शंकरसिंह वाघेला के पुत्र भाजपा में शामिल, राकांपा का दावा पड़ा कमजोर
शंकरसिंह वाघेला के पुत्र महेंद्र वाघेला के भाजपा में शामिल होने के बाद राकांपा का सीधे चुनाव में जाने का दावा भी कमजोर पड़ गया है।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। गुजरात में आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है। बीते तीन दशक में तीसरा मोर्चा कभी भी सफल नहीं हो सका। कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन की उम्मीद वरिष्ठ नेता शंकरसिंह वाघेला के राकांपा में शामिल होने के बाद ही समाप्त हो गई थी। अब उनके पुत्र महेंद्र वाघेला के भाजपा में शामिल होने के बाद राकांपा का सीधे चुनाव में जाने का दावा भी कमजोर पड़ गया है।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल मार्च 1990 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे, जनता दल ने उनकी लीडरशिप में वर्ष 1989 में लोकसभा की 11 सीट जीत ली थी। गुजरात में तीसरे मोर्चे की यह पहली व आखिरी बड़ी जीत थी।
गत विधानसभा चुनाव में वरिष्ठ नेता शंकरसिंह वाघेला ने कांग्रेस से अलग होकर जनविकल्प मोर्चा बनाकर तीसरे दल की मौजूदगी दर्ज कराने का प्रयास किया लेकिन 110 में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। गत दिनों वाघेला ने राकांपा सुप्रीमो शरद पवार व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल की हाजिरी में राकांपा का दामन थाम लिया लेकिन अब उनके पुत्र महेंद्रसिंह वाघेला ने फिर भाजपा की सदस्यता ले ली।
इससे शंकरसिंह के राजनीतिक प्रयासों को झटका लगा है। महेंद्र के समधी बलवंतसिंह राजपूत 2017 के राज्यसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा की राह पकड़ ली थी।
राजनीतिक विश्लेषक सुधीर रावल बताते हैं कि गुजरात के लोगों की राजनीतिक सोच हमेशा राष्ट्रीय रही है। गुजरात में लोग देश के लिए गुजरात का विकास के विचार को प्रधानता देते रहे हैं इसलिए शंकरसिंह वाघेला, केशु भाई पटेल, आम आदमी पार्टी, राकांपा,बसपा कोई भी दल व नेता गुजरात में सफल नहीं हो सका। निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी दलित राजनीति का चेहरा बन गए हैं जिससे उन्हें तीसरे विकल्प के चेहरे के रूप में नहीं देखा जा सकता है। भाजपा के मीडिया प्रभारी डॉ हेमंत भट्ट बताते हैं कि राज्य में गुजरात परिवर्तन पार्टी, जनविकल्प, राष्ट्रवादी कांग्रेस, महागुजरात जनता परिषद के रूप में कई प्रयास हुए लेकिन राष्ट्रीय दलों के अलावा कोई क्षेत्रीय दल खड़ा नहीं हो सका।
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