Lok Sabha Election 2019: इन 10 अहम मुद्दों पर जनता मांग रही है पार्टियों से जवाब
लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभी पार्टियां अपने मुद्दों को धार में जुट गई हैं। मतदाता भी इसे लेकर चौकन्ने हैं और सभी पार्टियों को उन्हें जवाब देना होगा।
नई दिल्ली[संतोष कुमार सिंह]। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभी पार्टियां अपने मुद्दों को धार में जुट गई हैं। वह अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने रखने के साथ ही दूसरों की नाकामियों को भी जोरशोर से उठा रही हैं। मतदाता भी इसे लेकर चौकन्ने हैं और सभी पार्टियों को उन्हें जवाब देना होगा। मौटे तौर पर महिला सुरक्षा व वायु प्रदूषण समेत दस मुद्दों के इर्द-गिर्द दिल्ली में लोकसभा चुनाव घूमेगा।
आम आदमी पार्टी (आप) की प्राथमिकता में जहां पूर्ण राज्य का मुद्दा है, वहीं भाजपा केंद्रीय योजनाओं से दिल्ली को महरूम रखने को बनाएगी बड़ा मुद्दा। किसी ठोस मुद्दे के बिना खोई जमीन तलाशने की कोशिश में लगी कांग्रेस अपने कार्यकाल की उपलब्धियां जनता के सामने रख रही है।
सीलिंग की तलवार
नेता, अधिकारी और बिल्डर के गठजोड़ से हुए अवैध निर्माण और इसपर होने वाली सियासत की वजह से दिल्ली के लोगों पर सीलिंग की तलवार लटक रही है। वर्ष 2005-06 के बाद एक बार फिर से यह मुद्दा गर्म है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश पर दिल्ली के कई हिस्से में अवैध रूप से बनाई गई संपत्तियों को सील किया गया, जिससे लोगो में आक्रोश है। इस समस्या के लिए सभी पार्टियां एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। भाजपा जहां पूर्व की कांग्रेस और वर्तमान आप सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है तो आप केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है। केंद्र ने दिल्ली के मास्टर प्लान में कई संशोधन भी किया है, लेकिन यह मुद्दा अब भी बरकरार है।
केंद्रीय योजनाओं का लाभ
केंद्र और दिल्ली सरकार में अधिकारों की लड़ाई का असर यहां के कामकाज पर भी पड़ रहा है। अरविंद केजरीवाल सरकार केंद्र सरकार पर काम में बाधा डालने का आरोप लगाती रही है। वहीं भाजपा आरोप लगा रही है कि केंद्रीय योजनाओं को केजरीवाल दिल्ली में लागू नहीं होने दे रहे हैं। भाजपा इस चुनाव में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दस फीसद आरक्षण के लाभ से दिल्लीवासियों को वंचित रखने का मुद्दा जोरशोर से उठा रही है। उसका कहना है कि राजनीतिक द्वेष की वजह से यह सरकार केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ दिल्ली के लोगों तक नहीं पहुंचने दे रही है।
दिल्ली का नियोजित विकास
भ्रष्टाचार और प्लानिंग की कमी की वजह से दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियां और झुग्गी बस्तियां बसती चली गईं। आज के दिन में राजधानी की लगभग आधी आबादी इन कॉलोनियों व झुग्गियों में रहती है जहां नागरिक सुविधाओं का अभाव है। आपदा प्रबंधन की भी कोई व्यवस्था नहीं हैं। दिल्ली को विश्व की सबसे सर्वश्रेष्ठ राजधानी बनाने का वादा तो सभी पार्टियां करती हैं, लेकिन अनियोजित विकास इसमें सबसे बड़ी बाधा है। इस समस्या को दूर करके दिल्ली में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाना व सुनियोजित विकास बड़ा मुद्दा है।
स्वच्छ और सुंदर दिल्ली
प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत दिल्ली से की थी, लेकिन आज भी यह स्वच्छता मानकों पर खरा नहीं उतर रही है। स्वच्छता रैंकिंग में देश की राजधानी से अन्य शहर काफी आगे हैं। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद को छोड़ दें तो अन्य तीनों नगर निगमों की स्थिति बेहद खराब है। नगर निगमों का आरोप है कि दिल्ली सरकार उसे फंड उपलब्ध नहीं करा रही है जिस वजह से उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो रही है। वेतन नहीं मिलने से सफाई कर्मचारी अक्सर हड़ताल पर चले जाते हैं और दिल्ली की सड़कों पर कूड़े के ढेर लग जाते हैं। वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारण नहीं होने से राजधानी में कूड़े के पहाड़ बनते जा रहे हैं जिससे दुर्घटनाएं भी हो चुकी है।
