Loksabha Election: 1962 में हर संसदीय सीट से चुना गया एक सांसद, तमिलनाडु में डीएमके के रूप में नई ताकत का हुआ जन्म; पढ़ें दिलचस्प चुनावी किस्से
1962 का तीसरा आम चुनाव कई मामलों में पिछले दोनों आम चुनावों से अलग था। पहली बार हर संसदीय क्षेत्र से सिर्फ एक सांसद चुना गया और यह सिलसिला अब भी जारी है। इससे पहले के दोनों आम चुनावों में कुछ संसदीय क्षेत्र ऐसे थे जहां से दो प्रतिनिधि चुने जाते थे- एक सामान्य वर्ग से और एक एससी-एसटी समुदाय से। ये आम चुनाव नेहरू का आखिरी चुनाव भी था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1962 का तीसरा आम चुनाव कई मामलों में पिछले दोनों आम चुनावों से अलग था। पहली बार हर संसदीय क्षेत्र से सिर्फ एक सांसद चुना गया और यह सिलसिला अब भी जारी है। इससे पहले के दोनों आम चुनावों में कुछ संसदीय क्षेत्र ऐसे थे, जहां से दो प्रतिनिधि चुने जाते थे- एक सामान्य वर्ग से और एक एससी-एसटी समुदाय से। ये आम चुनाव जवाहर लाल नेहरू का आखिरी चुनाव भी था।
स्वतंत्र पार्टी ने छोड़ी छाप
इस चुनाव में सी राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी ने भी छाप छोड़ी, जो देश की पहली मुक्त-बाजार समर्थक पार्टी थी। 1955 में कांग्रेस कार्यकारिणी में एंट्री के बाद तीसरे आम चुनाव तक इंदिरा गांधी राजनीति में स्थापित हो चुकी थीं और कांग्रेस में उनका प्रभाव बढ़ चुका था। इंदिरा को नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा था।
तमिलनाडु में बड़ी ताकत के तौर पर उभरी डीएमके
तीसरे आम चुनाव के दौरान तत्कालीन मद्रास प्रांत(अब तमिलनाडु) में डीएमके के रूप में एक नई ताकत का जन्म हुआ। पार्टी ने सात लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 143 सीटों में से 50 सीटों पर जीत का परचम लहराया।
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