Lok Sabha Election 2019: नेताजी को सता रही साथियों की खामोशी
Lok Sabha Election 2019. यह मंत्रीजी का चुनाव क्षेत्र है। दो टर्म सांसद रहे हैं। पिछली बार मोदी लहर में भी बड़ी मामूली फासले से जीते थे।
रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - पुरानी पार्टी के उम्मीदवार को अपने ही साथियों की खामोशी परेशान कर रही है। चिंता सता रही है कि यही हालत रही तो आसान चुनावी सफर कहीं कठिन न साबित हो जाए। यह मंत्रीजी का चुनाव क्षेत्र है। दो टर्म सांसद रहे हैं। पिछली बार मोदी लहर में भी बड़ी मामूली फासले से जीते थे। हालांकि, इलाके में अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में शरीक हो जाते हैं। आम आदमी की उन तक पहुंच है।
दूसरा कोई मजबूत दावेदार नहीं था इसलिए पार्टी ने उन्हें ही पुन: आजमाने का निर्णय किया है। पुरानी पार्टी के उम्मीदवार को संसद पहुंचने का यह बेहतर मौका लग रहा है। सवाल सहयोगियों के सहयोग का है। पुरानी पार्टी से तीन मजबूत दावेदार थे। यही उम्मीदवार महोदय के लिए चिंता का करण बने हुए हैं। दो टर्म हार चुके को किनारे करते हुए पार्टी ने नए उम्मीदवार को आजमाया है। दूसरे वर्दी वाले साहब भी टिकट से वंचित रह गए।
पार्टी में संगठन के स्तर पर उनकी ठीकठाक पकड़ है। हालांकि कभी विधायक नहीं रहे। पत्नी विधायक और मंत्री दोनों रह चुकी हैं। इलाके के लिए दामाद बाबू हैं। सास और ससुर दोनों सांसद रहे। उस हिसाब से इनकी पुरानी जमीन रही है। टिकट से वंचित होने के बाद वर्दी वाले दोनों साहब खामोश हो गए हैं। उनकी खामोशी उम्मीदवार महोदय को डरा रही है।
नुकसान खामोशी से भी है। निगेटिव पैरवी हुई तो बेड़ा गर्क भी हो सकता है। उम्मीदवार महोदय का प्रबंधन देखने वाले ने कहा कि साहब के लिए चिंता की कोई बात नहीं है। खुद विधायक हैं, पार्टी के प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं। पत्नी की भी राजनीतिक जमीन है और आर्थिक मोर्चे पर भी मजबूत हैं।