मोदी-मोदी के शोर को रोकने में मोदी खुद हुए लाचार, भावविभाेर हो हाथ हिलाते रहे...
मोक्ष और ज्ञान की धरती गया में खचाखच भीड़ के बीच मंगलवार को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गांधी मैदान स्थित सभा स्थल पर आगमन हुआ तो हर तरफ बस यही शोर था-मोदी! मोदी!
गया [अश्विनी]। मोक्ष और ज्ञान की धरती गया में खचाखच भीड़ के बीच मंगलवार को जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गांधी मैदान स्थित सभा स्थल पर आगमन हुआ, तो हर तरफ बस यही शोर था-मोदी! मोदी! इस शोर को रोक पाने में खुद मोदी लाचार हो गए थे।
वे कुछ देर तक हाथ हिलाते रहे। जनता मंच से काफी दूर थी, पर बड़े स्क्रीन पर नजरें गड़ाए इस तरह भावविभोर, जैसे महज फीट भर की दूरी हो। उनका हाथ हिलाते रहना, भीड़ का मोदी-मोदी नारे लगाते रहना, यह सब कुछ देर तक चला। यह अंदाज बता रहा था कि जनमानस किसी को अपने नायक के रूप में चाहता है तो फिर किस हद तक। इसे यहां साफ महसूस किया जा सकता था।
वे चौकीदार कहते हुए आगे बढऩा ही चाहते थे कि भीड़ ने रोक दिया- मोदी! मोदी! वह भीड़ इन नारों से जैसे गुजारिश कर रही हो, कोई प्रमाण देने की जरूरत नहीं। ढोल-नगाड़े बजाकर नाचते-गाते लोग। गांधी मैदान में तिल रखने की जगह नहीं। उतनी ही भीड़ बाहर।
100 किलोमीटर दूर करपा, अरवल से आए मधुसूदन ठाकुर इसी भीड़ में धक्के खा रहे हैं, पर एक ललक कि जरा बैरियर पर खड़े होकर मोदी को ठीक से निहार लें। वे कहते हैं, बस मोदी को देखने आ गए हैं। गुरुआ का एक युवक काम खत्म कर घर लौट रहा था। यहां क्यों आए? वह युवक कहता है, सुने मोदी जी आने वाले हैं।
राजनीतिक जुड़ाव या दलीय प्रतिबद्धता अपनी जगह, पर इस भीड़ में आम जमात के चेहरे पर मोदी को अपने नायक के रूप में देखने का उत्साह साफ पढ़ा जा सकता था। भीड़ ने बैरियर तोड़ दी। उन्हें रोक पाना मुश्किल था, पर मोदी के आते ही जो जहां, वहीं खड़े। यह एक राजनेता के प्रति जनता का स्नेहिल और अनुशासित भाव भी दर्शा रहा था।
मोदी ने भी बातें नेशनल-इंटरनेशनल नहीं की, लेकिन जिस तरह गांव-कस्बों की मिट्टी से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के परिवेश को समझाया, लोगों ने उसे गंभीरता से सुना। अब एक करोड़ से भी ज्यादा विदेशी पर्यटकों के आने से गया-बोधगया जैसे पर्यटन वाले शहरों पर पडऩे वाले आर्थिक असर को समझाया।
12वीं का एक छात्र राहुल अपने दोस्तों के कंधे पर सवार होकर वीडियो बना रहा है। भाषण के बीच ही चिल्लाता है-ठीक कहे...। यह नई पीढ़ी की प्रतिक्रिया थी। बात जैसे ही आतंकवाद पर हुई, लोगों के अंदर की आग जैसे भड़क उठी हो। अब नारों के साथ दोनों हाथ भी उठ रहे थे। हर शहर और वहां की हासा-भाषा से जुडऩे का अंदाज भी लोगों को बांध गया, जब मोदी ने मगध की धरती पर मगही में कहा-अपने सब के अभिनंदन करइइथ हियै...।