साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के चुनाव लड़ने के मामले पर एनआइए ने अपने हाथ खींचे
वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट में आरोपित भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की याचिका पर एनआइए ने खुद को अलग कर लिया है।
मुंबई, प्रेट्र। वर्ष 2008 के मालेगांव विस्फोट में आरोपित भाजपा नेता साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की याचिका पर एनआइए ने खुद को अलग कर लिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि यह उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर का मामला और इसे चुनाव आयोग देखेगा। जबकि भोपाल से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा ने उसे लोकसभा चुनाव से लड़ने से रोकने वाली याचिका खारिज करने की अपील की है।
मंगलवार को एनआइए ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि यह मामला चुनाव आयोग से संबंधित है। यह हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है। एनआइए ने अदालत में अपने जवाब में कहा कि चुनाव लड़ने का मामला इस अदालत से संबंधित नहीं है। इस पर फैसला केवल चुनाव आयोग ले सकता है।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत रद करने पर एनआइए ने अपने हलफनामे में कहा कि इस संबंध में एक याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसके बाद अदालत ने मामले बुधवार को अगली सुनवाई होने तक स्थगित कर दिया। ध्यान रहे भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा को कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल में प्रत्याशी बनाया है।
कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा से जवाब मांगा था
मालेगांव ब्लास्ट के एक पीडि़त के पिता ने साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ एनआइए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें साध्वी के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस पर साध्वी प्रज्ञा से जवाब मांगा था।
साध्वी ने कहा, 'याचिका राजनीति से प्रेरित है। यह केवल पब्लिसिटी स्टंट के लिए किया गया काम है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट का समय बर्बाद किया है। उस पर जुर्माना लगाकर याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।'
बेटा खो चुके निसार ने दायर की थी याचिका
याचिका निसार सैय्यद ने दायर की थी। उन्होंने मालेगांव ब्लास्ट में अपना बेटा खोया था। साध्वी प्रज्ञा इस मामले में आरोपित हैं। स्वास्थ्य कारणों से उन्हें जमानत दी गई है। शिकायतकर्ता ने कहा कि वह इतनी गर्मी में चुनाव लड़ने के लिए स्वस्थ हैं। साध्वी कोर्ट को गुमराह कर रही हैं।
29 सितंबर, 2008 को उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में हुए ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे जबकि 100 से अधिक घायल हुए थे। एनआइए ने जांच के बाद साध्वी प्रज्ञा को क्लीनचिट दी थी। मगर कोर्ट में यह मामला अभी भी चल रहा है। हालांकि अदालत ने भी साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ मोका के तहत मामला हटा दिया है।