VVPAT के इस्तेमाल और सैंपल सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
VVPAT सैंपल को लेकर विपक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह वीवीपीएटी सैंपल सर्वे को क्या बढ़ा सकता है।
नई दिल्ली, एजेंसी। विपक्षी दलों ने याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT के सैंपल सर्वे पर चुनाव आयोग से 28 मार्च तक जवाब मांगा है। विपक्षी दलों की मांग है कि एक से अधिक VVPAT के सैंपल सर्वे लिए जाएं। फिलहाल, एक विधानसभा क्षेत्र से एक VVPAT की पर्चियों की 50 फीसद पर्चियों की गणना की जाती है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह वर्तमान में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक से ज्यादा वीवीपीएटी सैंपल सर्वे को क्या बढ़ा सकता है। इसके लिए 28 मार्च तक जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि वह वर्तमान में एक विधानसभा क्षेत्र से एक वीवीपीएटी सैंपल सर्वे लेने की व्यवस्था पर उसकी संतुष्टि का कारण बताया जाए। चुनावों में VVPAT के सैंपल पर आंध्र प्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू सहित 21 विपक्षी नेताओं की याचिका पर 1 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
होती है वीवीपैट मशीन?
वीवीपैट (VVPAT) यानि वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल इस बात की पुष्टि करेगा कि मतदाता ने जिस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है वह उसी के खाते में जाए। हालांकि, EVM चुनाव कराने का एक सुरक्षित माध्यम है तो इसमें भी आपका वोट आपके पसंदीदा उम्मीदवार को ही मिलता है। वीवीपैट एक और जरिया है, जिससे आप पूरी तरह से सुनिश्चित हो सकते हैं कि आपका मत आपके चुने हुए उम्मीदवार को ही गया है।
कैसे काम करती है VVPAT?
जब आप EVM में किसी उम्मीदवार के नाम और फोटो के सामने लगा बटन दबाकर उसे वोट करते हैं तो VVPAT से एक पर्ची निकलती है, यह पर्ची बताती है कि आपका मत किस उम्मीदवार के हिस्से गया है। गौर करने वाली बात यह है कि इस पर्ची पर उम्मीदवार का नाम और उसका चुनाव चिन्ह छपा होता है। VVPAT से निकली पर्ची कांच की एक दीवार के दूसरी तरफ एक सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है। मतदाता के रूप में आप 7 सेकेंड तक इस पर्ची को देख सकते हैं। सिर्फ पोलिंग अधिकारी ही इस VVPAT तक पहुंच सकते हैं। मतगणना के वक्त किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में इन पर्चियों की भी गणना हो सकती है।
EVM है भरोसेमंद, फिर VVPAT क्यों?
भारत चुनाव आयोग के अनुसार EVM यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पूरी तरह से सुरक्षित और भरोसेमंद है। EVM में किसी भी तरह की छेड़छाड़ करके रिजल्ट नहीं बदला जा सकता है। इसके बावजूद तमाम विपक्षी पार्टियां वर्षों से अपनी हार का ठीकरा EVM पर ही फोड़ती रही हैं। हालांकि, जब चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों से हैकाथॉन में अपने आरोप साबित करने की चुनौती दी तो किसी भी पार्टी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखायी। शायद कहीं न कहीं EVM पर सवाल उठाने वाली राजनीतिक पार्टियां भी जानती हैं कि गड़बड़ EVM में नहीं बल्कि, उनकी पार्टी ही कहीं चूक कर रही है, जो उन्हें हार का सामना करना पड़ रहा है।