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Lok Sabha Election 2019 : कांग्रेस के लिए भितरघात से पार पाना बड़ी चुनौती; GROUND REPORT

Lok Sabha Election 2019. ग्रामीण क्षेत्र में वोटिंग कम होने की उम्मीद है। कारण पूछने पर शंभू कैवर्त के मुंह से निकला-कांग्रेस भितरघात से निपट पाएगी तभी मुकाबला फंस सकता है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 01 May 2019 01:56 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 01:56 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :  कांग्रेस के लिए भितरघात से पार पाना बड़ी चुनौती; GROUND REPORT
Lok Sabha Election 2019 : कांग्रेस के लिए भितरघात से पार पाना बड़ी चुनौती; GROUND REPORT

जमशेदपुर, विकास श्रीवास्तव/ जितेंद्र सिंह। Lok  Sabha Election 2019 दोपहर के 12 बजे। सिंहभूम संसदीय क्षेत्र का चुनावी हाल लेने निकले। सिंहभूम में मुख्य मुकाबला भाजपा के सिटिंग सांसद लक्ष्मण गिलुवा और महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी गीता कोड़ा के बीच है। जमशेदपुर से खरकई ब्रिज को पार करते ही सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र शुरू हो जाता है। पुल पार कर आगे बढ़ते ही चुनावी शोर से सामना हुआ। आदित्यपुर एस टाइप मोड़ के समीप बाईं ओर लाउडस्पीकर से आवाज गरज रही थी। मोड़ पर ही भगवा रंग में रंगा, चुनाव चिह्न् कमल फूल से सजा पंडाल बना था।

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पूछने पर पता चला कि कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में यहां नवजोत सिंह सिद्धू की सभा है। उसके लिए भाजपा के पंडाल के ठीक पीछे कांग्रेस का मंच है जहां से चुनावी भाषण चल रहा है। भाजपा के पीछे कांग्रेस का मंच देख अचरज होना स्वाभाविक है। वहां किसी ने कहा कि कांग्रेस का झंडा उतारकर भी भाजपा समर्थकों ने अपनी पार्टी का झंडा लगाया है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई।

बातों-बातों में साफ होती गई तस्वीर

वैसे खरकई ब्रिज से ही जगह-जगह भाजपा की बड़ी होर्डिग से सटी कांग्रेस की छोटी होर्डिग लगी दिखी। भाजपा की होर्डिग में मोदी की तस्वीर के साथ फिर एक बार-मोदी सरकार का आह्वान तो राहुल गांधी व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय की तस्वीर वाली होर्डिग पर कांग्रेस का साथ-हर हाथ को काम का प्रचार। आगे बढ़ने पर गम्हरिया, रपचा, दुगनी होते हुए सरायकेला पहुंचने के बाद लोगों की नब्ज टटोली तो कोई खुलकर कुछ नहीं बोला लेकिन बातों की बातों में जब बात आगे बढ़ी तो धीरे-धीरे तस्वीर साफ होने लगी। सरायकेला राजघराने के महल के सामने खड़े लोग बातचीत में थोड़ा सकुचाए फिर खुलने लगे। बाजार के ही अशोक शांडिल्य के मुंह से निकला, शहर में तो भाजपा को ही वोट मिलेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में कम वोटिंग का अंदेशा

ग्रामीण क्षेत्र में वोटिंग कम होने की उम्मीद है। कारण पूछने पर एक अन्य व्यक्ति शंभू कैवर्त के मुंह से निकला-कांग्रेस भितरघात से निपट पाएगी तभी मुकाबला फंस सकता है। कैसा भितरघात? इस सवाल पर थोड़ा रुकते हुए कहा- देखिए, सिंहभूम लोकसभा के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र में पांच में झामुमो के विधायक हैं। झामुमो में इस बात को लेकर असंतोष है कि महागठबंधन ने इस सीट से अपना प्रत्याशी न उतारकर यह सीट कांग्रेस को दे दी। फिर हमारा सवाल- अब तो झामुमो विधायकों की ओर से समर्थन की बात कही जा रही है। अबतक चुनावी चर्चा को सुन रहे तीसरे व्यक्ति ने कहा, सुनने और होने में फर्क है।

जमीन स्तर पर झामुमो कैडर में उत्साह का अभाव

इस बात की क्या गारंटी कि अपनी बनी-बनाई जमीन पर किसी दूसरे को घर बनाने दें। ये थे संजय सामंत। फिर बात आगे बढ़ाते हुए कहा- मैं कई इलाकों से घूम आया हूं। झामुमो के बड़े नेता भले बयान दें लेकिन जमीनी तौर पर झामुमो के कैडर में उत्साह अभी तक नहीं है। शायद वे इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि तीर-धनुष को छोड़ हाथ छाप को वोट दें और दिलवाएं।

कुनबे को एकजुट कर रही भाजपा, कांग्रेस ने भी झोंकी ताकत

सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में वैसे तो कई फैक्टर काम कर रहे हैं लेकिन उनमें कॉमन दिखी मोदी की लोकप्रियता। भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण गिलुवा पर मोदी का फेस वैल्यू हावी है। बातचीत में पता चला कि जिला भाजपा में भी गुटबाजी चल रही है, जिसे खत्म कर कुनबे को एकजुट करने की मशक्कत जारी है। जहां तक कांग्रेस की बात है तो जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र में गीता कोड़ा का प्रभाव है। इसकी वजह उनका स्थानीय होना और विधायक के रूप में लोकप्रियता है। कोड़ा वर्तमान में यहां की विधायक हैं। ठीक इसी तरह की स्थिति लक्ष्मण गिलुवा की चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र में हैं। वे विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके अलावा अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी दोनों उम्मीदवारों की पकड़ है।

परंपरागत वोटरों से कांग्रेस को वोट दिलवाना झामुमो की बड़ी चुनौती

वहीं परंपरागत वोटरों से तीर-धनुष की जगह पंजे पर वोट दिलाने की जिम्मेदारी झामुमो की है। विभिन्न इलाकों के लोगों की नब्ज टटोलते-टटोलते शाम ढलने लगी। वापसी में जगह-जगह भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ताओं की भीड़ की वजह से रौनक दिख रही थी और कहीं-कहीं कांग्रेस के कार्यालय में चहल-पहल थी। आखिर में एक बुजुर्ग मिले तो उन्होंने कहा- कई चुनाव देख चुका हूं। यहां आखिरी समय में कभी भी माहौल बदल सकता है। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव का किस्सा सुनाया कि किस तरह खरसावां से चुनाव लड़ रहे अजरुन मुंडा के साथ भाजपा समर्थक, कार्यकर्ता और यहां तक कि आम लोग मान रहे थे कि मुंडा एकतरफा जीतेंगे। लेकिन आखिरी समय में पासा पलट गया। ऐसे में अंतिम परिणाम के लिए 23 मई तक का इंतजार करना होगा, जिस दिन मतों की गिनती होगी।


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