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Lok Sabha Election 2019: जम्मू-कश्मीर की छात्र राजनीति से निकले कई चाणक्य

जम्मू विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय राज्य के दो स्टेट विश्वविद्यालय हैं। जम्मू कश्मीर में हालात को मद्देनजर रखकर ही छात्र संघ चुनाव से बचा जाता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 10:47 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 10:47 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: जम्मू-कश्मीर की छात्र राजनीति से निकले कई चाणक्य
Lok Sabha Election 2019: जम्मू-कश्मीर की छात्र राजनीति से निकले कई चाणक्य

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में भी कई नेता ऐसे हैं जो छात्र राजनीति की बदौलत सियासत की सीढिय़ां चढ़कर मुकाम तक पहुंचे हैं। संसद के दरवाजे पर दस्तक दे रहे ऐसे नेताओं ने कॉलेज और यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्र समस्याओं को मुद्दा बना अपनी राजनीति की शुरुआत की। इनमें कई नेता सांसद बने तो कुछ विधायक।

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कुछ दोबारा सांसद बनने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। कोई पहली बार चुनावी राजनीति की गलियों में दौड़ लगा रहा है। बात अगर जम्मू की छात्र राजनीति की करें तो गुलाम नबी आजाद, प्रो. चमन लाल गुप्ता, डॉ. निर्मल सिंह, प्रो. भीम सिंह सहित ऐसे और भी कई नेता हैं जो राजनीति में अपनी काबलियत और क्षमता का लोहा मनवा चुके हैं।

भले ही जम्मू कश्मीर के दो प्रमुख विश्वविद्यालय जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय ने छात्र संघ के चुनाव नहीं करवाए लेकिन स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों से ही राजनीतिक गतिविधियों में बढ़चढ़कर भाग लेने के लिए युवाओं ने किसी न किसी पार्टी का दामन थाम लिया। अगर इन युवाओं की किस्मत राजनीति में चमकी है तो इसके लिए उनके छात्र जीवन की भूमिका अहम रही है।

नेता अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कई बार भावुक भी हो जाते हैं। जब आजाद राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने जम्मू विश्वविद्यालय में हुए कार्यक्रम में भावुक होते हुए कहा था कि हॉस्टल की लाइफ की भी अपनी ही जिंदगी थी। मैं तो कई बार अपने सहपाठी के कपड़े पहन कर चला जाता था।

2016 में पहली बार हुआ था जम्मू विवि में छात्र संघ का चुनाव

जम्मू विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय राज्य के दो स्टेट विश्वविद्यालय हैं। जम्मू कश्मीर में हालात को मद्देनजर रखकर ही छात्र संघ चुनाव से बचा जाता है। जम्मू विश्वविद्यालय की स्टूडेंट यूनियन के लिए पहली बार साल 2016 में चुनाव हुए थे। कुछ विद्यार्थियों की तरफ से न्यायालय चले जाने के बाद परिणाम घोषित करने पर रोक लग गई। नतीजे घोषित नहीं हुए। उसके बाद चुनाव नहीं हुए। दोनों विश्वविद्यालय हालात बिगडऩे की आशंका के मद्देनजर चुनाव करवाने से कतराते रहे हैं। जब जम्मू विवि में 2016 में पहली बार स्टूडेंट यूनियन के चुनाव हुए थे तो यह चुनाव ओपन नहीं हुए थे। पहले विभागीय प्रधान चुने थे जिनमें मुख्य बाडी के लिए वोट डाले थे। कॉलेजों में हर वर्ष छात्र यूनियन के चुनाव होते हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से निकले कई नेता

प्रो. भीम सिंह अपने छात्र जीवन को याद करके कहते हैं कि किस तरह से वह आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लेते रहे हैं। छात्र जीवन से राजनीतिक भविष्य बनाने वाले कांग्रेस के छात्र नेता अक्सर एनएसयूआइ से जुड़ेरहे हैं। भाजपा के छात्र नेताओं ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की है।

नियमों अनुसार चुनी जाती स्टूडेंट कल्चरल काउंसिल

जम्मू विश्वविद्यालय में एक ही बाडी विश्वविद्यालय के नियमों अनुसार चुनी जाती है। वो है स्टूडेंट कल्चरल काउंसिल। यह बाडी जम्मू विवि में होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों को संचालित करती है। हर वर्ष विवि की तरफ काउंसिल का एक सचिव और तीन संयुक्त सचिव चुने जाते हैं। कुछ समय पहले स्कालरों का प्रतिनिधित्व करने बाडी जम्मू यूनिवर्सिटी रिसर्च स्कालर एग्जिक्यूटिव एसोसिएशन के चुनाव होते थे। पिछले तीन वर्ष से वो चुनाव भी नहीं हुए है।

