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Lok Sabha Election 2019: नेताजी की ऐंढन नाकाम, नए पैतरे की आजमाइश

Lok Sabha Election 2019. आजकल पांडेय जी काफी चर्चा में हैं। पहले तो टिकट नहीं मिलने पर खूब एंठे। अब तो टिकट काटनेवाले प्रत्याशी के समर्थन में घूमने लगे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 08:00 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 08:00 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: नेताजी की ऐंढन नाकाम, नए पैतरे की आजमाइश
Lok Sabha Election 2019: नेताजी की ऐंढन नाकाम, नए पैतरे की आजमाइश

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। Lok Sabha Election 2019 - झारखंड में हो रहे चार चरणों के लोकसभा चुनाव के लिए दो चरण में नामांकन का काम पूरा हो गया है। अब प्रचार भी रंगत पकड़ने लगी है। यहां के सियासी गलियारे में रुठने-मनाने से लेकर अनदेखी तक का खेल चल रहा है। सुबह का कोई भूला शाम को घर लौटने की ताक में है, तो कोई नया घर तलाश रहा है। आइए जानें सत्ता के गलियारे की हलचल के बारे में...

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अपना घर तो अपना घर है

कभी लालबाबू के साथ ही खुद को कमल दल से किनारा कर लिया था। त्याग बड़ा था तो कंघी के सहारे झारखंड का भविष्य संवारने की महती जवाबदेही मिल गई। साहब दल के महान सचिव बना दिए गए। यहां दशक भर लालबाबू के साथ कदमताल की, पंरतु लोहरदगा वाले महान सचिव की प्रधान महान सचिव से नहीं पटी। लिहाजा कंघी से भी नाता तोड़ लिया। लगभग दो वर्ष तक राजनीति से दूर रहे तो बेचैनी परवान चढ़ी। राज्य में चुनावी रंग चढ़ा तो फिर घर लौट आए। अब लालबाबू भी कह रहे सुबह का भूला, शाम में घर लौट आए तो इसे भूला नहीं कहते। आखिर अपना घर तो अपना घर है।

पांडेय जी का नया खेला

आजकल पांडेय जी काफी चर्चा में हैं। पहले तो टिकट नहीं मिलने पर खूब एंठे। अब उनका सुर ही बदल गया है। अब तो टिकट काटनेवाले प्रत्याशी के समर्थन में घूमने लगे हैं। कहते हैं, पहले जो हुआ वह दूसरा खेला था जो खत्म हो गया। अब तो पांडेय जी ही बता सकते हैं कि उनका नया खेला क्या है? कहीं से दबाव मिला या कुछ और...? जो भी हो, वे कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। अब देखना है कि उनके नए खेल का नतीजा किसके पक्ष में जाता है। राजनीति के गलियारे में तो चर्चा है कि उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े सदन में भेजने का आश्वासन भी मिला है। 

घर की मुर्गी दाल बराबर
हाथ वाली पार्टी में वीआइपी नेताओं की कोई कमी नहीं है। एक से एक वीआइपी। इसके बावजूद प्रचार सूना-सूना लग रहा है। कारण यह कि राज्य के वीआइपी को तो कोई भाव देता ही नहीं। थोड़ा सा वैल्यू है कि दूसरे दल का कोई बड़ा नेता आए या फिर दिल्ली से किसी का दौरा तय हो। दिल्ली से कोई आया नहीं है। इस कारण हाथ पार्टी के लोग हाथ पर हाथ मल रहे हैं। पहला चरण बीतने को है लेकिन इन्हें अभी भी अपने हिसाब से वीआइपी नेताओं का इंतजार है।


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