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Lok Sabha Election 2019 : प्रतापगढ़ में नहीं चला था डॉ. राम मनोहर लोहिया का समाजवाद

बात 1967 के चुनाव की हो रही है। प्रतापगढ़ संसदीय सीट से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार प्रोफेसर वासुदेव सांसद के समर्थन में डॉक्‍टर लोहिया भी आए थे लेकिन प्रत्‍याशी की पराजय हुई।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 05:31 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 05:31 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : प्रतापगढ़ में नहीं चला था डॉ. राम मनोहर लोहिया का समाजवाद

प्रतापगढ़/प्रयागराज : आंवला और राजे-रजवाड़ों के गढ़ माना जाने वाले प्रतापगढ़ में समाजवाद के पुरोधा डॉ. राम मनोहर लोहिया भी आए थे। उन्होंने कांग्रेस व जनसंघ पर तीखे सियासी तीर भी चलाए थे। हालांकि वह सफल नहीं हो सके थे। यह हुआ था 1967 के लोकसभा चुनाव में। 

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जनसंघ से सीट छीनने को कांग्रेस और सोशलिस्ट पार्टी ने लगाया था जोर

यह है प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र के इतिहास का अमिट पन्ना। 1967 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ की जीती हुई सीट को छीनने के लिए कांग्रेस और सोशलिस्ट पार्टी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। समाजवाद के पुरोधा डॉ. राम मनोहर लोहिया ने प्रतापगढ़ आकर समाजवाद का नारा दिया था। उन्होंने प्रचार किया और आयोजित जनसभा को संबोधित भी किया। हालांकि उनकी अपील काम नहीं आ सकी। सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार प्रोफेसर वासुदेव सांसद नहीं बन पाए। उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस से कालाकांकर के राजा दिनेश सिंह को बनाया था प्रत्याशी

कांग्रेस ने कालाकांकर के राजा दिनेश सिंह पर भरोसा जताते हुए उनको प्रत्याशी बनाया था। जनसंघ ने राजा अजीत प्रताप सिंह की जगह ओंकार नाथ को मैदान में उतारा था। हालांकि उसका दांव भी सफल नहीं हुआ। वह तीसरे स्थान पर रहे और उनको मात्र 10053 वोट ही मिले। दूसरे स्थान पर रहे वासुदेव को 81133 वोट से संतोष करना पड़ा था। निर्वाचित हुए राजा दिनेश सिंह को एक लाख से अधिक मत प्राप्त हुए थे।

कालाकांकर राजघराने का राजनीति में प्रभाव बढ़ गया

1967 के लोकसभा चुनाव के बाद कालाकांकर राजघराने का भारतीय राजनीति में तेजी से प्रभाव बढ़ा। इसके पहले इस राजघराने के लोगों की भूमिका कांग्रेस की स्थापना से लेकर उसका स्वरूप बनाने तक ही सीमित रही थी। आज भी कालाकांकर राजपरिवार कांग्रेस का वफादार है।


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