निर्मल सिंह : डॉ. निर्मल सिंह विधानसभा के स्पीकर हैं। भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बिलावर से जीते। डॉ. निर्मल जम्मू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफेसर थे। विश्वविद्यालय में सक्रिय राजनीति करने पर कोई रोक नहीं है। भाजपा के प्रदेश प्रधान पद पर रहे। निर्मल ो एमएएम कॉलेज से ग्रेजुएशन की और जम्मू विवि से पीएचडी की। छात्र जीवन से वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और आरएसएस से जुड़ गए थे।

गुलाम नबी आजाद : गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर के सक्रिय और बड़े राजनेताओं में एक है। वह साल 2005 से लेकर 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। केंद्र की यूपीए सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। वह इस समय राज्यसभा में विपक्ष के नेता है। मूल रूप से डोडा जिला के गंदोह के भलेसा के रहने वाले गुलाम नबी आजाद ने छात्र जीवन से ही अपने राजनीति सफर की शुरुआत कर दी थी। गांव में ही स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद आजाद ने साइंस कॉलेज जम्मू से बीएससी की और बाद में कश्मीर विवि से जूलॉजी में मास्टर डिग्री की। साल 1980 में वह प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रधान भी रहे। छात्र जीवन से राजनीति करने के बाद अहम पदों को हासिल करने वाले आजाद ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

प्रो. चमन लाल गुप्ता : अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली पूर्व एनडीए सरकार में साल 2002 से लेकर 2004 तक रक्षा राज्यमंत्री रहे प्रो. चमन लाल गुप्ता का जन्म जम्मू में हुआ। प्रो. गुप्ता ने छात्र राजनीति से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह साइंस कॉलेज में पढ़े हैं। बाद में वहां पर ही कुछ समय के लिए पढ़ाया है। प्रो. गुप्ता ऊधमपुर-डोडा संसदीय सीट से 1996 में पहली बार सांसद बने और 1998 में फिर से सांसद चुने गए। वह साल 1999 से लेकर 2004 तक सांसद रहे। वह 1972 में पहली बार विधायक चुने गए।

भीम सिंह : धमपुर जिला के रामनगर के रहने वाले प्रो. भीम सिंह इस समय पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक हैं। छात्र राजनीति में ही सक्रिय हुए भीम सिंह कांग्रेस पाटी में अहम पदों पर रहे। वह प्रदेश यूथ कांग्रेस के प्रधान और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे। साल 1966 में जम्मू के लिए अलग विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय और मेडिकल कालेज के हुए आंदोलन में भीम सिंह की अहम भूमिका रही। भीम सिंह एमएलसी भी रहे है। अहम मुद्दों को लेकर वह सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते रहे हैं।

हर्षदेव सिंह : हर्षदेव सिंह ने भी अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की थी। वह जम्मू विवि में लॉ विभाग के विद्यार्थी रहे है। तीन बार विधायक और पूर्व मुफ्ती मोहम्मद सईद गठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री हर्षदेव सिंह इस समय पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन है। वह इस समय ऊधमपुर डोडा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

रमण भल्ला : जम्मू पुंछ संसदीय सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रमण भल्ला भी छात्र राजनीति से सक्रिय हो गए थे। सांइस कॉलेज में पढ़ाई के समय ही उन्होंने विद्यार्थियों के मुद्दों को उठाना शुरू किया। जम्मू विवि के लॉ विभाग से एलएलबी करने के बाद वह पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए। दो बार विधायक रहे रमण भल्ला नेकां-कांग्रेस गठबंधन सरकार में राजस्व मंत्री रहे। वह इस समय संसदीय चुनाव लड़ रहे है।

नीरज कुंदन: जम्मू विवि के लॉ स्कूल के छात्र नीरज कुंदन इस समय नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया के राष्ट्रीय प्रधान है। नीरज कुंदन गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते है। लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया। एनएसयूआई के प्रदेश प्रधान बनने के बाद वह इस समय यूनियन के राष्ट्रीय प्रधान के पद पर जा पहुंचे हैं।


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