लोकसभा चुनाव 2019 : पार्टियों के द्वारे फूटे सोशल मीडिया के गुब्बारे
आने वाला हर दिन अब नया रंग लेकर आएगा लेकिन इससे पहले सोशल मीडिया के सूरमाओं ने प्रत्याशी घोषित करने वाली पार्टियों के द्वारे तंज-चुटीले तीरों के गुब्बारे फोडऩे शुरू कर दिए हैैं।
लखनऊ [अमित मिश्र]। इस बार तो होली आई... और चली भी गई। हमारा-आपका रंग तो धुल कर बह गया लेकिन, उधर राजनीति के मुहल्ले में अभी होलियाना माहौल दो महीने और जमेगा। देखना मजेदार होगा कि किस पर किसका कैसा रंग चढ़ता है, किसका रंग बदलता है, किसका रंग बदरंग होता है और जो तमाम चेहरे अब तक कोरे थे, उन पर कैसा रंग चढ़ता है।
आने वाला हर दिन अब एक नया रंग लेकर आएगा लेकिन, इससे पहले सोशल मीडिया के सूरमाओं ने प्रत्याशी घोषित करने वाली पार्टियों के द्वारे तंज और चुटीले तीरों के गुब्बारे फोडऩे शुरू कर दिए हैैं।
सोशल मीडिया पर पार्टी निरपेक्ष युवा
अपने धर्मनिरपेक्ष देश में पार्टी निरपेक्ष युवाओं और विचारकों से मिलना हो तो सोशल मीडिया पर आना होगा। यहां निरपेक्ष के समानांतर पार्टियों के प्रति सापेक्ष विचार भी हैैं। यह एक-दूसरे को काट रहे हैं। कोई अगर तीखी बात से चोट पहुंचा रहा है तो तसल्ली देने वाली मरहम जैसी बातें उम्मीदें भी बंधा रही हैं। पांच साल सत्ता चलाने के बाद भाजपा जब अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर लोगों के बीच आ रही है तो सबसे ज्यादा निशाने पर भी वही है। अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने फिर खड़ी हुईं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर लोगों की खास नजर है। अरुण गिरि ट्विटर पर दावा कर रहे हैं कि राहुल गांधी अमेठी से ढाई लाख वोट से जीतेंगे तो यशवंत देशमुख केवल चार शब्दों में जवाब देते हैैं- 'ओके, इसे सेव कर रहा हूं।'
अरविंद पाठक अपने ट्वीट के जरिए भाजपा की सूची पर सवाल उठाते हुए शाहजहांपुर से कृष्णा राज की जगह अरुण सागर को टिकट दिए जाने को घातक फैसला बता रहे हैं तो मसूदुल हसन कहते हैं कि बड़ी संख्या में सांसदों का टिकट कटना बता रहा है कि बालाकोट काम नहीं आया है। एडवोकेट इंद्रसेन यादव कहते हैैं- 'वोट तो भाजपा को ही देंगे पर पांच साल सांसद ने क्षेत्र में कोई काम नहीं कराया है।' भीम आर्या भी भाजपा पर प्रहार करते हैं कि- 'देश के चौकीदार ने क्या किया...गटर गैस दी, पकौड़ा रोजगार दिया, नोटबंदी से पचासों को मौत दी, दो करोड़ को नौकरी और 15 लाख का जुमला दिया।'
तब हम ही थे चौकीदार
लंबे टकराव के बाद बसपा के साथ गठबंधन का प्रयोग करने वाली सपा भी सोशल मीडिया के निशाने पर है। कौशलेंद्र सिंह गौर ने बसपा को इस गठबंधन से सचेत करते हुए भाजपा की तरफ से ट्वीट किया- 'जब सपाइयों ने किया था मायावती पर वार, तब उनको बचाने वाले हम ही थे चौकीदार।' सपा ने शुक्रवार को गाजियाबाद का प्रत्याशी बदला तो कौशल मिश्रा ने तंज के साथ ट्वीट किया- 'क्या अभी से डर लग गया भाजपा से।' इसी तरह रसपाल सिंह कहते हैैं- 'जनरल वीके सिंह का इतना खौफ...नमो अगेन।' इसी तरह मोङ्क्षहदर नाथ सोमा अखिलेश के बेरोजगारी वाले ट्वीट का जवाब देते हुए कहते हैैं- 'जानता हूं कि आपको और आपके चमचों को बेरोजगार हुए दो बरस बीत चुके हैैं। अब आपको डर लग रहा है कि आपके चमचे कोई दूसरा रोजगार न ढूंढ़ लें।'
यह भी पढ़कर ही बताया
सोशल मीडिया पर बसपा अध्यक्ष मायावती भी निशाने पर हैैं। गठबंधन के भविष्य पर शोएब शकील अपने ट्वीट में मायावती से कहते हैैं- 'बस चुनाव के बाद आप मोदी को समर्थन मत देना, देश के हालात खुद-ब-खुद सुधर जाएंगे।' बसपा अध्यक्ष की शैली पर रोहित माली चुटकी लेते हैैं- 'मैैं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी, यह बात भी मायावती ने पढ़कर बताई है।' उधर राम कुमार तिवारी ने वर्ष 2014 की एक खबर को ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने मायावती की उस बात को हाईलाइट किया, जिसमें उन्होंने कहा था- 'बाप से अधिक जहर बेटे में है। यदि अंबेडकर व संविधान न होता तो मुख्यमंत्री बनने की बजाय वह सैफई में किसी जमींदार की भैस चरा रहे होते।'
चुटीले पोस्ट
'नाली से गैस, बतख से ऑक्सीजन, गोबर से कोहिनूर, रोजगार में पकौड़े, इतनी मनोरंजक सरकार थी कि पांच साल कैसे कट गए पता ही नहीं चला।'
- कुलदीप मिश्रा
'सरकारी बंगले से नल की टोंटी चुराने वाले उन्हें चोर बता रहे हैैं, जिन्होंने अपनी सारी तनख्वाह और उपहार सामग्री दान कर दी है।'
- अभिषेक त्यागी