LokSabha Election 2019: किसी दल ने हाथ नहीं बढ़ाया तो निर्दलीय लड़ेंगे विधायक संजीव के भाई सिद्धार्थ
धनबाद में सिंह मेंशन को स्थापित करने वाले स्वर्गीय सूर्य देव सिंह के तीन पुत्र हैं राजीव रंजन संजीव सिंह एवं सिद्धार्थ गौतम। सिंह मेंशन की पहचान दबंगता से हैं तो सियासत से भी।
धनबाद, अश्विनी रघुवंशी। किसी राजनीतिक दल ने धनबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडऩे के लिए हाथ नहीं बढ़ाया तो सिंह मेंशन के चिराग सिद्धार्थ गौतम निर्दलीय उम्मीदवार के नाते पर्चा दाखिल करेंगे। लंबे समय तक सिर्फ कारोबार में खुद को सीमित रखने वाले सिद्धार्थ गौतम ने सियासत में कदम रखने के बाद सबसे पहले धनबाद के पूर्व सांसद कॉमरेड एके राय से आशीर्वाद लिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव लडऩे की सार्वजनिक घोषणा की थी। वे अभी भी अपनी बात पर कायम हैं। पी एन सिंह को फिर से भाजपा का टिकट मिलने के बाद सिद्धार्थ गौतम ने कहा कि हकीकत यह है कि उन्हें अभी तक किसी राजनीतिक दल से टिकट के लिए ऑफर नहीं मिला है, न उन्होंने किसी नेता से मिल कर टिकट देने की बात कही है। किसी दल के लोग वार्ता करने के लिए आएंगे तो उन्हें परहेज भी नहीं है। उनकी सोच यह है कि टिकट के लिए किसी भी नेता के आगे पीछे घूमने से बेहतर जनता के बीच रहना है।
धनबाद में सिंह मेंशन को स्थापित करने वाले स्वर्गीय सूर्य देव सिंह के तीन पुत्र हैं, राजीव रंजन, संजीव सिंह एवं सिद्धार्थ गौतम। सिंह मेंशन की पहचान दबंगता से हैं तो सियासत से भी। स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह और उनकी पत्नी कुंती सिंह झरिया से विधायक रहे हैं। राजीव रंजन की हत्या हो चुकी है। अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के मुकदमे में झरिया विधायक संजीव सिंह जेल में हैं। सिंह मेंशन के रसूख को कायम रखने और सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की जवाबदेही सिद्धार्थ गौतम पर है। सिद्धार्थ इससे इनकार भी नहीं करते। उन्होंने कहा कि कई बार सिंह मेंशन को नेस्तनाबूद करने की कोशिश हुई है। इस तरह का प्रयास करने वाले हर बार नाकाम रहे हैं। आगे भी नाकाम रहेंगे। भाजपा को सबल करने के लिए उनके भाई संजीव सिंह ने क्या नहीं किया। वो सब कुछ किए हैं जिन्हें सार्वजनिक करना उचित नहीं समझते। अफसोस इस बात का है, हमें अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था अपनी कश्ती वहां डुबोने की कोशिश हुई जहां पानी कम था। सिंह मेंशन की कश्ती को डुबोने की कोशिश कामयाब नहीं होगी। उनके चुनाव लडऩे से भाजपा को नुकसान होने के सवाल पर सिद्धार्थ गौतम बोले कि हम किसी के फायदा या नुकसान के लिए चुनाव मैदान में नहीं उतर रहे हैं। लक्ष्य है, सबको पीछे छोड़ कर जीतना।
सिद्धार्थ चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा के लिए बड़ा झटकाः पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के करीबी परिवार के नाते कभी सिंह मेंशन की पहचान थी। चंद्रशेखर के बाद सिंह मेंशन में एक बार कमल फूल खिला तो फिर कभी नहीं मुरझाया। सिंह मेंशन के लोग डेढ़ दशक से भाजपा के साथ रहे हैं। अभी भी संजीव सिंह और कुंती देवी भाजपा में हैं। सिद्धार्थ गौतम नहीं। वे भाजपा के सदस्य नहीं हैं। सिंह मेंशन का नियंत्रण जनता मजदूर संघ पर है जो कोयला खदान के स्थायी और अस्थायी मजदूरों का संगठन है। जनता मजदूर संघ के अधिकतर लोग भाजपा से जुड़े हैं। सिद्धार्थ गौतम चुनाव लड़ते हैं तो भाजपा को जरुर नुकसान होगा, परिणाम चाहे कुछ भी हो।
ए के राय से लिया आशीर्वाद, फिर सुदेश से बातः सिद्धार्थ गौतम ने सियासत में कदम रखने के बाद सबसे पहले धनबाद के पूर्व सांसद कॉमरेड ए के राय के मिल कर आशीर्वाद लिया। समरेश सिंह के पुत्र संग्र्राम सिंह एवं बहू श्वेता सिंह से मिले। इसके बाद रांची में आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो के साथ लंबी गुफ्तगू की थी। सूर्यदेव सिंह के करीबी रहे कई नामी अथवा गुमनाम हो चुके लोगों से भी सिद्धार्थ गौतम मिल चुके हैं। धनबाद लोकसभा क्षेत्र के दायरे में आने वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों में उनका दौरा हो चुका है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के ठीक पहले कोयला नगर में आमसभा में बड़ी भीड़ जुटा कर सिद्धार्थ गौतम सिंह मेंशन की जनता पर पकड़ का सार्वजनिक प्रदर्शन कर चुके हैं।