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नक्‍सलवाद के जन्‍मस्‍थान पर 42 बाद बदल गए राजनीति के मायने

नक्‍सलबाड़ी वह स्‍थान है जहां एक समय उग्र वाम विचारधारा के लिए प्रमुख स्‍थान माना जाता था जो अब वाम विचारधारा के लिए सिर्फ औपचारिकता मात्र रह गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 03:39 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 03:39 PM (IST)
नक्‍सलवाद के जन्‍मस्‍थान पर 42 बाद बदल गए राजनीति के मायने
नक्‍सलवाद के जन्‍मस्‍थान पर 42 बाद बदल गए राजनीति के मायने

नक्सलबाड़ी, पश्चिम बंगाल [जागरण स्‍पेशल]। नक्‍सलबाड़ी वह स्‍थान है, जहां से उग्र वाम विचारधारा पैदा हुई थी, जो अब वाम विचारधारा के लिए सिर्फ औपचारिकता मात्र रह गया है। वहां अब भाजपा का प्रभाव बढ़ रहा है। यह क्षेत्र दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के अर्न्‍तगत आता है, जहां से दो बार से भाजपा का उम्‍मीदवार विजयी रहा है।

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यहां सात मंचों पर सात मूर्तियां लगी हैं-लेनिन, स्‍टालिन, माओ तुंग, लिन पिआवो, चारु मजूमदार, सरोज दत्‍ता और माहताब मुखर्जी। ये मूर्तियां बेंगाइ जाट प्राइमरी स्‍कूल के ठीक बगल में लगी हैं। इन मूर्तियों के अलावा दो बच्‍चों सहित 11 लोगों के नाम एक लाल पट्टिका पर है, जो 25 मई 1967 को पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे। यही वह दिन था जिसकी चिंगारी से नक्सलबाड़ी विद्रोह शुरू हुआ था, जो उग्र वाम विचारधारा से प्रेरित थे, उसे सरकार द्वारा आंतरिक सुरक्षा के रूप में सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जाता है।

यहां से लगभग 4.5 किमी दूर सेबाडेला जोत में एक बांस बेंत की बाड़ में मिट्टी का घर है। यह घर दिवंगत कानू सान्‍याल का घर है जो सीपीआइ (एमएल) के संस्‍थापक सदस्‍य थे। यह संगठन वर्तमान सीपीआइ (माओवादी) की उत्‍पत्ति का कारक माना जाता है।

बदल गया राजनीतिक आख्‍यान
नक्‍सलबाड़ी को भारत में नक्‍सलबाड़ी आंदोलन के जन्‍मस्‍थान के रूप में जाना जाता है। ये दोनों मूर्तियां एक विचारधारा की अवशेष मात्र हैं, जिन्होंने अब एक नए राजनीतिक आख्यान को स्थान ले लिया है। इससे पता चलता है कि बढ़ती हुर्इ भाजपा तृणमूल कांग्रेस का स्‍थान कैसे लेती जा रही है। इस बीच सीपीएम और कांग्रेस दोनों जिन्होंने एक गठबंधन के हिस्से के रूप में नक्सलबाड़ी विधानसभा सीट जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए गठबंध करने में नाकाम रहे।

इससे यहां लोकसभा चुनाव को लेकर चौतरफा लड़ाई होगी। नक्सलबाड़ी दार्जिलिंग लोकसभा सीट का हिस्सा है, जहाँ तृणमूल कांग्रेस के अमर सिंह राय ने भाजपा के राजू सिंह बिस्‍ट (जिन्होंने मौजूदा सांसद एसएस अहलुवालिया की जगह लिया है) के खि‍लाफ मोर्चा खोला हुआ है। वहीं कांग्रेस के शंकर मालाकार (नक्सलबाड़ी-माटीगारा सीट से विधायक) और माकपा के समन पाठक भी मैदान में हैं।

वर्ष में सिर्फ एक दिन होती है मूर्तियों की पूछ
बंगाली हॉट प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर नृपेन बर्मन का कहना है कि उस समय हम बच्‍चे थे। कानू सान्याल के नेतृत्व में भूमि के मालिकों और धनाढ्यवर्ग के खिलाफ किसान लड़ाई हुई थी लेकिन वे दिन चले गए। मैं उन छात्रों पर नजर रखता हूं रखनी है, जो स्कूल के बाद बस्ता के साथ मूर्ति पर चढ़ते हैं और कभी-कभी उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। हर साल 25 मई को कुछ लोग यहां कोलकाता से आते हैं और झंडा फहराते हैं। बाकी दिन कोई पूछने तक नहीं आता है।

