Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: हे सिदो! हे कान्हू! संताल की धरती पर कृपा करो

नीति आयोग भारत सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे पिछड़े 111 जिलों की सूची में अंतिम पायदान पर झारखंड का पाकुड़ है। इस सूची में साहिबगंज जिला 104 वें नंबर पर है।

By mritunjayEdited By: Published: Sun, 12 May 2019 02:13 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 10:40 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: हे सिदो! हे कान्हू! संताल की धरती पर कृपा करो
Lok Sabha Election 2019: हे सिदो! हे कान्हू! संताल की धरती पर कृपा करो

भोगनाडीह, मृत्युंजय पाठक। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में संताल विद्रोह के महान नायक बंधुओं-सिदो, कान्हू, चांद और भैरव की पवित्र जन्मभूमि भोगनाडीह। यहां हर साल 30 जून को हूल दिवस पर राजनीतिक पर्यटकों का मेला लगता है। सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के नेता दौड़े आते हैं। श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं, लंबी-चौड़ी बातें करते हैं और फिर चले जाते हैं।

loksabha election banner

साहिबगंज-पाकुड़ देश के पिछड़े जिला में शुमारः लोकसभा चुनाव की तपिश के बीच तपती दोपहरी में एक मीडिया पर्यटक के रूप में साहिबगंज जिले के बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह ग्राम में सिदो-कान्हू के जन्म स्थान पर बने पार्क में स्थापित प्रतिमा के पास पहुंचा। सन्नाटा पसरा था। छह महीने पहले 27 दिसंबर 2018 को नीति आयोग भारत सरकार की तरफ से जारी उस रिपोर्ट की हमने जानकारी दी, जिसके अनुसार देश के सबसे पिछड़े 111 जिलों की सूची में अंतिम पायदान पर झारखंड का पाकुड़ जिला का नंबर है। इस सूची में साहिबगंज जिला 104 वें नंबर पर है। मैंने लगे हाथ संतालों में भगवान का दर्जा प्राप्त सिदो-कान्हू से झारखंड के संताल परगना प्रमंडल के पिछड़ेपन, संताल व पहाडिय़ों की बेबस जिंदगी और आधारभूत सुविधाओं से वंचित होने का कारण पूछ डाला।

आदिवासी के नाम पर सिर्फ और सिर्फ राजनीतिः देश की आजादी के बाद 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव और 17 वें लोकसभा चुनाव प्रक्रिया (लोकसभा चुनाव-2019) के बीच 67 साल के बीते कालखंड में आम आदिवासियों के जीवन में कोई बुनियादी फर्क नहीं आया है। समूचे संताल (साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा, देवघर और जामताड़ा जिला) में एक भी ढंग का सरकारी अस्पताल नहीं है। उच्च तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। पीने का साफ पानी नहीं, जो इस क्षेत्र में बीमारी का एक बड़ा कारण है। संताल के पिछड़ेपन के कारणों का जवाब देने के लिए भगवान सिदो-कान्हू की तरफ से उनकी छठी पीढ़ी के मंडल मुर्मू सामने आए। वही मंडल मुर्मू जिन्होंने 2006 में आजसू प्रमुख सुदेश महतो की एक नेक पहल के कारण मीडिया की सुर्खियां बटोरी। महतो ने मंडल की पढ़ाई का बीड़ा उठाया। भोगनाडीह से ले जाकर रांची में क्लास 6 में नामांकन कराया। उनकी पहल से ही मंडल ने सिविल में डिप्लोमा की डिग्री हासिल की है। दुख इस बात का है कि अब तक नियोजन नहीं मिला है। 30 जून 2016 को मुख्यमंत्री रघुवर दास भोगनाडीह आए थे। मंडल को नियोजन देने की घोषणा की थी। अब तक इंतजार है।

पढ़े-लिखे होने के कारण मंडल को राजनीतिक और सामाजिक विषयों की समझ है। उनका मानना है कि अब तक यहां आदिवासियों के नाम पर राजनीति होती रही है लेकिन कुछ करने की पहल नहीं होती है। यही संताल के पिछड़ेपन का कारण है। राजनीति करने वाले संंताल और संताल के लोगों के बारे में जब तक ईमानदारी से चिंता नहीं करेंगे स्थिति-परिस्थिति नहीं बदलेगी। हालांकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र और रघुवर दास के नेतृत्व में झारखंड की भाजपा सरकार की पहल से मंडल आशान्वित हैं। कहते हैं-सरकार का ध्यान अब संताल के विकास पर गया है। देखते हैं, भविष्य में कैसा होता है।

राजमहल में झामुमो-भाजपा के 50-50 चांस : राजमहल लोकसभा क्षेत्र एसटी (अनुसूचित जनजाति) के लिए आरक्षित है। इस लोकसभा क्षेत्र के तहत ही साहिबगंज और पाकुड़ जिला आते हैं। झामुमो प्रत्याशी वर्तमान सांसद विजय हांसदा और भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू के बीच सीधी लड़ाई है। झामुमो को कांग्रेस, झाविमो और राजद का समर्थन प्राप्त है। कौन जीतेगा के सवाल पर मंडल मुर्मू कहते हैं, 50-50 का चांस है। सिदो-कान्हू की प्रतिमा के पास ही निर्माण में लगे मजदूर प्रधान हेंब्रम वर्तमान सांसद विजय हांसदा के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करने से रोक नहीं पाते हैं। कहते हैं-पांच साल में कुछ काम नहीं किया। इस बार हेमलाल को जिताना है। वे भाजपा सरकार में योजनाओं का लाभ मिलने की बात को भी नहीं छुपाते हैं।

चाहिए शिक्षित और समझदार आदिवासी समाज : खनिज और प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण होने के बाद भी संताल और संताल के लोग आखिर पिछड़े क्यों हैं, यह सवाल क्षेत्र के हर एक जागरूक को कचोटता रहता है। देवघर वासी जाने-माने श्री हनुमान कथा वाचक संत प्रदीप भैया ने संताल के पिछड़ेपन के कारणों का अध्ययन करने के लिए एक सप्ताह तक संताल के सभी धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया। उनका निष्कर्ष है कि पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण शिक्षा का अभाव है। खासकर आदिवासी और वनवासी समाज में घोर अशिक्षा है। इस कारण उनमें समझ नहीं है। समझ नहीं होने के कारण राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से छले जाते हैं। यहां विकास सिर्फ मुट्ठी भर लोगों का हो रहा है। जब तक समाज शिक्षित नहीं होगा विकास नहीं होगा। इसलिए सरकार को संताल में शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.