Lok Sabha Election 2019: दिल्ली की ये अनधिकृत कॉलोनियां तय करेंगी पांच सांसद!
दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के करीब 65 लाख की आबादी निवास करती है जो पांच सीटों पर सांसद तय करते हैं।
नई दिल्ली[वीके शुक्ला]। सुविधाओं के अभाव में जी रहे अनधिकृत कॉलोनियों के लोग लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों का फैसला करेंगे। यही वे लोग हैं, जो तय करते हैं कि उनके इलाके से सांसद किसे चुन कर भेजना है। इन कॉलोनियों के लोगों का सात में से पांच सीटों पर दबदबा है।
नई दिल्ली व चांदनी चौक सीट छोड़ दें तो अन्य सभी सीटों पर ऐसी कॉलोनियां बड़ी संख्या में हैं। इसी के चलते सभी दलों की नजर अनधिकृत कॉलोनियों के मतदाताओं पर हैं। इन कॉलोनियों में करीब 65 लाख की आबादी निवास करती है, जो पांच सीटों पर सांसद तय करते हैं। यहां रहने वालों में अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड से आए हुए हैं।
राजनीतिक परिदृश्य की बात करें, तो इन कॉलोनियों के हर चुनाव में प्रत्याशियों की जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे हैं। यहीं वे कॉलोनियां हैं, जहां रिकार्ड मतदान होता है। प्रमुख राजनीतिक दल इनकी ताकत को देखते हुए चुनाव के समय इन्हें महत्व देते रहे हैं। दिल्ली में इस समय 18 सौ से अधिक अनधिकृत कॉलोनियां हैं। पेयजल, सीवर के साथ सड़क और सफाई की सुविधा यहां के लोगों को नहीं मिल रही है। गंदे पानी की निकासी भी यहां बड़ी समस्या है।
हालांकि, सियासी मजबूरी के चलते ये कॉलोनियां लगातार बढ़ रही हैं और इन्हें नियमित करने की प्रक्रिया भी समय-समय पर चलती रहती है। सियासी दल भी इनके महत्व को समझते हैं, इसीलिए समय-समय पर इन्हें वादों की घुट्टी पिलाते रहे हैं। दिल्ली में 1993 में विधानसभा गठित होने पर मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पहली ही कैबिनेट की बैठक में इन कॉलोनियों को नियमति करने की मंजूरी दी थी। उस समय दिल्ली में करीब 1071 अनधिकृत कॉलोनियां थी।
खुराना सरकार ने इन कॉलोनियों को जैसा है, वैसे के आधार पर नियमित करने की अनुमति दी थी। चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है तो यहां की जमीन से जुड़े फैसले लेने का अधिकार केंद्र के पास है। इसी बीच इन कॉलोनियों के नियमितीकरण का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में जाने से लटक गया। केंद्र में अटल बिहारी की सरकार आई तो इन्हें नियमित करने के प्रयास किए गए। लेकिन, सफलता नहीं मिल पाई।
इन कॉलोनियों को लेकर दिल्ली की राजनीति उस समय गर्मा गई, जब कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2008 में 893 कॉलोनियों के नियमितीकरण के प्रोविजनल प्रमाण पत्र तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बंटवा दिए। इसके लिए उस समय की शीला सरकार द्वारा छत्रसाल स्टेडियम में बड़ा आयोजन किया गया था। शीला सरकार को इसका लाभ भी मिला था, लेकिन अनधिकृत कॉलोनी नियमित नहीं करने का बाद में शीला सरकार को खामियाजा भी उठाना पड़ा।
दिल्ली में तीन तरह की हैं अनधिकृत कॉलोनियां
राजधानी दिल्ली में तीन तरह की अनधिकृत कॉलोनियां हैं। इसमें 12 सौ कॉलोनियां ऐसी हैं, जो कृषि भूमि पर बनी हुई हैं। करीब 6 सौ कॉलोनियां ऐसी हैं, जो पूरी तरह से सरकारी जमीन पर बनी हुई हैं। वहीं तीसरे तरह की कॉलोनियां ग्राम सभा की जमीन पर बनी हुई हैं। जानकार बताते हैं कि इससे पहले वर्ष 1961 से लेकर 1977 में दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया जा चुका है। इस अंतराल में पांच किस्तों के भीतर 650 कॉलोनियों को नियमित किया गया था।