Loksabha Election 2019 : इस बार लोकतंत्र के 'महाकुंभ' में कुंभ भी बनेगा मुद्दा
इस बार कुंभ के आयोजन में इतने लोगों का आना और व्यवस्था का कायल हो जाना सरकार की उपलब्धि रही। लोकतंत्र के महाकुंभ में कुंभ का यह आयोजन बड़ा मुद्दा बनेगा।
लखनऊ, जेएनएन। पावन भूमि प्रयागराज में त्रिवेणी पर आयोजित कुंभ भव्य और दिव्य हो, केंद्र और प्रदेश सरकार की यही मंशा थी। ऐसा हुआ भी। करीब 49 दिनों तक चले दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में 24 करोड़ लोग आए। यह संख्या वर्ष 2013 के कुंभ के दौरान आये 7.87 करोड़ की तुलना में तीन गुने से अधिक है। सरकार ने भले अपनी सुविधा और व्याख्या के अनुसार अर्द्धकुंभ को कुंभ और कुंभ को महाकुंभ का नाम दे दिया हो, पर अर्द्धकुंभ में इतने लोगों का आना और व्यवस्था का कायल हो जाना सरकार की उपलब्धि रही। लोकतंत्र के महाकुंभ में कुंभ का यह आयोजन बड़ा मुद्दा बनेगा।
कुंभ की भव्यता और दिव्यता का बखान न सिर्फ मंचों से होगा, बल्कि विभिन्न माध्यमों से इसको पूरे पृष्ठ भूमि के साथ जनता तक भी पहुंचाने की तैयारी है। इसकी तैयारियां नियोजित तरीके से पहले से ही शुरू हो गयी थीं। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से तो कुंभ को भव्य और दिव्य बनाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं रखी गयी। इस संबंध में जो कुछ भी नया हुआ उसे भाजपा ने बड़ा इवेंट बनाकर प्रस्तुत किया। मसलन यूनेस्को द्वारा कुंभ को 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' घोषित किया जाना दो साल पहले खूब सुर्खियों में रहा।
आयोजन के पहले और आयोजन के बाद कुंभ चर्चा में रहे इसकी कोशिश में कई चीजें पहली बार की गयीं। विस्तार, सेक्टर, खर्च, सफाई कर्मियों और शौचालयों की संख्या के लिहाज से इसने वर्ष 2013 के महाकुंभ को पीछे छोड़ दिया।
देश ही नहीं दुनिया में भी कुंभ की चर्चा हो इसके लिए इसी दौरान कुंभ में अप्रवासी दिवस का आयोजन हुआ। यहां आने वाले अप्रवासी भारतीयों को खास मेहमान की तरह कुंभ लाया गया। 192 देशों के मिशन प्रमुख भी कुंभ देखने आए। पूरे देश में कुंभ के प्रचार-प्रसार और आमंत्रण के लिए योगी सरकार के मंत्री हर राज्य में गए। वहां के मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल को आमंत्रण देने के साथ पत्रकारवार्ता भी की। नतीजन पहली बार कुंभ में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री और अन्य गणमान्य लोग संगम में डुबकी लगाने आये। कुंभ के समाप्त होते-होते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सफायी कर्मियों का पांव धोना भी खूब सुर्खियों में रहा।
अब सरकार इस आयोजन को चुनाव में मुद्दा बनाएगी। आयोजन की भव्यता और महत्ता बताने के लिए कई तरह के साहित्य छपवाकर जिलों में वितरण के लिए भेजे जा चुके हैं। इनमें पॉकेट कैलेंडर से लेकर एक पेज और कई पेज के कैलेंडर, फोल्डर, सर्वसिद्धप्रद: कुंभ, कुंभ दिग्दिर्शिका और कुंभ दिग्दर्शन के नाम से हिंदी और अंग्रेजी में किताबें आदि शामिल हैं। आयोजन को जीवंत करने वाली कुछ और किताबें भी संभव हैं चुनाव के पहले आएं। चुनाव के दौरान बहुसंख्यक वर्ग के लिए यह आयोजन एक संदेश होगा। साथ ही राम मंदिर का निर्माण न बनने से नाराज लोगों के लिए भाजपा की हिंदुत्व के एजेंडे के प्रति प्रतिबद्धता का एक संदेश भी।