पूर्ण राज्य का दर्जा
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का मुद्दा बहुत पुराना है। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को धार दे रही है, लेकिन भाजपा व कांग्रेस इसका विरोध कर रही हैं। कभी भाजपा भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में थी, लेकिन अब उसका रुख बदल गया है। उसका कहना है कि सभी पहलुओं पर ध्यान देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं है।
वायु प्रदूषण
हाल ही में एक गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट में दिल्ली को विश्व का सबसे प्रदूषण राजधानी घोषित किया गया है। यहां की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि अदालत ने इसे गैस चैंबर बता दिया है। संसद में भी इसे लेकर चिंता जताई गई है। इस समस्या को लेकर सियासत भी खूब होती है। प्रत्येक पार्टियां चुनाव में दिल्ली की आबोहवा को सुधारने का वादा करती है, परंतु इस दिशा में अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा है और सभी पार्टियां इसे लेकर एक दूसरे को कठघरे में खड़ा करेंगी।
महिला सुरक्षा व कानून व्यवस्था
राजधानी में महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। वर्ष 2012 में हुए वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म ने दिल्ली के साथ ही पूरे देश को आंदोलित कर दिया था। उसके बाद हुए सभी चुनावों में यह यह मुद्दा जोरशोर से उठता रहा है। सभी पार्टियां इसे लेकर दावे तो करती रही हैं, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार राजधानी महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर है। आप इसे लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करती थी। विधानसभा चुनाव में उसने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई वादे किए थे, जो पूरे नहीं हुए। भाजपा व कांग्रेस इसे लेकर उसे कठघरे में खड़ा कर रही है।
यातायात जाम
बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के अनुरूप राजधानी में बुनियादी ढांचे का विकास नहीं हुआ, जिस वजह से यहां की कई सड़कों पर यातायात जाम की समस्या गंभीर हो गई है। समस्या के समाधान के लिए कई योजनाएं तो बनाई गई, लेकिन उस पर समयबद्ध तरीके से काम नहीं हुआ। आप की दिल्ली सरकार सिग्नेचर शुरू करने श्रेय जरूर ले रही है, लेकिन कई अन्य सड़कों, फ्लाईओवर, सबवे बनाने का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। केंद्र सरकार ने ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल का काम पूरा करके राजधानी को जाममुक्त करने की कोशिश जरूर की है। इसी तरह से राष्ट्रीय राजमार्ग 9 पर सराय काले खां से दिल्ली गेट तक का काम पूरा हो गया है और आगे का काम चल रहा है।
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था
जरूरत के अनुसार, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का विस्तार नहीं किए जाने से दिल्ली की सड़कों पर निजी वाहनों की भीड़ बढ़ती जा रही है, जिससे यातायात जाम व वायु प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है। दिल्ली में इस समय 11 हजार से ज्यादा बसों की जरूरत है, लेकिन दिल्ली परिवहन निगम व कलस्टर को मिलाकर बमुश्किल पांच हजार बसें हैं। मेट्रो तीसरे चरण के काम में देरी होने के साथ चौथे चरण का काम सियासत में फंसा हुआ है। सियासत की वजह से रैपिड रेल का काम भी शुरू नहीं हो सका है। इलेक्ट्रिक बसों को सड़क पर उतारने को लेकर भी सियासत हो रही है।
अविरल यमुना
सरकारी उपेक्षा से जीवनदायिनी यमुना गंदगी से कराह रही है। दिल्ली में यह नाले में तब्दील हो गई है। अनेक चेतावनियों के बावजूद रोजाना यहां 3296 मिलियन गैलन गंदा पानी औद्योगिक अवशेष 17 बड़े और कई छोटे नालों के जरिये यमुना में गिर रहा है। पानी में अमोनिया का मात्र बढ़ने से अक्सर दिल्ली में पेयजल आपूर्ति भी बाधित होती है। अविरल यमुना वर्षों से चुनावी मुद्दा बनता रहा है। गंदे पानी को इस पवित्र नदी में गिरने से रोकने के लिए कई योजनाएं बनाई गई, लेकिन उस पर गंभीरता से काम नहीं किया गया।