Lok Sabha Election 2019: BIG ISSUE: जनप्रतिनिधियों की नाक तक नहीं पहुंच सकी है जहरीली हवा
झरिया तो प्रदूषण के लिहाज से देश में पहले नंबर पर है। धनबाद कोयलांचल की बात करें तो यहां वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत कोयला खदान से हो रहे उत्पादन एवं कोल ट्रांसपोर्टेशन है।
धनबाद, आशीष सिंह। देश की अर्थव्यवस्था की मदद को धनबाद के गर्भ से कोयला निकला तो यहां के लोगों को प्रदूषण रूपी काला धुआं भी मिला। हवा, मिट्टी और पानी तक प्रदूषित हो चुका है। कितनी सरकारें आईं और गईं, लेकिन धनबाद में प्रदूषण की स्थिति जस की तस बनी हुई हैं। धनबाद के माथे से प्रदूषण का दाग धोने के लिए एक्शन प्लान भी बना, लेकिन इस पर काम नहीं हो सका है। हालांकि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर अगले छह साल में बदलाव की बात कर रहे हैं। इन सबके बीच जनप्रतिनिधियों की भूमिका सवालों के घेरे में है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि दो साल में पीएम 10 में वृद्धि है। झरिया और कुसुंडा सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र में शुमार हैं। झरिया तो प्रदूषण के लिहाज से देश में पहले नंबर पर है। धनबाद कोयलांचल की बात करें तो यहां वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल के खदान में हो रहे उत्पादन एवं कोल ट्रांसपोर्टेशन है। इसके अलावा वाहनों की संख्या में वृद्धि होना, यातायात की सुदृढ़ व्यवस्था का न होना भी वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में शुमार है। शहर में भारी वाहनों का प्रवेश, कोयला लदी खुली गाडिय़ां और शहर में चलने वाले पुराने वाहन प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहे हैं। जिला परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2009 से लेकर मार्च 2019 तक लगभग साढ़े तीन लाख गाडिय़ां धनबाद की सड़कों पर धुआं उड़ा रही हैं।
क्या है पीएम 10: पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, लेकिन जिले में कई जगह यह 300 पार कर चुका है। पिछले दो वर्षों में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। झरिया और कुसुंडा का क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषित है। झरिया के अग्नि प्रभावित क्षेत्र में ऑक्सीजन की भी कमी है। पीएम 10 से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन न तो सरकार न ही प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है।
एक वर्ष पहले वायु प्रदूषण की स्थिति (पीएम10)
- क्षेत्रीय कार्यालय धनबाद : 175.68
- माडा, नजदीक आरएसपी कॉलेज झरिया : 302.68
- पीडीआइएल सिंदरी : 147.40
- बस्ताकोला : 257.34
- कुसुंडा : 294.18
नोट : आंकड़े वार्षिक औसत पर आधारित।
वायु प्रदूषण की मौजूदा स्थिति (पीएम10)
-क्षेत्रीय कार्यालय धनबाद : 234.86
- माडा, नजदीक आरएसपी कॉलेज झरिया : 334.63
- पीडीआइएल सिंदरी : 133.90
- बस्ताकोला : 266.32
- कुसुंडा : 317.06
नोट : आंकड़े वार्षिक औसत पर आधारित। पीएम 10 का सामान्य स्तर 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए।
नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार मानक
0-50 : अच्छा
51-100 : संतोषजनक
101-200 : सुधार
201-300 : खराब
301-400 : बहुत खराब
401-500 : खतरनाक
फैक्ट फाइल
- मौजूदा समय में शहर का वायु प्रदूषण का स्तर औसत 205 से 273 रेसपिरेबल सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) रहता है। यह सामान्य यानी 100 आरएसपीएम से अधिक है।
- झरिया में 304 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर एसपीएम तक चला जाता है।
- वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैस सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और धूल के कण आरएसपीएम (रेस्पाइरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) एवं एसपीएम (सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) मिलकर इसमें इजाफा कर रहे हैं।
- एक डीजल वाली कार में तीन पेट्रोल वाली कारों के बराबर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर होता है।
- चिमनियों या जेनरेटर आदि से निकलने वाला धुआं भी बड़ा कारण है।
