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दिल्ली और हरियाणा में इन दलों की दांव पर है साख, भाजपा से पार पाना बड़ी चुनौती

लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा के क्षेत्रीय दलों की ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय दल कांग्रेस की साख भी दांव पर है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 03:12 PM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 03:12 PM (IST)
दिल्ली और हरियाणा में इन दलों की दांव पर है साख, भाजपा से पार पाना बड़ी चुनौती
दिल्ली और हरियाणा में इन दलों की दांव पर है साख, भाजपा से पार पाना बड़ी चुनौती

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा के क्षेत्रीय दलों की ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय दल कांग्रेस की साख भी दांव पर है। सत्तारूढ़ भाजपा के सामने अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा बचाने के लिए दिल्ली और हरियाणा में कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी से लेकर राज्य में सक्रिय जननायक जनता पार्टी (जजपा) भी असमंजस में है। दोनों राज्यों में अपना अस्तित्व बचाने का संकट इन दलों के सामने बना हुआ है।

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यही कारण है कि कांग्रेस, आप और जजपा नामांकन पत्र दाखिल करने के दूसरे दिन भी राज्य के दस लोकसभा क्षेत्रों के लिए अपने पूरे प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाए हैं। हरियाणा में कांग्रेस ने अब तक छह लोकसभा क्षेत्रों के लिए प्रत्याशी घोषित किए हैं तो आप और जजपा गठबंधन ने एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। राज्य में एक माह पहले तक मुख्य विपक्षी दल रहा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) भी छह लोकसभा क्षेत्रों के लिए ही प्रत्याशी घोषित कर पाया है।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आठ और तत्कालीन हरियाणा जनहित कांग्रेस गठबंधन दो सीट पर चुनाव लड़ा। इसमें भाजपा ने अपने हिस्से की आठ में से सात सीट पर विजय हासिल की थी। हरियाणा जनहित कांग्रेस दोनों सीट पर चुनाव हार गई थी। इनेलो ने 2014 में सिरसा और हिसार सीट पर विजय हासिल की थी। कांग्रेस ने एकमात्र रोहतक सीट पर जीत दर्ज की।

सत्तारूढ़ दल भाजपा के सामने इस बार दस की दस सीट पर चुनाव जीतने की चुनौती है तो राज्य में पांच नगर निगम मेयर और जींद विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड जीत के बाद कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष के सामने भाजपा का विजय रथ रोकने की चुनौती बनी हुई है। तमाम प्रयास के बावजूद राज्य में आप और जजपा सहित लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी और बसपा का गठबंधन तो बना मगर ये गठबंधन महागठबंधन में तब्दील नहीं हो पाए।

आप के लिए दिल्ली पर कब्जा और हरियाणा में पहचान बनाने की चुनौती

आम आदमी पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सात सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव में आप को 70 में से 67 सीट मिली तो अब 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के सामने दिल्ली पर कब्जा जमाने की चुनौती है। यह चुनौती दिल्ली से आगे बढ़कर पार्टी के लिए हरियाणा में भी पहचान बनाने की बनी हुई है।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता दिल्ली में सात सीटों पर भाजपा के सामने मजबूत विकल्प देने के लिए समझौता करने को तैयार हैं मगर आप नेता चाहते हैं कि कांग्रेस हरियाणा में भी उनकी पार्टी के साथ समझौता करे। हरियाणा में आप का जननायक जनता पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव में दस सीटों पर समझौता है।

भाजपा ने कर दिए हैं सभी दस लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी घोषित

हरियाणा में भाजपा ने सभी दस लोकसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ छह सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित किए हैं। कांग्रेस से गठबंधन की आस में आप और जजपा गठबंधन के प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं हुए हैं। वहीं दिल्ली में कांग्रेस और आप के गठबंधन को लेकर अभी तक असमंजस है।

इनेलो के विघटन के बाद बनी है जजपा

हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का विघटन हो चुका है। चौटाला के बड़े पुत्र अजय सिंह चौटाला और सांसद प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला ने इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी (जजपा) का गठन कर लिया है।

जजपा का राज्य में आम आदमी पार्टी से दस लोकसभा क्षेत्रों में गठबंधन है। गठबंधन के तहत सात सीटों पर जजपा और तीन सीटों पर आप चुनाव लड़ेगी। हालांकि यह गठबंधन अभी इस आस में है कि कांग्रेस से भी समझौता हो जाए। इसके लिए जजपा तो हक में नहीं है मगर आप पूरे प्रयास कर रही है।

इनेलो, जजपा और आप के लिए है बड़ी चुनौती

कांग्रेस और इनेलो अभी तक दस में छह-छह सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित कर पाई है। कांग्रेस को करनाल, सोनीपत, कुरुक्षेत्र और हिसार में प्रत्याशी घोषित करने हैं जबकि इनेलो के सामने गुड़गांव, रोहतक, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में अपने प्रत्याशी घोषित करने की बड़ी चुनौती बनी हुई है।


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