड़ाई है। शिवहर में भाजपा की मौजूदा सांसद रमा देवी का राजद के फैसल अली से मुकाबला है। महाराजगंज में राजद के रणधीर सिंह को भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा सांसद जर्नादन सिंह सिग्रीवाल टक्कर दे रहे हैं। गोपालगंज में जदयू के डॉ. आलोक कुमार सुमन के मुकाबले हैं राजद के सुरेंद्र राम। वहीं वैशाली में राजद के पुराने लड़ाके रघुवंश प्रसाद सिंह के मुकाबले लोजपा उम्मीदवार वीणा देवी है।

नई दिल्ली: रोचक हुआ दिल्ली का त्रिकोणीय सत्ता संग्राम [ 7 सीट ]
दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर फैसला होना है। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की लड़ाई है। सबसे रोचक मुकाबला उत्तर- पूर्वी दिल्ली में है। यहां कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी और आप के पूर्व संयोजक दिलीप पांडेय आमने-सामने हैं। नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी के सामने कांग्रेस के पूर्व मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन की चुनौती है, जिसे आम आदमी पार्टी के बृजेश गोयल त्रिकोणीय बना रहे हैं। चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के सामने कांग्रेस से पूर्व मंत्री जय प्रकाश अग्रवाल और आम आदमी पार्टी से पंकज गुप्ता मैदान में हैं। दक्षिणी दिल्ली के वर्तमान भाजपा सांसद रमेश बिधुड़ी के सामने कांग्रेस ने ओलंपियन मुक्केबाज विजेंदर सिंह को उतारा है। वहीं, आम आदमी पार्टी के युवा तुर्क राघव चड्ढा मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।

पूर्वी दिल्ली में भी मामला दिलचस्प है। भाजपा प्रत्याशी पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर, आम आदमी पार्टी प्रत्याशी आतिशी और कांग्रेस के अरविंदर सिंह लवली तिकोने मुकाबले में हैं। पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा का सामना कांग्रेस के महाबल मिश्र से है जबकि आप के वीएस जाखड़ दोनों ही पार्टियों के वोटबैंक पर झाड़ू फिराने की कोशिश में हैं। उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद उदितराज का टिकट काटकर सूफी गायब हंसराज हंस को मैदान में उतारा है। भाजपा के पूर्व विधायक गुगन सिंह आम आदमी पार्टी से मैदान में हैं। वहीं कांग्रेस ने राजेश लिलोठिया को टिकट दिया है।

भाजपा का मिशन 51 फीसद : 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.39 फीसद मतदाताओं का साथ मिला था, जिसके सहारे वह सभी सातों सीटें जीतने में सफल रही थी। पार्टी ने इस बार मिशन 51 फीसद का लक्ष्य निर्धारित किया है।

आप के सामने दबदबा बनाए रखने की चुनौती : आम आदमी पार्टी (आप) के लिए यह चुनाव अपने आप को एक बार फिर से साबित करने का मौका है। विधानसभा में उसे 70 में से 67 सीटें हासिल हुई थीं। हालांकि उसके बाद से पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है। पार्टी दो विधानसभा उपचुनावों में से सिर्फ एक में जीत दर्ज कर सकी है। इसके कई संस्थापक सदस्य पार्टी से दूर जा चुके हैं।

कांग्रेस के सामने वोटबैंक बचाए रखने की चुनौती : आम आदमी पार्टी के उदय के बाद सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है। वर्ष 2009 में दिल्ली की सातों सीटें जीतने वाली कांग्रेस को 2014 के लोकसभा चुनाव में मात्र 15.2 फीसद मतदाताओं का साथ मिला था। कांग्रेस पुराने जनाधार को पाने की कोशिश में है।

झारखंड: गढ़ बचाने की जंग [ 4 सीट ]
छठे चरण में झारखंड की जिन चार सीटों पर चुनाव होगा, उन पर भाजपा का कब्जा है। इन सीटों पर भाजपा अपना गढ़ बचाने की जंग में लगी है तो विपक्ष किला ढाहने की जिद किए बैठा है। भाजपा ने अपनी चार में से एक सीट सहयोगी पार्टी आजसू के नाम कर दी है और तीन सीटों पर पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है। विपक्षी महागठबंधन में चारों सीट कांग्रेस और झामुमो के बीच दो-दो बंटी हुई हैं। कांग्रेस ने सिंहभूम और धनबाद से नए प्रत्याशी दिए हैं तो झामुमो ने जमशेदपुर से विधायक चंपई सोरेन पर विश्वास जताया है। गिरिडीह में झामुमो ने अपने पुराने सिपाही जगरनाथ महतो को मुकाबले में उतार दिया है।

सिंहभूम और धनबाद में रोचक मुकाबला है तो जमशेदपुर और गिरिडीह में अलग तेवर की लड़ाई। सिंहभूम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा चुनाव लड़ रहे हैं तो निश्चित रूप से पार्टी की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है। उनके मुकाबले में कांग्रेस की ओर से गीता कोड़ा हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी। धनबाद में दो बार के सांसद और इसके पहले लगातार तीन बार विधायक रहे पीएन सिंह के सामने कांग्रेस ने पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को उतारा है। यहां मुकाबला रोचक दिख रहा है। जमशेदपुर में भाजपा सांसद विद्युतवरण महतो को मुकाबला झामुमो विधायक चंपई सोरेन से है। मुख्यमंत्री का क्षेत्र भी इसी इलाके में है और इस कारण दोनों पार्टियों ने अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी है।

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