Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: नेताओं के दिल मिले, कार्यकर्ताओं के हाथ नहीं

Lok Sabha Election 2019. इस बार चुनाव में सभी दलों के लिए कार्यकर्ताओं को संभालना मुश्किल होगा। दूसरे दलों के नेताओं के पीछे झंडा लेकर चलना इतना आसान नहीं होगा।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 09:37 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 09:39 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: नेताओं के दिल मिले, कार्यकर्ताओं के हाथ नहीं

रांची, [आशीष झा] । Lok Sabha Election 2019 - रहिमन प्रीति न कीजिए जस खीरा ने किन। ऊपर से तो दिल मिला, भीतर फांके तीन। राजनीति में रहिमन के इस दोहे को अपनाने से पार्टियां दूर भागती रहीं हैं लेकिन वास्तव में सभी को इस तरह की स्थिति से रू-ब-रू होना पड़ता है। इसके बावजूद इस तरह की प्रीति के चश्मदीद हम सभी हैं। जो पार्टियां पांच साल तक एक दूसरे से दूर-दूर और अलग-अलग गतिविधियां संचालित करती हैं वे ही अचानक कार्यकर्ताओं को दिल मिलाकर चलने का निर्देश दे देती हैं। ऐसे में दिल का मिलना और गुटों को साधना बड़ी चुनौती है। राजग और विपक्षी महागठबंधन भी इस परिस्थिति से अछूता नहीं।

loksabha election banner

सबसे बड़ी चुनौतियों में शामिल है कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए तैयार करना कि वे दूसरी पार्टी का झंडा ढोने को तैयार हों या फिर दूसरी पार्टी के बैनर तले काम करें। इतना ही नहीं, दूसरे दलों के कार्यकर्ता मान भी गए तो नेताओं को मनाना उतना ही मुश्किल। नेता न भी मानें तो कम से कम चुप रहें, यही लक्ष्य लेकर पार्टियां चल रही हैं। इसके बावजूद दिल मिलने की संभावना प्रबल नहीं है।

खासकर विपक्षी महागठबंधन में। कई वरीय नेता टिकट के लिए दिन-रात एक किए हुए थे और अब वही नेता दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों को हराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। खुलकर नहीं तो अंदर-अंदर ही जिताने से अधिक हराने की गतिविधियां संचालित हो सकती हैं। दोनों गठबंधनों में राजग के सामने चुनौती अधिक गंभीर नहीं है और इस चुनाव में दो दल जदयू और लोजपा कम से कम कोई अड़चन पैदा नहीं करने जा रहे वहीं आजसू को एक सीट मिल गया है तो विवाद के लिए अधिक सीटें नहीं बची हैं।

मुसीबत विपक्षी महागठबंधन के सामने अधिक है। राजद और वामपंथी पहले से ही मुंह फुलाए हुए हैं। गोड्डा में कांग्रेस और झाविमो की दावेदारी और दोनों पार्टियों के बीच का झगड़ा किसी से छिपा नहीं है। अभी भी शह-मात का खेल चल रहा है। इस तरह की आधा दर्जन से अधिक सीटें हैं जहां दो या अधिक दलों की दावेदारी है। इन सीटों पर नेता भले ही चुप बैठ जाएं, कार्यकर्ताओं को चुप करना आसान नहीं होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.