Loksabha Election 2019 : बनारस से श्रीभगवान होंगे राम राज्य परिषद के प्रत्याशी
राजनीतिक दलों पर सनातन धर्म की अनदेखी का आरोप लगाते हुए मुखर हुई परम धर्म संसद 1008 ने सोमवार को मोर्चा खोल दिया।
वाराणसी, जेएनएन। राजनीतिक दलों पर सनातन धर्म की अनदेखी का आरोप लगाते हुए मुखर हुई परम धर्म संसद 1008 ने सोमवार को मोर्चा खोल दिया। अखिल भारतीय संत परिषद की ओर से लोकसभा चुनाव में बनारस से वेदांताचार्य श्रीभगवान को मैदान में उतारने की घोषणा कर दी। श्रीभगवान अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के राष्ट्रीय संयोजक तो हैं ही राष्ट्रीय स्तर पर संतों की विभिन्न समितियों में भी महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं।
एहतियात के तौर पर चार डमी कैंडिडेट भी नामांकन करेंगे। इसमें महाराज मणि शरण सनातन महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी पद्मनाभ शरण महाराज, नीलम दुबे व सावित्री पांडेय शामिल हैं। पार्टी नेतृत्व के अनुसार यह नामांकन अखिल भारतीय रामराज्य परिषद के महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण सिद्धांत के आधार पर कराया जाएगा। इसके अलावा चुनाव संचालन के लिए समिति भी बनाई गई है। रवि त्रिवेदी इसके प्रमुख व गिरीश तिवारी सह प्रमुख होंगे। हालांकि बनारस संसदीय क्षेत्र में पांच ही विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं लेकिन जिले के आठों विस क्षेत्रों के लिए चुनाव प्रभारी बनाए गए हैं। इनमें कैंट से सुनील शुक्ल, शहर दक्षिणी से संतोष अग्रहरि, उत्तरी से हरिनाथ दूबे, शिवपुर से श्रीप्रकाश पांडेय, अजगरा से नंदू कनौजिया, रोहनिया से अनुराग दूबे, सेवापुरी से रमेश उपाध्याय, पिंडरा से कमलेश यादव शामिल हैं। वहीं केदारघाट स्थित पादुका मठ को केंद्रीय चुनाव कार्यालय बनाया गया है। चुनाव संचालक रवि त्रिवेदी के अनुसार प्रत्याशियों का नामांकन तथा चुनाव कार्यालय का उद्घाटन शुभ मुहूर्त में किया जाएगा।
श्रीभगवान के नाम चार गोल्ड मेडल : वेदांताचार्य श्रीभगवान बीएचयू में 2006 से 2009 तक अध्ययन के दौरान चारा गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुके हैं। मध्य प्रदेश के दमोह में सवा लाख मानस पाठ कराने के लिए ख्यात श्रीभगवान की शिक्षा बनारस में हुई है। तमाम समासेवी संस्थाओं के संचालक व कथाकार होने के साथ ही अखिल भारतीय संत जनपरमार्थ सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय संत समिति के युवा संगठन मंत्री हैं।
अखिल भारतीय राम राज्य परिषद : अखिल भारतीय राम राज्य परिषद की स्थापना स्वामी करपात्री जी महाराज ने की थी। सनातन हिंदू वर्णाश्रम धर्मशासित राष्ट्र स्थापना के उद्देश्यों के साथ इस दल ने वर्ष 1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव में तीन सीटें प्राप्त की थीं। इसके अलावा 1952, 1957 व 1962 के विधान सभा चुनावों के दौरान खासकर राजस्थान) में इस दल ने दर्जनों सीटें हासिल की थीं।