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Loksabha Election : उत्तर प्रदेश में आंधी बन गई पश्चिम से चली भगवा बयार

2014 के मतदान से परिणाम के सफर की कुछ कोरी तो कई सतरंगी यादों की झंकार सुनाई देने लगी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को उखाड़ फेंकने के लिए नरेंद्र मोदी ने पश्चिम से तुरही फूंकी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 11 Mar 2019 12:15 PM (IST)Updated: Mon, 11 Mar 2019 12:54 PM (IST)
Loksabha Election : उत्तर प्रदेश में आंधी बन गई पश्चिम से चली भगवा बयार
Loksabha Election : उत्तर प्रदेश में आंधी बन गई पश्चिम से चली भगवा बयार

लखनऊ [आनंद राय]। लोकसभा 2019 का का चुनावी बिगुल बजते ही पिछले 2014 के मतदान से परिणाम तक के सफर की कुछ कोरी तो कई सतरंगी यादों की झंकार सुनाई देने लगी। इस बार चुनावी रणभूमि में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को उखाड़ फेंकने के लिए नरेंद्र मोदी ने पश्चिम से तुरही फूंकी।

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इसका परिणाम यह रहा कि तपने को तैयार मौसम में भी पहले चरण से ही भाजपा पर वोटों की बारिश हुई और इससे उठी ऊंची लहरें उन्हें दिल्ली की सत्ता तक ले गईं। इन लहरों में राष्ट्रीय लोकदल का बागपत जैसा किला भी बह गया था।

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे आचार्य विष्णुकांत शास्त्री अक्सर कहते थे 'कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए।' लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व का रविवार को बिगुल बजा तो पांच वर्ष पहले की यादें ताजा हो गईं। चुनाव के लिए जैसा मौसम तब था वैसा ही कमोबेश अब भी है लेकिन, मन-मिजाज बदले हुए हैं। एक तरफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन नरेंद्र मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनाने के लिए पूरी ताकत से मैदान में है तो दूसरी तरफ सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस उनकी राह रोकने में जुट गई हैं। पिछली बार पश्चिम से पहले चरण के मतदान के बाद प्रदेश में भाजपा का शत-प्रतिशत खाता खुला तो अंत तक माहौल बना रहा। लोग आते गये और कारवां बनता गया।

सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश ने इतिहास रचा था। कुल छह चरणों में वोटिंग हुई और हर चरण ने नरेंद्र मोदी के लिए दिल्ली की सत्ता का मार्ग प्रशस्त किया। तब दस वर्ष से देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर मनमोहन सिंह काबिज थे और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को उखाड़ फेंकने के लिए मोदी सबसे बड़े योद्धा के रूप में उभरे थे। अब चुनाव की तारीख तय होने के साथ ही पिछले चुनाव की यादों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दस क्षेत्रों में दस अप्रैल को पहले चरण का वोट पड़ा था। तब सभी दस सीटें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर और अलीगढ़ चुनाव परिणाम के बाद भाजपा की थीं। मोदी की आंधी में बागपत जैसा रालोद का किला भी ढह गया था। चुनाव की शुरुआत हुई तो तनाव और बवाल का अंदेशा था। उन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश दंगे से उबर कर पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहा था और चुनावी माहौल में सब कुछ सामान्य हो गया।

पहले ही चरण ने भगवा का इकबाल बुलंद किया तो दूसरे चरण में भी यह बना रहा। दूसरे चरण में 17 अप्रैल को 11 सीटों पर मतदान हुआ और इस बार नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, आंवला, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर और खीरी भाजपा के हिस्से में थी लेकिन, इस चरण की बदायूं सीट ने सपा का खाता खोल दिया। तीसरे चरण में 12 सीटों पर 24 अप्रैल को मतदान था।

ब्रज क्षेत्र में होने वाले इस चुनाव में विपक्ष को बड़ी उम्मीदें थीं। यह मुलायम के गढ़ का चुनाव था और सर्वाधिक जोश में सपा था। पर हाथरस, मथुरा, आगरा, फतेहपुर सीकरी, एटा, हरदोई, फर्रुखाबाद, इटावा और अकबरपुर सीटें भाजपा ने अपने नाम कर लीं। सपा के हिस्से में फीरोजाबाद, मैनपुरी और कन्नौज की सीटें आईं। चौथे चरण का मतदान 30 अप्रैल को था। बुंदेलखंड के सुदूर अंचलों तक फैले इस चरण में ही तबकी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की किस्मत दांव पर थी। इस चरण की 14 सीटों में धौरहरा, सीतापुर, मिश्रिख, उन्नाव, मोहनलालगंज, लखनऊ, कानपुर, जालौन, झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर और बाराबंकी सीटें भाजपा के ही हिस्से में रहीं। सोनिया अपनी परंपरागत सीट बचाने में कामयाब रहीं।

पांचवें चरण में सिर्फ अमेठी की सीट गई थी कांग्रेस के खाते में

पांचवा चरण कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के नाम था। सात मई को मतदान था और अमेठी के वोटरों ने राहुल गांधी का मान जरूर रखा लेकिन, भाजपा की स्मृति ईरानी के चलते उनके लिए यह चुनाव लोहे के चने चबाने जैसा था। 15 सीटों पर हुए चुनाव में अमेठी को छोड़कर बाकी सुलतानपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, फूलपुर, इलाहाबाद, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बहराइच, कैसरगंज, श्रावस्ती, गोंडा, बस्ती, संतकबीरनगर और भदोही की सीटें भाजपा के ही हिस्से में गईं।

चुनाव का अंतिम चरण मोदी के लिए साबित हुआ वरदान

उत्तर प्रदेश का अंतिम चरण का चुनाव मोदी के लिए वरदान साबित हुआ। मोदी वाराणसी से उम्मीदवार थे और रिकार्ड मतों से जीते। 12 मई को कुल 18 सीटों पर चुनाव हुआ और इसमें सिर्फ आजमगढ़ संसदीय सीट मुलायम के खाते में गई। बाकी 17 सीटें भाजपा के हिस्से में थीं। इसी चरण में गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ भी अपनी परंपरागत सीट पर जीते थे। बीच के उप चुनावों से कई तस्वीर बदली है। मुख्यमंत्री योगी की गोरखपुर और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की फूलपुर सीट अब सपा के कब्जे में है। इस बार भी रोमांचक जंग के आसार हैं।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में दलों को मिले मत

पार्टी    मत     फीसद

भाजपा 34318854-    42.63

कांग्रेस 6061267 - 07.53

सपा 17988967 - 22.35

बसपा 15914194 - 19.77

रालोद 689409 - 0.86। 


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