Lok Sabha Election 2019 : जेल से किया नामांकन और युवाओं में छा गए जनेश्वर मिश्र
छोटे लोहिया के नाम से प्रसिद्ध जनेश्वर मिश्र का युवाओं में क्रेज रहा। 1967 में छात्र आंदोलन में शामिल होने से वह जेल में बंद थे। वहीं से उन्होंने लोस की फूलपुर सीट के लिए नामांकन किया।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 01 May 2019 03:58 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2019 03:58 PM (IST)
विजय सक्सेना, प्रयागराज : छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के लोगों के लिए हमेशा पसंदीदा नेता रहे। उनकी पार्टी के साथ ही दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेता भी उन्हें काफी सम्मान देते थे। समय वह भी था जब युवाओं में उनका जबरदस्त क्रेज था। युवा उनकी एक झलक पाने के लिए बेकरार रहते थे। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1967 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जेल से ही नामांकन किया। जब वह रिहा होकर बाहर आए तो उन्हें देखने के लिए जगह-जगह युवाओं की भीड़ जुटी।
छात्र आंदोलन में शामिल होने के कारण जेल में बंद थे
वर्ष 1967 में जनेश्वर मिश्र छात्र आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण जेल में बंद थे। उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर फूलपुर से नामांकन किया था। उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित से था। जनेश्वर ने जेल से नामांकन किया और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक जबरदस्त प्रचार-प्रसार में जुट गए। इनमें बड़ी संख्या युवाओं की थी। कई बार स्थिति यह होती थी कि विजय लक्ष्मी पंडित की सभा में जुटे युवा जनेश्वर मिश्र की रिहाई को लेकर जमकर नारेबाजी करने लगते थे। शहर के आम लोग भी युवाओं का समर्थन कर रहे थे।
विरोध के कारण सरकार को रिहा करना पड़ा
विजय लक्ष्मी की सभाओं में हो रहे विरोध के कारण तत्कालीन सरकार को दबाव में जनेश्वर मिश्र को रिहा करना पड़ा। जनेश्वर जेल से रिहा हुए तो उन्हें देखने और काफिले में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग नैनी पहुंच गए। युवाओं की बड़ी संख्या थी। जनेश्वर का काफिला जिस सड़क से निकलता, उन्हें देखने के लिए भीड़ दौड़ पड़ती थी।
...जब जनेश्वर की सभा में गुल हो गई बिजली
जनेश्वर मिश्र के शिष्य रहे कृष्ण कुमार श्रीवास्तव बताते हैंं, वह प्रखर वक्ता भी थे। वह किसी भी विषय पर आम लोगों को बेहतर तरीके से समझाते भी थे। एक प्रसंग अब भी याद किया जाता है। आनापुर की चुनावी सभा में जनेश्वर के भाषण के बीच में बिजली गुल हो गई। जनरेटर की व्यवस्था नहीं थी इसलिए लाउडस्पीकर बंद हो गए। जनेश्वर वहीं एक ऊंचे स्थान पर चढ़ गए और जनता को संबोधित करने लगे। उनका यह भाषण यादगार रहा।
भीड़ ने कंधे पर उठा लिया
उन्होंने कहा था, देश के प्रधानमंत्री पर प्रतिदिन 75 हजार रुपये खर्च होते है, जबकि एक ट्यूबवेल 25 हजार रुपये में स्थापित हो जाता है। प्रधानमंत्री रोज तीन ट्यूबवेल का पानी ट्यूबवेल सहित पी जा रहे हैैं। इतना सुनते ही भीड़ से कुछ युवक आगे बढ़े और जनेश्वर को कंधे पर बैठा कर जुलूस की शक्ल में पूरे आनापुर बाजार में घुमाया। चुनाव में जीत भले ही विजय लक्ष्मी पंडित की हुई लेकिन हार के बावजूद जनेश्वर आनापुर के मतदान केंद्र के सात बूथों पर कांग्रेस प्रत्याशी से काफी आगे रहे।
भीड़ ने कंधे पर उठा लिया
उन्होंने कहा था, देश के प्रधानमंत्री पर प्रतिदिन 75 हजार रुपये खर्च होते है, जबकि एक ट्यूबवेल 25 हजार रुपये में स्थापित हो जाता है। प्रधानमंत्री रोज तीन ट्यूबवेल का पानी ट्यूबवेल सहित पी जा रहे हैैं। इतना सुनते ही भीड़ से कुछ युवक आगे बढ़े और जनेश्वर को कंधे पर बैठा कर जुलूस की शक्ल में पूरे आनापुर बाजार में घुमाया। चुनाव में जीत भले ही विजय लक्ष्मी पंडित की हुई लेकिन हार के बावजूद जनेश्वर आनापुर के मतदान केंद्र के सात बूथों पर कांग्रेस प्रत्याशी से काफी आगे रहे।
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