LokSabha Election : जनता के लिए दिखाई दरियादिली, बस इन साहब से रूठे
अंबाला लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे रतन लाल कटारिया को 25 करोड की राशि मिलेगी लेकिन उन्होनें इससे ज्यादा विकास कार्यों की झड़ी लगा दी। हालांकि मंत्री विज के साथ मनमुटाव जगजाहिर है।
पानीपत/अंबाला, [दीपक बहल]। अंबाला लोकसभा क्षेत्र में विकास के लिए सांसद रतन लाल कटारिया को भले ही 25 करोड़ रुपये की राशि मिलनी हों लेकिन 704 विकास कार्यों के लिए 34 करोड़ रुपये के विकास कार्य मंजूर करवा दिए। कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो तकनीकी कारणों से शुरू नहीं होंगे, इसलिए यह फंड दूसरे विकास कार्य में तब्दील हो जाएगा। सन 1999 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लडऩे वाले कटारिया दो बार इसी सीट से लगातार हार चुके हैं, जबकि 2014 में जीत का एक बड़ा रिकार्ड कायम कर लिया। भले ही अंबाला जिले के दो विधायक कटारिया के खासमखास हैं वहीं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और उनके बीच में अक्सर मनमुटाव नजर आता है।
विज के विस में सबसे कम दिखी कटारिया की दरियादिली
अंबाला लोकसभा क्षेत्र में अंबाला जिले की चार विधानसभा हलकों की बात करें, तो सबसे कम अंबाला छावनी विधानसभा में खर्च हुआ है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज जिस विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। छावनी विधानसभा क्षेत्र में 93.56 लाख रुपये का बजट पास हुआ। करीब 16 में से 12 काम पूरे हो चुके हैं, जबकि तीन पर काम चल रहा है। एक कार्य अभी शुरु होना है। अब तक 78.26 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं।
सबसे अधिक दरियादिली मुलाना विधानसभा क्षेत्र में
मुलानाक्षेत्र में 525.23 लाख रुपये के 124 विकास कार्य करवाए गए, जिनमें से 104 का काम पूरा हो चुका है, जबकि 12 पर काम चल रहा है। इस हलके में 8 पर कार्य शुरू नहीं हो पाया है। नारायणगढ़ में 43 कार्यों के लिए 281 लाख रुपये पास किए गए, जिनमें से 33 पर काम पूरा है, जबकि 7 पर काम चल रहा है और तीन कार्य अभी शुरू नहीं हो पाए हैं। इसी प्रकार अंबाला शहर में 261.45 लाख रुपये में से 47 विकास कार्य मंजूर किए गए, जिनमें से 42 पर काम पूरा हुआ है, जबकि तीन पर काम पेंडिंग हैं और 2 पर काम शुरु नहीं हुआ। अंबाला जिला में 1161.64 लाख रुपये मंजूर हुए हैं, जिनमें से 14 काम अभी शुरू नहीं हो पाए हैं।
धनराशि खर्च करने में अंबाला अव्वल, पंचकूला तीसरे नंबर पर
अंबाला लोकसभा क्षेत्र की नौ विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो अंबाला जिला में सांसद निधि कोष से सबसे ज्यादा फंड खर्च हुआ है। कुल 1151.11 लाख रुपये अंबाला की चार विधानसभा हलकों में खर्च हुआ। साल 2015-16 में 294.06 लाख, 2016-17 में 277.50 लाख रुपये, 2017-18 में 421.05 लाख रुपये और अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक 158.50 लाख रुपये खर्च हुए। इन में 14 विकास कार्य शुरू ही नहीं हो पाए, जबकि 230 में से 191 कार्य पूरे हो चुके हैं और 25 पर काम चल रहा है। इसी प्रकार यमुनानगर, जगाधरी, सढौरा में 2015-16 में 258.60 लाख, 2016-17 में 116.50 लाख रुपये, 2017-18 में 120 लाख रुपये और अपै्रल 2018 से जनवरी 2019 तक 54 लाख रुपये खर्च हुए। यमुनानगर में 134 में 119 काम पूरे हो चुके हैं, जबकि 14 पर कार्य चल रहा है और एक कार्य शुरू ही नहीं हो पाया। इसी प्रकार पंचकूला, कालका में 2015-16 में 63.50 लाख, 2016-17 में 143.70 लाख रुपये, 2017-18 में 22 लाख रुपये और अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक 71.38 लाख रुपये खर्च हुए। यहां पर 49 विकास कार्यों में से 34 पर काम पूरा हो चुका है, 7 पर काम चल रहा है, जबकि 8 पर काम शुरू नहीं हो पाया।
बड़ा मुद्दा, चार दशक में नहीं बिछी रेल लाइन
