Loksabha Election 2019 : प्रियंका के लिए कांग्रेस की वाराणसी में मौजूद रिसर्च टीम
पीएम नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी वाली यह सीट पहले ही हाइप्रोफाइल थी लेकिन यदि यहां से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ताल ठोक दिया तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा।
वाराणसी [विनोद पांडेय]। 17वें लोकसभा चुनाव में सबसे रोचक लड़ाई वाराणसी संसदीय सीट पर हो सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी वाली यह सीट पहले ही हाइप्रोफाइल थी लेकिन, यदि यहां से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ताल ठोक दिया तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा। प्रियंका को प्रत्याशी बनाए जाने के लिए कांग्रेस की रिसर्च टीम बनारस में डेरा डाल चुकी है और जातीय समीकरण साधा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पूर्वांचल के चार संसदीय सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कांग्रेस ने शनिवार को कर दिया लेकिन वाराणसी सीट पर अभी भी रहस्य बना हुआ है।
दरअसल प्रियंका के चुनाव लडऩे के कयास ऐसे ही नहीं लगाए जा रहे हैं। उसके पीछे की प्रमुख वजह खुद वह हैं। वह जब से पूर्वांचल प्रभारी बनाई गई हैं तभी से वाराणसी से चुनाव लडऩे की चर्चा जोर पकडऩे लगी है। बतौर पूर्वांचल प्रभारी जब पहली बार वह वाराणसी आई तो पत्रकारों ने उन्हें कुरेदा भी था। लेकिन, चुनाव लडऩे के बाबत हर प्रश्न को उन्होंने केवल यह कहकर टाल दिया कि पार्टी चाहेगी तो चुनाव जरूर लड़ूंगी। चुनावी हवा जैसे जैसे तेज होती जा रही है वैसे प्रियंका के लडऩे की संभावना भी बलवती होती जा रही है।
पार्टी सूत्र का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की रिसर्च टीम काफी दिनों से वाराणसी में डेरा डाले हुए है। रिसर्च टीम जातीय आंकड़ों पर समीकरण को साध रही है। खासकर ब्राह्म्ण, मुस्लिम को तो शुरू से पार्टी अपना मान रही है। अब निषाद बिरादरी को और जोड़ा गया है। निषाद बिरादरी जोडऩे के पीछे यह बताया जा रहा है कि प्रियंका के गंगा यात्रा के दौरान इस बिरादरी को काफी लाभ हुआ था। प्रियंका उनकी खुद की मुश्किलों को भी हल करने का वादा किया था। अब रिसर्च टीम जैसे ही जातीय आंकड़े को पार्टी के हवाले करेगी, उसके परिणाम को देख प्रियंका को चुनाव मैदान में उतार दिया जाएगा।
वैसे भी गंगा यात्रा के दौरान ही भदोही, मीरजापुर और वाराणसी में गंगा किनारे उन्होंने जनता से सीधा संवाद कर जनता की नब्ज भी टटोलीं थीं। उस समय राजनीतिक पंडितों ने भी माना था कि प्रियंका की चाल-ढाल व बातचीत में चुनाव लडऩे के संकेत दिख रहे है। दिन बीते तो धीरे-धीरे लोगों की जेहन से यह बात भी निकल गई। लेकिन, आज फिर एकबार उनके चुनाव लडऩे के बाबत हवा तेज हो गई है।
पार्टी सूत्र का कहना है कि यदि प्रियंका यहां से चुनाव मैदान में उतरी तो पीएम मोदी को कड़ी टक्कर देंगी। कड़े मुकाबले का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि अमेठी रायबरेली की तरह यहां भी सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी नहीं उतारेगा। वैसे भी वाराणसी संसदीय सीट पर पीएम मोदी के विरोध में अभी तक किसी भी पार्टी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। इस बाबत नई सड़क निवासी हबीबुल्ला अंसारी कहते हैं कि प्रियंका आईं तो मुस्लिमों का अधिसंख्य मत उन्हीं को मिलेगा। अभी दो चुनाव पहले वाराणसी संसदीय सीट पर कांग्रेस का ही तो कब्जा था। वहीं सिगरा निवासी प्रतिमा तिवारी का कहना है कि मेरी जानकारी में वाराणसी संसदीय सीट पर कभी महिला प्रत्याशी को नहीं उतारा गया ऐसे में प्रियंका आती हैं तो आधी आबादी का झुकाव जरूर होगा। इस संबंध में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कृष्णकांत पांडेय से जब वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि वाराणसी में प्रियंका के चुनाव लडऩे की बात अभी तय नहीं है।