नक्‍सलबारी के बेंगाइ जाट प्राइमरी स्‍कूल से आधा किलोमीटर की दूरी पर क्षेत्र का सबसे बड़ा स्‍कूल और राष्‍ट्रीय स्‍वयं संघ से संबंध और सारदा शिशु मंदिर द्वारा चलाया जाने वाला सारदा विद्या मंदिर स्‍कूल है। यह स्‍कूल करीब छह वीघा में फैसला हुआ है। स्‍कूल का सिलेबस नैतिक शिक्षा और राष्‍ट्रवादी मूल्‍यों से लैस है। यह स्‍कूल 1999 में स्‍थापित किया गया था और यहां 653 बच्‍चे पढ़ते हैं।

आरएसएस से जुड़े स्‍कूलों का है प्रभाव
स्‍कूल के हेडमास्‍टर सुजीत दास ने बताया कि हमारा लक्ष्‍य शिक्षा को भारतीय मूल्‍यों, संस्‍कृति और परंपरा से जोड़ना है। हमारा राजनीति के साथ कोर्इ संबंध नहीं है। चार अप्रैल को तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को नक्‍सलबाड़ी में सभा थी, जहां अच्‍छी खासी भीड़ थी। नक्‍सलबाड़ी के निवासी और तृणमूल कांग्रेस के जिला उपाध्‍यक्ष अमर सिन्‍हा का कहना है कि केवल ममता बनर्जी ने ही नक्‍सलबाड़ी का विकास कराया है। यही कारण है कि उनको सुनने के लिए भारी संख्‍या में लोग आए। सीपीएम और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़ने से हमें सहायता मिलेगी। हम जानते हैं कि नक्‍सलबाड़ी में आरएसएस से संबंध स्‍कूलों के जरिये भाजपा अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में है, लेकिन वे सफल नहीं होंगे।

लोकसभा के चुनाव में चतुष्‍कोणीय मुकाबला
2016 के विधानसभा के चुनाव में माटीगारा-नक्‍सलबारी सीट पर कांग्रेस उम्‍मीदवार शंकर मालाकर ने 18,627 वोटों से तृणमूल कांग्रेस के अमर सिन्‍हा को हराया था। स्‍थानीय सीपीएम नेता ने दुख जताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा नहीं हो सका। इस कारण यहां अब चतुष्‍कोणीय मुकाबला होगा। वाम फ्रंट के मजदूर संघ सीटू से जुड़े चाय कमान मजदूर यूनियन के महासचिव गौतम घोष का कहना है कि आरएसएस और भाजपा का प्रयास है कि उग्र राष्‍ट्रवाद की विचारधारा का प्रयास किया जाए। वहीं दूसरी दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस की नीति आतंक‍ फैलाकर राज करने की है।

वाम विचारधारा अभी भी प्रासंगिक है। हमने पंचायत चुनावों में अच्‍छा किया था। विधानसभा के चुनावों में हमारे वोटों के कारण कांग्रेस जीत हासिल कर सकी थी। यह दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि इस बार सीटों को लेकर समझौता नहीं हो सका। हम चाय क्षेत्र में किसानों और मजदूरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। कांग्रेस के दार्जिलिंग सीट से लोकसभा उम्‍मीदवार शंकर मालाकार का कहना है कि हम यह सीट जीत सकते हैं। लोगों ने तृणमूल और भाजपा दोनों को आजमा कर देख लिया और केंद्र में हमारी पार्टी की अगली सरकार होगी। हालांकि यह अच्‍छा होता कि हमने वाम मोर्चा के साथ गठबंधन किया होता।

भाजपा के पक्ष में हवा होने का दावा
नक्सलबाड़ी के टाउन क्‍लब में भाजपा का पार्टी ऑफिस है जो कार्यकर्ताओं और पाटी के झंडे से पटा हुआ है। पार्टी के ब्‍लॉक अध्‍यक्ष दिलीप बराई का कहना है कि यहां हमारे झेडे की काफी मांग है। इसे काफी संख्‍या में टी गार्डन क्षेत्र में भेजा गया है। यह पहली बार है कि हमने टी गार्डन क्षेत्र में हमने बूथ कमेटी बनाई है। यहां शांति है लेकिन हमारे पक्ष में हवा है विशेष रूप से पाकिस्‍तान से एयर स्‍ट्राइक के बाद। पीएम नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए सिलिगुड़ी में आयोजित सभा में यहां से भारी संख्‍या में लोग गए थे।  


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