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Lok Sabha Election 2019: जगदीश बाबू भी थे एक सांसद, बेटे के लिए नहीं लिखा सिफारिशी पत्र

अशोक मंडल बताते हैं कि उस समय तो पिता के निर्णय पर काफी गुस्सा आया। पर जब आज सोचता हूं तो गौरव का अनुभव होता है कि मैं ऐसे बाप का बेटा हूं जिसने अपने बेटे के लिए भी पैरवी नहीं की।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 10:54 AM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 10:54 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: जगदीश बाबू भी थे एक सांसद, बेटे के लिए नहीं लिखा सिफारिशी पत्र
Lok Sabha Election 2019: जगदीश बाबू भी थे एक सांसद, बेटे के लिए नहीं लिखा सिफारिशी पत्र

गोड्डा, जेएनएन। जहां एक ओर नेताओं की छवि समय-समय पर भाई-भतीजावाद के कारण दागदार होती रहती है। धन के लालच ने इसे फलने-फूलने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। अपनी औलाद को राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने के लिए आज के सांसद-विधायक क्या-क्या नहीं करते हैं, लेकिन गोड्डा लोकसभा से वर्ष 1971 से लेकर 1976 तक सांसद रहे जगदीश नारायण मंडल ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपने बेटे के लिए भी एक सिफारिश पत्र लिखना गुनाह समझा। उनका मानना था कि नौकरी पाना है, तो अपनी योग्यता से लें। सिफारिस से नहीं। इसी कारण उन्होंने अपने बेटे के लिए कभी पैरवी नहीं की।

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पहले तो दुखी, पर अब गौरवान्वित अनुभव करते हैं पुत्र : जगदीश नारायण मंडल के पुत्र सेवानिवृत्त शिक्षक अशोक कुमार मंडल ने बताया कि वे विज्ञान संकाय से प्रथम श्रेणी से मैट्रिक उत्तीर्ण किए थे। उस समय सांसद पिता का काम बांका के रहने वाले एसएन मालवीय  देखा करते थे। उस समय रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा जी थे। अशोक मंडल यादों को ताजा करते हुए बताते हैं कि ललित बाबू पिताजी के ईमानदारी से काफी प्रभावित थे। उन्होंने पिताजी को दिल्ली में जमीन उपलब्ध कराया और दिल्ली में घर बनवाने का अश्वासन भी दिया। ललित बाबू से निकटता रहने के कारण एक दिन मालवीय जी बोले कि अशोक अगर आपके पिता जगदीश बाबू आपके लिए एक सिफारिशी पत्र लिख देंगे तो रेल मंत्रालय में आपको शिक्षक की नौकरी मिल जाएगी। मालवीय जी ने पिताजी के लेटर पैड पर सिफारिश पत्र का मजमून टाइप कर लिया। जगदीश बाबू के पूछने पर मालवीय जी ने बताया कि अशोक के लिए एक सिफारिशी पत्र ललित बाबू के नाम से लिखे हैं। इसपर केवल हस्ताक्षर कर दीजिए। लेकिन उन्होंने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। वे बोलने लगे कि अशोक मेरा बेटा है तो दूसरे का बेटा क्या दुश्मन है। नौकरी लेना है तो अपने मेरिट से लेकर दिखाए। हम पैरवी नहीं कर सकते।

अशोक मंडल बताते हैं कि उस समय तो पिता के निर्णय पर काफी गुस्सा आया। पर जब आज सोचता हूं तो गौरव का अनुभव होता है कि मैं ऐसे बाप का बेटा हूं, जिसने अपने बेटे के लिए भी पैरवी नहीं की। कुछ दिन के बाद ललित बाबू की आकस्मिक घटना में मृत्यु हो गई। उनके बाद कमलापति त्रिपाठी रेल मंत्री बने। मालवीय जी ने पिताजी के बगल के क्वार्टर में रह रहे दुमका के तात्कालीन सांसद सत्यचरण बेसरा को सारी बात बताई। सत्यचरण बेसरा अशोक मंडल को लेकर रेल मंत्रालय गए और रेलमंत्री से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि रिक्ति निकलने वाली है, आवेदन कर दीजिएगा। इस बीच जगदीश नारायण मंडल के पुत्र अशोक ने घोरमारा से शिक्षक का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया। इसके बाद बिहार से भी शिक्षक की नौकरी निकली। इवे गोड्डा में ही शिक्षक बन गए।

मंदारहिल रेलवे परिचालन बंद होने से रुकवाया : सांसद जगदीश नारायण मंडल रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य थे। जब संसद में भागलपुर मंदारहिल रेल घाटे में चलने की बात उठी, तो रेल मंत्रालय इसके परिचालन को बंद करने की बात उठाई। जगदीश बाबू ने रेलवे परिचालन बंद कराने का विरोध किया। परिणाम यह हुआ कि मंदारहिल रेल परिचालन उस समय घाटे के बाद भी बंद नहीं किया गया। इन्होंने उसी समय मंदारहिल रेल लाइन का विस्तारीकरण की भी मांग की, जो आज फलीभूत हो रहा है।

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