- अधिक नुकसान सड़क पर उड़ती हुई धूल से होता है। कोलियरी क्षेत्र से निकलने वाले कोयला लदे ट्रक धनबाद शहर को प्रदूषित करने में महत्वपूर्ण निभा रहे हैं।
- प्रतिदिन मनुष्य 22000 बार सांस लेता है। इस प्रकार प्रत्येक दिन में वह 16 किलोग्राम या 35 गैलन वायु ग्रहण करता है।
एक हजार गैलन पेट्रोल का उपयोग करने वाले वाहन द्वारा उत्सर्जित पदार्थ
उत्सर्जी पदार्थ मात्रा (किग्रा में)
कार्बन मोनोऑक्साइड 1280
कार्बनिक वाष्प 80 से 160
नाइट्रोजन ऑक्साइड 8 से 30
विभिन्न एल्डिहाइड 7.2
गंधक के यौगिक 6.8
कार्बनिक अम्ल 0.8
अमोनिया 0.8
जस्ता व अन्य धातुओं के ऑक्साइड 0.13
वायु प्रदूषित गैसों की असहनीय सीमाएं
प्रदूषित गैस अधिकतम सहनीय सीमा
कार्बन मोनोऑक्साइड 8 घंटे
नाइट्रोजन ऑक्साइड 24 घंटे
सल्फर डाईऑक्साइड 24 घंटे
हाइड्रोकार्बन यौगिक 30 घंटे
रसायनिक ऑक्साइड 1 घंटे
कोयले की राख भी फैला रही प्रदूषण
यहां के कोयले में अन्य देशों के कोयले की तुलना में 25 से 40 प्रतिशत तक फ्लाई ऐश होता है। गंधक की मात्रा एक प्रतिशत कम होती है, जिसकी वजह से 200 मेगावाट का बिजलीघर लगभग 50 टन सल्फर डाईऑक्साइड तथा 50 टन से अधिक कालिख बाहर फेंकता है। कोयले को जलाने पर अपशिष्ट के रूप में जो राख उत्पन्न होती है, वह बाहर फेंक दी जाती है। यह राख हवा के माध्यम से उड़कर वायुमंडल को प्रदूषित करती है। वाहन और कोयले के साथ-साथ कोयलांचल के विभिन्न क्षेत्रों में लगी भूमिगत आग भी यहां के पर्यावरण को प्राणघातक नुकसान पहुंचा रही है।
वर्जन
समय-समय पर बीसीसीएल समेत अन्य इकाइयों को चेतावनी दी जाती रही है। कोयला और गाडिय़ों से वायु प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी हो रही है, इस पर विभाग नजर रख रहा है। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी लगातार जानकारी दी जाती है। बोर्ड नोटिस देता है। विभाग इस पर संज्ञान ले रहा है, एक्शन प्लान पर भी काम हो रहा है।
- आरएन चौधरी, क्षेत्रीय पदाधिकारी झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
इसमें कोई शक नहीं कि धनबाद को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। धनबाद का नागरिक होने की वजह से हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। आने वाले छह माह में बदलाव दिखेगा। धनबाद को प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए एक्शन प्लान पर काम हो रहा है। पीएसयू क्षेत्र की कंपनियों को प्रदूषण का स्तर ठीक करने को कहा गया है, इसके बाद इसे धीरे-धीरे और कम किया जाएगा। लापरवाही होने पर कड़ा निर्णय लेंगे।
- राजीव शर्मा, बोर्ड मेंबर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद
कोल कंपनियों को बोर्ड का निर्देश
- इन्वायरमेंट क्लीयरेंस के नियम का कड़ाई से पालन करें।
- कोयला ढुलाई के समय गाडिय़ों पर सिर्फ तिरपाल नहीं ढकना है, बल्कि पूरा पैक करना है।
- कोयला लोड करके उतरी सतह पर पानी का छिड़काव जरूरी।
- कोयला क्षेत्र में डस्ट कलक्टर का नियमित रूप से काम करे।
- स्प्रिंकलर सिस्टम से लगातार पानी का छिड़काव, ताकि धूलकण न उड़े।
- कोलियरियों में कार्यरत मजदूरों को पीएम 10 से बचने के लिए मास्क दिया जाए।
- हाइवा चालकों को भी स्वस्थ वातावरण मिले।
- बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल सरीखी कंपनियां अपने यहां रियल टाइम मॉनीटङ्क्षरग सिस्टम अनिवार्य रूप से लगाएं।
धनबाद में प्रदूषण की स्थिति तो बेहद खराब है। प्रशासन और जनप्रतिनिधि दोनों मौन हैं। कोई भी सरकार हो, स्थिति वैसी ही बनी हुई है। इसमें सुधार लाना होगा। प्रदूषण का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ता है। धनबाद के लोगों को भी सामने आना होगा। इसके लिए तो जनजागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। अपने स्तर से छात्रों को जागरूक करने का प्रयास करेंगे।
- प्रदीप कुमार झा, शिक्षक
वाहनों का धुआं इतना निकलता है कि सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है। बिना मुंह ढके तो शहर में घूम ही नहीं सकते। झरिया की स्थिति तो बेहद खराब है। एक बार जाकर देखिए, पहना हुआ कपड़ा काला हो जाता है। कोयला लदी गाडिय़ां तो ऐसे डस्ट उड़ाती हैं कि बंद गाड़ी में भी चलना दूभर हो जाता है।
- प्रियंका कुमारी, शिक्षिका