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Lok Sabha Election 2019: RJD का बहका सुर-कांग्रेस से नहीं मिल रही ताल, झारखंड में महागठबंधन दो फाड़

Lok Sabha Election 2019. झारखंड में विपक्षी महागठबंधन की बुरी स्थिति है। धरातल पर तालमेल नहीं दिख रहा। आपस में ही पार्टियों के कई सीनियर नेता भिडऩे को आतुर हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 08:14 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 01:14 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: RJD का बहका सुर-कांग्रेस से नहीं मिल रही ताल, झारखंड में महागठबंधन दो फाड़
Lok Sabha Election 2019: RJD का बहका सुर-कांग्रेस से नहीं मिल रही ताल, झारखंड में महागठबंधन दो फाड़

रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 - झारखंड में विपक्षी महागठबंधन की कवायद धरातल पर सफल होती नहीं दिख रही है। महागठबंधन में शामिल दल के कई नेता एक-दूसरे के खिलाफ भिडऩे को आतुर हैं। कार्यकर्ता भी असमंजस की स्थिति में हैं। हालात यह है कि एक-दूसरे के खिलाफ दिनोंदिन विषवमन बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी गीता कोड़ा को झामुमो के नेता साथ नहीं दे रहे हैं तो कांग्रेस भी कम नहीं है। कहीं राजद तो कहीं झाविमो के खिलाफ मोर्चेबंदी चल रही है। ऐसे में कहीं भी मोर्चा एकजुट नहीं दिख रहा।

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सिंहभूम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहीं गीता कोड़ा के साथ झामुमो विधायक और उनके समर्थकों का असहयोग किसी से छिपा नहीं है। कांग्रेस इस बात को झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन तक पहुंचा चुकी है। यहां अभी तक माहौल सामान्य करने की कोशिशें नहीं दिख रही हैं। शीघ्र ही इस क्षेत्र में स्टार प्रचारकों की आमद होनी है और इस दौरान इन पार्टियों के नेताओं की गतिविधियां देखनी होगी।  

चतरा सीट पर पहले ही कांग्रेस और राजद एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अभी तक यहां महागठबंधन के अधिकृत प्रत्याशी को लेकर तनातनी चल रही है। इतना ही नहीं राजद प्रत्याशी ने जब अपने चुनाव प्रचार अभियान में साथी दलों के नेताओं की तस्वीरें लगाईं तो कांग्र्रेस ने इसपर आपत्ति जता दी। बेहतर समन्वय का दावा कर रहे महागठबंधन के नेता अबतक इसकी अनदेखी कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि दोनों दल चुनाव में दोस्ताना संघर्ष करेंगे। कोई अपना पांव पीछे खींचने को तैयार नहीं है।

कुछ ऐसी हीं स्थिति गोड्डा में देखने को मिल रही है। सीट शेयरिंग फार्मूले के तहत गोड्डा झाविमो के खाते में गई प्रदीप यादव को चुनाव मैदान में उतारा गया है लेकिन कांग्र्रेस में इसे लेकर जबर्दस्त विरोध है। कांग्र्रेस के कद्दावर नेता फुरकान अंसारी भी ताल ठोक रहे हैं। उन्हें कांग्र्रेस का अधिकृत सिंबल नहीं मिला है। वे निर्दलीय चुनाव लड़कर महागठबंधन को झटका देने की तैयारी में जुटे हैं। 

बड़े पैमाने पर अंदरूनी विरोध
विपक्षी महागठबंधन में शामिल दलों झामुमो, झाविमो, कांग्र्रेस और राजद में तालमेल को लेकर भारी विरोध भी है। झामुमो का कलह भी बाहर आ चुका है। झामुमो के मांडू से विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने बगावत कर दिया है। वे खुद को मोदी का मुरीद बता रहे हैं। कमोबेश ऐसी हीं स्थिति कुछ अन्य विधायकों की भी है। वे अनुशासन के डर से कुछ बोल नहीं रहे हैं। उन्होंने अपनी गतिविधियां ठप कर दी है और प्रत्याशी के पक्ष में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। संगठनात्मक इकाइयां भी अन्य दलों के प्रचार अभियान को लेकर ज्यादा संजीदा नहीं दिखतीं। 

वाम मोर्चे का अलग राग
झारखंड में वाम मोर्चा ने विपक्षी महागठबंधन से खुद को अलग रखा है। सीपीआइ ने हजारीबाग से प्रत्याशी खड़ा किया है जबकि भाकपा (माले) के उम्मीदवार कोडरमा में महागठबंधन को टक्कर दे रहे हैं। पांच सीटों पर माकपा ने प्रत्याशी दिए हैं। 

स्टार प्रचारकों का कार्यक्रम नहीं
एक तरफ भाजपा ने स्टार प्रचारकों की फौज झारखंड में उतारने की योजना बनाई है लेकिन विपक्षी महागठबंधन इस मोर्चे पर भी फिसड्डी दिख रहा है। भाजपा स्टार प्रचारकों का कार्यक्रम भी तय हो चुका है। इधर विपक्षी महागठबंधन में स्टार प्रचारकों को लेकर कोई स्पष्ट खाका तैयार नहीं है।


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