Lok Sabha Election 2019: साहब! खेती में लागत निकलना भी मुश्किल हो रहा है
भोला मंडल अपनी पत्नी व मां के साथ गेहूं की कटनी कर रहे हैं। बोले साहब बटाई पर भी खेत लेते हैं। फसल ठीक नहीं है। दाना निकलने के समय ओला गिर गया। फसल बर्बाद हो गई।
साहिबगंज, डॉ. प्रणेश। चुनावी यात्रा के क्रम में गांवों का मिजाज जानने के लिए हम मंगलवार को मिर्जाचौकी का रुख करते हैं। यह इलाका झारखंड-बिहार की सीमा पर है। साहिबगंज जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर मिर्जाचौकी स्टोन चिप्स के कारोबार के लिए चर्चित है। यहां से ट्रकों व मालगाड़ी से स्टोन चिप्स बिहार व यूपी भेजा जाता है।
साहिबगंज से करीब चार किलोमीटर आगे बढ़ते ही सड़क के बायीं ओर स्टोन क्रशर दिख रहे हैं। पत्थर तोडऩे से उडऩे वाली धूल सड़क तक पहुंच रही थी। सड़क के दोनों ओर खाली ट्रकों की कतार है। अक्सर यहां इनसे जाम लगता है। हालांकि सुबह के कारण अभी नहीं लगा है। इसके बाद शुरू होते हैं खेत। गेहूं की फसल पक चुकी है। कुछ जगह कटनी हो रही थी। मिर्जाचौकी चौक पर ही रामनवमी मेला में जाने के लिए एक गेट बना हुआ है। हम उधर मुड़ते हैं। यहां गैलेक्सी मैदान में मेला लगा हुआ है। दुकानें खोलने को दुकानदार तैयारी कर रहे थे।
आगे बढ़े तो हम दोयमखित्ता गांव पहुंच गए।
गेहूं के खेत में किसान कटनी में जुटे हैं। यहां भोला मंडल अपनी पत्नी व मां के साथ गेहूं की कटनी कर रहे हैं। बोले साहब बटाई पर भी खेत लेते हैं। फसल ठीक नहीं है। दाना निकलने के समय ओला गिर गया। फसल बर्बाद हो गई। काटने को मजदूर भी तैयार नहीं हो रहे हैं। मजबूरी में स्वयं काट रहे हैं। दो बीघा जमीन पर गेहूं की खेती की है। तीन हजार रुपये पंपिंग सेट का भाड़ा, 1200-1200 रुपये खाद व बीज तथा 900 रुपये ट्रैक्टर से जुताई में लगे। 6300 रुपये खर्च हुए। दो बीघा में चार क्विंटल गेहूं होने का अनुमान है। इसे बाजार में बेचा जाए तो छह हजार रुपये मिलेंगे। मजदूरी स्वयं की। मजदूर से काम कराते थे तो डेढ़ से दो हजार और लग जाते। तगड़ा नुकसान हो गया। लागत भी नहीं निकलेगी। हालांकि यह भी बोले कि लाल कार्ड है, एक रुपये प्रतिकिलो की दर से चावल मिलता है। उज्जवला योजना के तहत गैस चूल्हा मिला है, उसका नियमित उपयोग करते हैं। प्रधानमंत्री आवास व आयुष्मान कार्ड नहीं मिला है।
सिंचाई की सुविधा नहींः सिंचाई की व्यवस्था पास के कुएं से करते हैं। 300 प्रति घंटे की दर से पंपिंग सेट मिलता है। उसे कुआं में लगाते हैं और सिंचाई करते हैं। जैसे तैसे हम किसानों का जीवन चल रहा है। दुखी स्वर में बोले हमें अन्नदाता कहा जाता है। साहिबगंज में करीब एक लाख किसान हैं। इनके लिए योजनाएं भी बनी हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने हम किसानों को खेती में सहयोग के लिए नकद राशि देने की व्यवस्था की है। पर, हमें तो किसी योजना का लाभ नहीं मिला। धरातल पर यह योजनाएं ठीक से नहीं उतर रही हैं। कहीं नियम का पेच फंसता है तो कहीं बिचौलिया हावी हो जाता है। और तो और धान खरीद की योजनाओं की स्थिति भी सबके सामने है। नकद फसल बेचना हमारी मजबूरी है। इसलिए बाजार में बड़े व्यापारी हमसे औने पौने में उपज खरीद लेते हैं। सरकार को देखना चाहिए कि धरातल पर योजनाओं को किस प्रकार अमलीजामा पहनाया जाता है। कमियों को दूर किया जाए तभी अन्नदाता की आय दुगुनी हो सकेगी। हम किसानों को मदद मिल जाए तो हम धरती से सोना उगा देंगे।
अच्छी मजदूरी नहीं मिलती : बगल के खेत में नया टोला के शंभू मंडल गेहूं की कटनी कर रहे हैं। दस कट्ठा में गेहूं की खेती की है। पानी व खाद में आधा खर्च खेत मालिक ने दिया है। इनका 1400 रुपया खर्च हुआ है। इन्हें भी बांट कर एक क्विंटल गेहूं मिलेगा। इनके लिए भी घाटे का सौदा हो गया। वे बोले दूसरा कोई काम कर नहीं सकते। क्या करें। पहले क्रशर में काम मिलता था। अब वहां मशीन से ही सारा काम हो रहा है। मनरेगा से भी काम नहीं मिलता। मजबूरी में यह काम कर रहे हैं। बगल के खेत में मंगली अपने बेटे एतवारी कुमार तांती के साथ गेहूं काट रहा है। दोनों ने बताया कि वे मजदूरी कर रहे हैं। 10 मन गेहूं काटने पर उसे एक मन मिलेगा।
सांसद-विधायक का नाम नहीं जानतेः मंगली को वृद्धावस्था पेंशन मिलती है। शौचालय भी मिला है। गैस चूल्हा, स्वास्थ्य कार्ड व प्रधानमंत्री आवास अब तक नहीं मिला है। यहां काम कर रहे अधिकतर लोग अपने सांसद व विधायक का नाम नहीं जानते। इनसे कभी मुलाकात भी नहीं हुई है। कहते हैं कि चुनाव से एक दिन पूर्व गांव के लोग जमा होते हैं और किस छाप पर वोट देना है यह तय हो जाता है। सभी लोग उसी पर वोट देते हैं। नया टोला की तेतर, बीबी शकीना, अनीशा बीबी, बीबी जिफराना को भी अपने सांसद व विधायक का नाम नहीं मालूम है। ये बोले किसानों के लिए सरकार सिंचाई की व्यवस्था कर दे। प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान मदद कर दे। जो योजनाएं लाए उनको हम तक ईमानदारी से पहुंचाया जाए तो हमारी भी किस्मत चमक जाएगी। धूप तेज हो रही है। किसान-मजदूरों को गेहूं भी काटना है इसलिए हम आगे बढ़ जाते हैं।