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कुरुक्षेत्र की धरा के चुनावी महाभारत में उतरे नवीन, हैट्रिक से चूके थे

आखिरकार कांग्रेस ने नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। चौथी बार वह कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में महाभारत की धरा पर उतरेंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 07:24 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 07:24 PM (IST)
कुरुक्षेत्र की धरा के चुनावी महाभारत में उतरे नवीन, हैट्रिक से चूके थे

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [पंकज आत्रेय]। चौदहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा में कुरुक्षेत्र से सांसद रहे नवीन जिंदल 2014 में हैट्रिक लगाने के मकसद से मैदान में उतरे थे। बाकायदा कार्यकर्ताओं के लिए टी-शर्ट बनवाए गए, जिन पर लिखा था नवीन ऑन हैट्रिक। लेकिन एक नंबर से वे सीधे तीसरे नंबर पर खिसक गए। 

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लोकसभा चुनाव-2019 में टिकट के लिए कभी हां-कभी ना के बीच आखिर पार्टी हाईकमान ने उनका नाम इसी सीट से चुनावी महाभारत के लिए फाइनल कर दिया। उम्मीद जताई जा रही है कि 14 अप्रैल को पार्टी उनकी टिकट का ऐलान कर देगी। बृहस्पतिवार देर रात कांग्रेस ने हरियाणा के लिए उम्मीदवारों के नामों पर विचार-विमर्श किया। कुरुक्षेत्र लोकसभा से एक ही नाम सूची में था और वह नवीन जिंदल का ही था। 

अभय को हराया

वर्ष 2004 में नवीन जिंदल पहली बार कांग्रेस की टिकट पर कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। उनके खिलाफ इनेलो के नेता अभय सिंह चौटाला मैदान में उतरे। इस चुनाव में नवीन ने अभय को एक लाख 30 हजार मतों के बड़े अंतर से हराया था। 2009 में वे दोबारा से सांसद चुने गए थे। वर्ष 2014 में भाजपा के राजकुमार सैनी ने चुनाव जीता। उन्हें चार लाख 18 हजार 112 वोट मिले। दूसरे नंबर पर इनेलो के बलबीर सैनी थे, जिन्हें दो लाख 88 हजार 376 वोट हासिल हुए। नवीन जिंदल 287722 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस को कुरुक्षेत्र में 20 प्रतिशत वोटों का नुकसान हुआ था। यह मोदी लहर की वजह से रहा। 

16 में से आठ बार कांग्रेसी सांसद

कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र पर हुए 16 चुनावों में अब तक आठ बार कांग्रेसी उम्मीदवार जीते हैं। इनमें 1952 में मूलचंद जैन, 1962 में डीडी पुरी, 1967 और 1971 में गुलजारी लाल नंदा, 1984 में सरदार हरपाल सिंह, 1991 में सरदार तारा सिंह, 2004 और 2009 नवीन जिंदल शामिल हैं। 1996-98 में इसी सीट पर नवीन जिंदल के पिता ओमप्रकाश जिंदल हरियाणा विकास पार्टी से सांसद चुने गए थे। नवीन ने कुरुक्षेत्र में उनकी सियासी विरासत को संभाला था। अब वे खुद चौथी बार चुनाव लडऩे जा रहे हैं। गुलजारी लाल नंदा यहीं से दो बार जीते और दो बार कार्यकारी प्रधानमंत्री बने।


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