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Lok Sabha Election 2019: झामुमो-भाजपा में बादशाहत की लड़ाई को तैयार है दुमका

Lok Sabha Election 2019. चार दशकों से दुमका की जंग में एक ओर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन डटे हैं तो दूसरी ओर तीन दशकों से मजबूती से उनका सामना भाजपा कर रही है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 10:01 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 11:01 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: झामुमो-भाजपा में बादशाहत की लड़ाई को तैयार है दुमका
Lok Sabha Election 2019: झामुमो-भाजपा में बादशाहत की लड़ाई को तैयार है दुमका

रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - चार दशकों से दुमका की जंग में एक ओर झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन डटे हैं तो दूसरी ओर तीन दशकों से मजबूती से उनका सामना भाजपा कर रही है और उन्हें इस दौरान मात देने में भी सफल रही है। इसके पूर्व कांग्रेस ही शिबू के सामने चुनौती पेश करती रही। एक बार फिर दुमका के जंग में झामुमो के सामने भाजपा के उम्मीदवार ताल ठोककर खड़े हैं।

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पिछले दो-तीन चुनावों को देखें तो भाजपा ने निश्चित तौर पर हार का अंतर कम किया है लेकिन जीत गुरुजी को ही मिली। इस सीट से दो बार सांसद रहे बाबूलाल मरांडी इस चुनाव में शिबू सोरेन के साथ हैं तो उन्हें राजद और कांग्रेस का भी समर्थन मिल रहा है। अलग राज्य बनने के बाद कभी हार का सामना नहीं करनेवाले शिबू सोरेन को नौवीं बार लोकसभा में पहुंचने से रोकने के लिए भाजपा उम्मीदवार सुनील सोरेन ने पूरी ताकत लगा रखी है।

क्षेत्र में सुनील को युवाओं का साथ मिल रहा है वहीं बुजुर्ग सिर्फ सिंबल को पहचानते हैं और शिबू का नाम हर-एक की जुबां पर है। क्षेत्र में बदलाव के लिए लगातार हुए सरकारी प्रयास का असर भी दिख रहा है। यही कारण है कि युवा मतदाता क्षेत्र के पिछड़ेपन को मुद्दा बनाकर अपने उम्मीदवार को परखेंगे। क्षेत्र में राज्य सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं और इसी के बूते शहरी मतदाताओं को रिझाने की कोशिश हो रही है। शिबू के साथ कांग्रेस और झाविमो के होने से भाजपा सकते में है और प्रचार अभियान को आक्रामक बनाया जा रहा है। शिबू सोरेन की परंपरागत मतों को भी भाजपा साधने में जुटी है। कोई तीसरा चेहरा इस चुनाव को प्रभावित नहीं कर रहा। 

उम्मीदवारों का प्रोफाइल

शिबू सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा

शिक्षा : गोला हाई स्कूल, हजारीबाग से मैट्रिक पास

संपत्ति : पिछलेशपथपत्र के अनुसार 4.67 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति और 14.79 लाख की देनदारी।

मामला : फिलहाल शिबू पर कोई मुकदमा नहीं चल रहा।

परिवार : पत्नी रूपी सोरेन, दो पुत्र हेमंत और बसंत सोरेन जीवित हैं जबकि बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन की मौत हो चुकी है। इसके अलावा एक बेटी अंजलि सोरेन हैं जो ओडिशा में रहती हैं।

राजनीतिक करियर : झामुमो के गठन के साथ पहले महासचिव के रूप में 1971 से काम करना शुरू किया। 1977 में लोकसभा का पहला चुनाव लड़े और हार गए। 1980 में चुनाव जीतने के बाद इन्हें झामुमो का अध्यक्ष बनाया गया जिसके बाद से 1989, 1991, 1996, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा के सदस्य रहे। 

मजबूती
शिबू सोरेन का करिश्माई व्यक्तित्व उनकी सबसे बड़ी मजबूती है। आदिवासी समाज में उन्हें दिशोम गुरू का दर्जा प्राप्त है और उनकी एक आवाज पर हजारों लोग निकल पड़ते हैं। कई आंदोलन किए हैं।

कमजोरी
युवाओं के बीच गहरी पैठ नहीं। वंशवाद/परिवार वाद को बढ़ावा दिया और पार्टी में दूसरों को पनपने नहीं दिया। अपने हित के लिए कई बार कांग्रेस और अन्य दलों से समझौता किया। 

सुनील सोरेन, भाजपा
शिक्षा : एएन कॉलेज दुमका से इंटर पास।

संपत्ति : 14.94 लाख रुपये की संपत्ति के मालिक और 7.80 लाख रुपये की देनदारी।

मामला : इनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला अभी नहीं चल रहा।

परिवार : 35 वर्षीय सुनील सोरेन सुफल सोरेन के पुत्र हैं। पत्नी शिक्षिका हैं।

राजनीतिक कॅरियर : एक बार विधायक रह चुके सुनील पिछले दो चुनावों में शिबू सोरेन को टक्कर दे रहे हैं। 

