लोकसभा चुनाव 2019: छोटे दलों के सहारे राजग की डीएमके-कांग्रेस को बड़ी चुनौती
तमिलनाडु के दो दिग्गज नेताओं एम करुणानिधि और जे जयललिता की अनुपस्थिति में पहली बार हो रहा चुनाव राजग के लिए अग्निपरीक्षा साबित हो सकती है।
नई दिल्ली[नीलू रंजन]। तमिलनाडु के दो दिग्गज नेताओं एम करुणानिधि और जे जयललिता की अनुपस्थिति में पहली बार हो रहा चुनाव राजग के लिए अग्निपरीक्षा साबित हो सकती है। जहां बारी-बारी से एआइएडीएमके और डीएमके की जीत की पुरानी परंपरा के हिसाब से कांग्रेस व डीएमके के गठबंधन का पलड़ा भारी होना भले ही माना जा रहा हो, लेकिन छोटे-बड़े सात पार्टियों के साथ गठबंधन के सहारे राजग गठबंधन इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश में जुटी है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छवि की देशव्यापी अपील राजग के लिए मददगार साबित हो सकता है।
दरअसल 2014 में जयललिता ने राजग में शामिल होने से इन्कार कर अकेले लोकसभा चुनाव में लड़ने का फैसला किया था और 39 में से 37 सीटें जीतने में सफल रही थी। लेकिन, जयललिता की मौत के बाद धड़ों में बंटी एआइएडीएमके के लिए राज्य सरकार बनाने के लाले पड़ गए थे।
एआइएडीएमके किसी तरह सरकार बचाने में तो सफल रही, लेकिन दिनाकरण के नेतृत्व में एक धड़े के अलग होने के कारण राज्य में सरकार भी मुश्किल से बची है। हालत यह है कि एआइएडीएमके की राज्य सरकार 21 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों के परिणाम पर निर्भर है।
इनमें से 16 सीटें दिनाकरण के समर्थक विधायकों की सदस्यता रद्द होने से खाली हुई थी। जाहिर है राजग के सामने एआइडीएमके की राज्य सरकार को बचाने के साथ-साथ लोकसभा में अधिक-से-अधिक सीटें जीतने की भी चुनौती है।
जयललिता की गैरमौजूदगी और एनआइएडीएमके की अंदरुनी लड़ाई से उत्साहित डीएमके इस बार तमिलनाडु में बड़ी जीत की उम्मीद कर रही है। यही नहीं, माना जा रहा है कि वायनाड़ से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने का असर तमिलनाडु में भी देखने को मिलेगा। लेकिन, करुणानिधि की करिश्माई व्यक्तित्व की कमी डीएमके को भी खलने वाली है।
बाहर से डीएमके स्टालिन के नेतृत्व में भले ही एकजुट दिख रहा हो, लेकिन करुणानिधि के बिना परिवार में अंदरुनी विवाद जगजाहिर है। एमके अलागिरी स्टालिन के नेतृत्व के खिलाफ खुलकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
एआइएडीएमके और डीएमके दोनों दलों में अंदरुनी खींचतान और करिश्माई नेतृत्व का अभाव तमिलनाडु में इस बार बेहतर सामाजिक समीकरण जीत की कुंजी साबित हो सकती है। वहीं हाल ही में राजनीतिक पार्टी बनाने वाले अभिनेता कमल हसन ने इस बार लोकसभा चुनाव में नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है। जाहिर है मुकाबला राजग और कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के बीच होना तय है।
सामाजिक समीकरण के मामले में राजग गठबंधन डीएमके और कांग्रेस के गठबंधन पर भारी साबित हो सकता है। राजह गठबंधन में एआइएडीएमके, भाजपा, रामदौस की पार्टी पीएमके और अभिनेता विजयकांत की पार्टी डीएमडीके के साथ-साथ पुथिया तमिझगम, एनआर कांग्रेस, पुथिया नीति कांची जैसी छोटी पार्टियां भी जुड़ी हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि सीमित जनाधार वाली इन छोटे दलों का वोट भी दूसरी पार्टियों को स्थानांतरित होने वाला है।