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अजित सिंह मुजफ्फरनगर व जयंत चौधरी बागपत से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

सियासी बेरोजगारी झेल रहे अजित सिंह इस बार पैंतरा बदलते हुए मुजफ्फरनगर से और उनके पुत्र जयंत चौधरी बागपत से चुनाव लड़ेंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 12:01 PM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 12:02 PM (IST)
अजित सिंह मुजफ्फरनगर व जयंत चौधरी बागपत से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
अजित सिंह मुजफ्फरनगर व जयंत चौधरी बागपत से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

मेरठ, जेएनएन। समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी को समर्थन देने वाले राष्ट्रीय लोकदल के दो शीर्ष नेताओं की भी लोकसभा सीट तय हो गई है। पार्टी के अध्यक्ष अजित सिंह मुजफ्फरनगर से ताल ठोकेंगे तो उपाध्यक्ष जयंत चौधरी बागपत से मैदान में उतरेंगे।

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लोकसभा के चुनावी घमासान में रालोद तीन सीटों पर ताल ठोंकेगा। 2014 लोकसभा चुनावों के बाद से सियासी बेरोजगारी झेल रहे अजित सिंह इस बार पैंतरा बदलते हुए मुजफ्फरनगर से और उनके पुत्र जयंत चौधरी बागपत से चुनाव लड़ेंगे। तीसरी सीट मथुरा पर पार्टी ने अभी तक उम्मीदवार तय नहीं किया है।

रालोद को गठबंधन में शामिल करने को लेकर सपा-बसपा के बीच जमकर मशक्कत हुई। अंतिम क्षणों में अजित सिंह को साथ लेने पर सहमति बनी। दिल्ली के गलियारों में लंबी राजनीतिक पारी खेल चुके छोटे चौधरी अजित सिंह ने राजनीतिक आगाज 1986 में राज्यसभा से किया। इसके बाद 1998 से सोमपाल शास्त्री से हारने के बाद वह बागपत लोकसभा सीट से लगातार तीन बार लोकसभा पहुंचे। 1999, 2004 एवं 2009 में जीत दर्ज करने के बाद छोटे चौधरी 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा की गुगली पर बोल्ड हो गए थे, लेकिन इस बार छोटे चौधरी बड़े इरादे के साथ उतरेंगे।

कैराना लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद से अजित सिंह की नजर मुजफ्फरनगर पर टिकी है। राष्ट्रीय लोकदल के रणनीतिकारों का मानना है मुजफ्फरनगर दंगों के चलते ही रालोद को करारी शिकस्त मिली थी, जिसे इस बार चौधरी अजित सिंह जीतना चाहते हैं। इस बहाने रालोद एक बार फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बड़ी राजनीतिक ताकत बनने का सपना देख रहा है। करीब साल से मुजफ्फरनगर पर होमवर्क कर रहे अजित बदलती सियासी हवा के बीच अपनी संभावनाएं देख रहे हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह से लेकर उनके पुत्र अजित सिंह के बाद अब तीसरी पीढ़ी के जयंत बागपत से ताल ठोंककर पारिवारिक विरासत संभालेंगे। इस सीट पर अजित सिंह एक बार 1998 में सोमपाल शास्त्री और 2014 में सत्यपाल सिंह से हार चुके हैं। बागपत रालोद का गढ़ माना जाता है, ऐसे में जयंत को घेरने के लिए भाजपाइयों में मंथन तेज हो गया है। जयंत सपा-बसपा के वोटों के साथ जाट एवं युवा वोटों के भरोसे मैदान में उतरेंगे। भाजपा सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने विकास के जरिए अपनी छवि मजबूत करने का प्रयास किया है। 2014 लोकसभा और 2017 विस चुनावों में ओबीसी वोटों ने भाजपा की राह आसान कर दी थी, जिस पर पार्टी ने इस बार भी भरपूर होमवर्क किया है। रालोद महासचिव त्रिलोक त्यागी ने बताया कि मुजफ्फरनगर से जीतकर छोटे चौधरी हवा का रुख बदलेंगे। बागपत में जयंत युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं, जबकि मथुरा में कई नामों पर रालोद विचार कर रहा है। 


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