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चुनावी चौपाल : सरकारी कॉलेज बने तो और बढ़े हमारी बेटियां

मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र में नहीं हैं एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज। टेंपो-बसों में धक्क

By Edited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 06:36 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:36 PM (IST)
चुनावी चौपाल : सरकारी कॉलेज बने तो और बढ़े हमारी बेटियां
चुनावी चौपाल : सरकारी कॉलेज बने तो और बढ़े हमारी बेटियां

मोहनलालगंज, जेएनएन।  मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा वैसे तो प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है। यहां पांच में से चार विधान सभा लखनऊ क्षेत्र की हैं। केवल सिधौली ही सीतापुर जिले में आती है, लेकिन शहर के मुकाबले ग्रामीण परिवेश वाले मोहनलालगंज में बेटियों की उच्च शिक्षा के लिए सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं हैं। वहां सिर्फ निजी डिग्री और प्राविधिक कॉलेज हैं, जिसकी फीस चुकाना आम ग्रामीण अभिभावकों के लिए आसान नहीं है।

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मजबूरन बेटिया मोहनलालगंज, गोसाईगंज, सरोजनीनगर, मलिहाबाद, बंथरा जैसे दूर दराज इलाकों से रोजाना दो से ढाई घंटे टेंपो और बसों में धक्का खाकर लखनऊ स्थित अपने कॉलेज तक पहुंचती हैं। इससे मेधावी बेटियों की पढ़ाई पर असर पड़ता है। वहीं टेंपो और बसों का किराया अभिभावकों के बजट को बिगाड़ता है। कई बार क्षेत्र के सांसदों और विधायकों ने सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने के वायदे तो किए, लेकिन आज तक उसको पूरा नहीं किया। दैनिक जागरण की चुनाव चौपाल मोहनलालगंज के पुरसैनी गांव में लगी, जहां स्थानीय लोगों ने एक बालिका डिग्री कॉलेज की जरूरत को लेकर चर्चा की।

मोहनलालगंज क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक डिग्री कॉलेज की आवश्यकता है। यहां एक हजार सीटों वाले आवासीय बालिका डिग्री कॉलेज होना चाहिए। बहुत सी बेटियों को सीटों की उपलब्धता न होने से उनकी आगे की पढ़ाई बंद हो जाती है। आलोक कुमार तिवारी

शहर आने-जाने में दो से तीन घंटे बर्बाद होते है। किराया देना पड़ता है। कई बार नेताओं का आश्वासन मिला, लेकिन आज तक एक सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं बन सका। हर ब्लॉक स्तर पर एक बालिका डिग्री कॉलेज होना चाहिए। आशीष तिवारी - मोहनलालगंज में बहुत अमीर लोग नहीं हैं। वह बच्चों की पढ़ाई पर उतना ध्यान नहीं दे पाते हैं। वह बालकों को तो शहर भेज देते हैं, लेकिन बेटियों को भेजने में कतराते हैं। यदि भेज भी देते हैं तो वापस लौटकर बेटियां घर का काम करती हैं। ऐसे में पढ़ाई के लिए वह अधिक समय नहीं दे पाती हैं। मेधावी होने के बावजूद ग्रामीण अंचल की बेटियां सफल नहीं हो पाती हैं। शुभम

मोहनलालगंज इतना बड़ा लोकसभा क्षेत्र होने के बावजूद बालिका डिग्री कॉलेज नहीं है। यह दुर्भाग्य की बात है। कोई भी सरकार बने मेरी अपील है कि वह इस ओर ध्यान दे। अब तक सबसे अधिक बार महिला सांसद देने वाले मोहनलालगंज क्षेत्र में बालिकाओं की उच्च शिक्षा को गति मिल सके। शशिकांत मिश्र

करीब चार सौ बालिकाएं अकेले मोहनलालगंज क्षेत्र से शहरों की ओर जाती हैं। मेरे हिसाब से गोसाईगंज, मोहनलालगंज सहित पूरी मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र में कम से कम पांच बालिका डिग्री कॉलेज होने चाहिए। नवल किशोर

प्राइवेट कॉलेज सभी जगह हैं, लेकिन उनकी फीस बहुत महंगी होती है। नजदीक में ही शिक्षा मिलनी चाहिए। यहां की लड़कियां शहर जाती हैं, जिससे उनका समय बर्बाद होता है। यदि यहीं डिग्री कॉलेज यहां खुल जाए तो लड़कियों और अभिभावकों को काफी राहत मिलेगी। केदार नाथ

शिक्षा हमारे क्षेत्र का बहुत बड़ा मुद्दा है। बहुत सी लड़कियां सोच ही नहीं पाती हैं कि उनको डिग्री कॉलेज तक पहुंचना है। यह हमारे साथ-साथ क्षेत्र से चुनकर जाने वाले जनप्रतिनिधियों की भी कमी है। सब नेता आश्वासन देते हैं कि अगले सत्र में डिग्री कॉलेज खुलवा देंगे। करुणेश मिश्र

हमारे क्षेत्र में एक डिग्री कॉलेज है, लेकिन सरकारी नहीं है। बहुत से गांव के बच्चे इंटर पास करके घर में ही बैठ जाते हैं। लड़कियां शहर नहीं जा पाती है, क्योंकि बहुत लोगों के पास किराए तक के पैसे नहीं होते है। शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति सरकार को ध्यान देना चाहिए। राकेश त्रिवेदी

सरकारी कॉलेज में एक किसान का बच्चा पांच हजार रुपये में स्नातक कर लेता है, जबकि निजी कॉलेजों में फीस लाख में होती है। आप आंकड़े देखिए तो पता चलेगा कि इंटर के बाद डिग्री कॉलेज जाने वाले बच्चों की संख्या घटी है। इसका एक मुख्य कारण यही है कि दूरदराज क्षेत्रों में बालिका डिग्री कॉलेज नहीं है। शिवशरण

बच्चों के लिए साधन की सबसे बड़ी दिक्कत होती है। कभी टेंपो और बस मिलती हैं तो कभी नहीं मिलती हैं। ऐसे में समय के साथ पढ़ाई का भी नुकसान होता है। उमाकांत


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