क्षेत्र के मुद्दे

राष्ट्रीय

1. विकास और पिछड़ापन : राज्य की उपराजधानी होने के बावजूद दुमका का उतना विकास नहीं हो सका जितना अन्य जिलों का। दुमका क्षेत्र अभी भी राज्य के पिछड़े जिलों में शुमार है।

2. रोजगार और पलायन : यहां के लोगों खासकर युवाओं के पास रोजगार के बहुत कम अवसर हैं। अधिसंख्य देश के दूसरे हिस्सों में पलायन करते हैं और वहां कम मेहनताना पर भी काम करते हैं।

3. गरीबी और पिछड़ापन : क्षेत्र में गरीबी और स्थानीय लोगों का पिछड़ापन बड़ा मुद्दा है। आर्थिक गतिविधियां कम होती हैं और लोगों के लिए दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल है। 

राज्यस्तरीय

1. सिंचाई संसाधनों का अभाव : यहां के किसान खेती को अपना मुख्य पेशा बनाना चाहते हैं लेकिन सिंचाई संसाधनों का अभाव इन्हें मात्र बरसात की फसल तक सीमित रखे हुए है।

2. आवागमन और यातायात : उपराजधानी होने के बावजूद यहां आवागमन और यातायात की सुविधाएं बदहाल हैं। मुख्य मार्गों को छोड़ दें तो ग्रामीण और जिलास्तर पर आने-जाने के लिए संसाधनों का अभाव है।

3. शिक्षण संस्थानों की कमी : ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षण संस्थानों की कमी है और उच्च शिक्षा के लिए यहां के छात्रों को दूसरे जिलों से लेकर दूसरे राज्यों तक में पलायन करना पड़ता है। 

स्थानीय

1. भू-जलस्तर और जलसंकट : यहां भू-जलस्तर बहुत ही नीचे होने के कारण जलापूर्ति के तमाम उपाय असफल हो जाते हैं। मसानजोर डैम से जलापूर्ति होती है लेकिन शहर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में पानी का अभाव।

2. प्राकृतिक आपदा : नदियों और पहाड़ों के बीच घिरे इस क्षेत्र के लोगों को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है और आम तौर पर ग्रामीणों को फौरी राहत नहीं मिलती।

3. खेल प्रतिभाओं को मौका नहीं : इस क्षेत्र में खेल की प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं लेकिन इन्हें इसके लिए पर्याप्त अवसर भी नहीं मिलते। तीरंदाजी समेत अन्य खेलों के लिए पर्याप्त संसाधन की कमी। 

भाजपा छीन रही झारखंड का हक : शिबू सोरेन
चुनाव झारखंड की अस्मिता से जुड़ा है। हम यहां के लोगों की हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा झारखंड के अस्तित्व को समाप्त करना चाहती है। जबतक मैं हूं, जबतक झारखंड मुक्ति मोर्चा है, तबतक यह संभव नहीं होगा। झारखंड का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश कभी सफल नहीं होगी। भाजपा नौजवानों, छात्रों, मजदूरों, किसानों और महिलाओं का हक छीनना चाहती है।

बड़े पैमाने पर लोगों को विस्थापित भाजपा ने किया है। असली और नकली के बीच लड़ाई है। हमने अलग राज्य के लिए लंबा संघर्ष किया है। आज कई लोग अलग राज्य का श्रेय लेने के लिए आगे आते हैं लेकिन झारखंड के लोग जानते हैं कि बिहार से झारखंड को पृथक करने की लड़ाई हमने लड़ी। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे आगे बढ़ाया। हम आज भी जल, जंगल, जमीन के लिए लड़ रहे हैं। सवाल सिर्फ दुमका नहीं पूरे झारखंड और देश का है। नकली लोगों के चंगुल से देश और राज्य को बचाना है। जनता का साथ लेकर हम अपने मकसद में कामयाब होंगे। झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों की जमीन कारपोरेट घरानों में सौंपने की साजिश नाकाम कर देंगे। 

आसनसोल से दुमका तक रेल लाइन लाएंगे, रोजगार और अवसर बढ़ेंगे : सुनील
भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखते हैं और कहते हैं कि उन्होंने क्षेत्र की जनता को वादा किया है कि वे आसनसोल से रेल लाइन दुमका तक लाएंगे। इससे न सिर्फ आवागमन के संसाधन बढ़ेंगे बल्कि लोगों को रोजगार के साथ-साथ अन्य कई अवसर भी मिलेंगे। रेल लाइन को गोड्डा से पाकुड़ तक ले जाएंगे। पेयजल और सिंचाई की सुविधाएं बढ़ेंगी। शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए काम करेंगे और यहां के छात्रों का पलायन रोकेंगे। दुमका से रोजगार के लिए पलायन करनेवालों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता होगी। 


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