चंडीगढ़-नारायणगढ़-जगाधरी रेल लाइन का प्रोजेक्ट बीते चार दशकों से अधर में लटका हुआ है। इस दौरान केंद्र में सरकारें बदलती गई, लेकिन यह प्रोजेक्ट अधर में ही रहा और लोग भी इस क्षेत्र में रेल लाइन का इंतजार करते रहे हैं। करीब 91 किलोमीटर के इस प्रोजेक्ट पर 876 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। राजनीति में लटके रहे इस प्रोजेक्ट पर लोगों की निगाहें रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस प्रोजेक्ट के लिए निशुल्क जमीन देने को तैयार नहीं रहे, जबकि कुछ अन्य पेंच भी रहे। इसी को लेकर मौजूदा सांसद रतनलाल कटारिया ने दावा किया था इस बार यह प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा, लेकिन यह मामला अभी तक आगे नहीं बढ़ पाया है। इस प्रोजेक्ट को लेकर सांसद कटारिया ने रेल राज्य मंत्री से बीते साल पत्राचार भी किया, जिसमें रेल राज्य मंत्री ने इस प्रोजेक्ट की वस्तुस्थिति से अवगत कराया है। आज भी लोग इस रेल लाइन के शुरु होने की उम्मीद में हैं।
स्टेशन की सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा
अंबाला जैसे संवेदनशील रेलवे स्टेशन की सुरक्षा आज भी चिंता का विषय है। हरियाणा ही नहीं बल्कि यहां से पड़ोसी राज्य पंजाब, हिमाचल प्रदेश आदि के लोग भी यहीं से ट्रेन में सवार होते हैं। ऐसे में चारों दिशाओं से खुला रेलवे स्टेशन सुरक्षा की दृष्टि के कारण सेफ नहीं लगता। स्टेशन में बेरोक-टोक लोगों का आना-जाना रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है। सीसीटीवी कैमरे लगे हैं लेकिन अप-डाऊन लाइन में आने-जाने वाली ट्रेनों से उतरने-सवार होने वाले यात्री इसमें कैद नहीं हो पाते। कैमरों की क्वाल्टी को लेकर भी सवाल उठ चुके हैं।
रतनलाल कटारिया का लोकसभा में प्रदर्शन
लोकसभा में कटारिया के प्रदर्शन की बात करें तो 2014 में वे दूसरी बार सांसद बने थे। 67 वर्षीय कटारिया ने दिसबंर 2018 तक 116 चर्चाओं में हिस्सा लिया, जबकि राज्य का औसत मात्र 58.5 और राष्ट्रीय औसत 63.8 का है। हालांकि उन्होंने एक भी प्राइवेट मेंबर बिल तो पेश नहीं किया, लेकिन हां प्रश्न पूछने के मामले में वे काफी आगे रहे। दिसंबर 2018 तक उन्होंने 319 प्रश्न पूछे। कटारिया ने संसद में 98 प्रशितत उपस्थिति दर्ज कराई।
100 करोड़ का प्रोजेक्ट पर लगा ग्रहण
देश का साइंस कारोबार अंबाला लोकसभा क्षेत्र की अंबाला छावनी विधानसभा से संबंध रखता है। अंबाला की छोटी-बड़ी हजारों साइंस इकाइयों 120 साल पुरानी इंडस्ट्री आज भी उस पहचान को तरस रही है जो उसे दशकों पहले मिल जानी चाहिए थी। अंबाला को साइंस सिटी का दर्जा देने की मांग परसो पुरानी है। सन 1896 में हरगोलाल एंड संस द्वारा साइंस उपकरणों की दिशा में उठाया कदम आज सैकड़ों साइंस इकाइयों में तबदील हो चुका है। साइंस कारोबार के मामले में देश में अंबाला का अपना एक तजुर्बा एक पहचान है। सालाना विदेशों में 500 करोड़ का निर्यात होता है। इसके बावजूद न तो सरकारी स्तर पर और न ही कारोबारियों के स्तर पर इस उद्योग के विस्तार के लिए एक शोध संस्थान तक स्थापति नहीं किया है। शिलान्यास के वक्त से ही सियासती दांव पेंच में फंसा रहा टूल रूम 23 अक्टूबर 2013 में साहा में स्थापित किए गए ईएसएमई टेक्नोलॉजी सेंटर(टूल रूम) का। जिससे अंबाला के उद्योग को एक नई दिशा मिलनी थी लेकिन मामला शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ पाया। साहा में बनने वाला टेक्नोलॉजी सेंटर के निर्माण पर 100 करोड़ रुपये खर्च होने थे। राज्य सरकार की तरफ से 10 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई गई थी। इंडस्ट्री के लिए शोध व स्किलड लेबर देने को लेकर काम नहीं हुआ। शुरू से ज्यादातर इकाइयां छोटी छोटी दुकानों में चल रही हैं। जहां से इनका आगे विस्तार नहीं हुआ। छोटे-छोटे प्लाट उपलब्ध करने की मांग तक पूरी नहीं हो सकी।
ये विधानसभा क्षेत्र शामिल
अब अंबाला लोकसभा सीट में पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर (रादौर विधान सभा को छोड़कर), इसमें कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला छावनी, अंबाला शहर, मुलाना, सढौरा, जगाधरी और यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र हैं।