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Lok Sabha Election 2019: बाबा धाम के पंडों के लिए लोकसभा चुनाव शुक्रास्त की तरह

बाबा धाम के पुरोहित विनोद झा ने कहा कि लगन का बाजार भी मंदा चल रहा है। सामान्य दिनों में भी बैठने की फुर्सत नहीं रहती थी। अभी तो फुर्सत ही फुर्सत है।

By mritunjayEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 07:01 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 07:01 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: बाबा धाम के पंडों के लिए लोकसभा चुनाव शुक्रास्त की तरह
Lok Sabha Election 2019: बाबा धाम के पंडों के लिए लोकसभा चुनाव शुक्रास्त की तरह

देवघर, राजीव। बुधवार को सुबह के नौ बजे हैं। विक्रम संवत के मुताबिक वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि। विशेष पूजन और अनुष्ठान का दिन। बाबा धाम के पंडों (पुरोहित) को उम्मीद थी कि श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ होगी। हुआ उलट। बैद्यनाथ मंदिर के पूर्वी द्वार पर श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम। पूर्वी द्वार से आगे शिवगंगा की ओर जाने वाली सड़क संकरी है। बाएं और दाएं पेड़ा व पूजा-श्रृंगार की दुकानों में भक्तों का इंतजार करते दुकानदार। इसी राह से शिव गंगा तक गली खाली खाली।

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शिवगंगा तट के पश्चिम छोर से नेहरु पार्क करीब है। उस ओर सीढ़ी घाट के शेड में कुछ पंडों का जमघट। देखा कि वे लोग मोबाइल पर लुडो खेल रहे हैं। जाने पहचाने पंडा बंटी मिश्र भी लुडो में तल्लीन। पूजा पाठ के वक्त शिव गंगा के किनारे लुडो का खेल? यह सवाल पूरा नहीं हुआ था कि बंटी मिश्र ने छूटते ही जवाब दिया कि इलेक्शन शुक्रास्त बन गया है, अभी धंधा मंदा है। श्रद्धालुओं का आना कम हो गया है, पुरोहितों की आमदनी भी खतम। समझिए कि कभी सूप तो कभी चुप में वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। बंटी बात को आगे बढ़ाते हैं, चुनाव जरुरी भी है, प्रजा की ताकत। इसलिए इस महापर्व पर सब कुछ स्वीकार है। फिर वे शुक्रास्त का मतलब समझाते हैं कि अंधकार छा जाना।

बाबा धाम के पुरोहित विनोद झा ने कहा कि लगन का बाजार भी मंदा चल रहा है। सामान्य दिनों में भी बैठने की फुर्सत नहीं रहती थी। अभी तो फुर्सत ही फुर्सत है। वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी पर श्रद्धालु मुंडन व अनुष्ठान कराने आते हैं। चुनाव की वजह से देखिए चारों ओर खाली-खाली। पंडों से कहा गया कि यहां तो बाबा की ऐसी कृपा है कि दो माह कमाएं, साल भर बैठ कर खायें,  फिर भी दिक्कत? विनोद कहते हैं, हम इससे कतई सहमत नहीं हैं। दो माह बैद्यनाथ मंदिर का विज्ञापन होता है, शेष 10 माह पंडा-पुरोहित की चांदी। 10 माह ऐसे होते हैं जिसमें कम मेहनत में अधिक आमदनी होती है। पुरोहित सूरज श्रृंगारी बातचीत के विषय को बदलते हैं। कहते हैं कि अगल-बगल के जोरिया व तालाबों को भू-माफिया ने नष्ट कर दिया और इसका असर अब शिव गंगा पर पड़ रहा है। शिव गंगा का पानी तेजी से घट रहा है जो पीड़ा दे रहा है। युवा पुरोहित सत्यम पांडेय कहते हैं, शिव गंगा में अजय नदी से पानी आना चाहिए। पश्चिम छोर पर वाहनों की पाॢकंग भी रुकनी चाहिए। पुरोहित जयदेव मिश्र भी चुनावी चर्चा में प्रवेश करते हैं। कहते हैं कि श्रद्धालुओं की संख्या कम हुई है। इसका असर बाजार पर पड़ा है।

पुरोहितों के नजदीक खड़े तपीलाल दास बिहार के पश्चिमी चंपारण के चानकीगढ़ से आकर बीते एक दशक से खिलौना व श्रृंगार के सामानों की दुकान चला रहे हैं। वे मतदान के लिए गांव जाने की तैयारी में है। तपी कहते हैं कि मतदान करने तो जाएंगे ही। तपीलाल कहते हैं, केंद्र सरकार ठीक ठाक काम कर रही है। मगर सरकारी योजनाओं पर भी अभी चमचे हावी है। तपीलाल के पुत्र जन्मेजय कुमार स्नातक उत्तीर्ण है। पिता के साथ रहते हैं। मुद्रा लोन के बारे में नहीं जानते हैं। कहते हैं कि मोदी सरकार में कुछ कमी रह गई है तो उसमें मोदीजी का दोष नहीं है। मतदान करने का समय नजदीक आएगा तो वोट देने के बारे में पक्का सोचा जाएगा।


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