Move to Jagran APP

Loksabha Election 2019 : चुनावी महासंग्राम में जोर पकड़ने लगी पिछड़ों-अति पिछड़ों की लड़ाई

बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछड़ा होने पर सवाल उठाया तो कन्नौज की सभा में मोदी ने खुद को अति पिछड़ा बताकर नया दांव खेल दिया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 01:58 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 01:58 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : चुनावी महासंग्राम में जोर पकड़ने लगी पिछड़ों-अति पिछड़ों की लड़ाई

लखनऊ, जेेएनएन। चुनावी महासंग्राम में पिछड़ों और अति पिछड़ों की लड़ाई जोर पकड़ने लगी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछड़ा होने पर सवाल उठाया तो कन्नौज की सभा में मोदी ने खुद को अति पिछड़ा बताकर नया दांव खेल दिया। अब जातीय गोलबंदी में सभी राजनीतिक दल सक्रिय हो गए हैं। इसमें भाजपा गठबंधन से विद्रोही हो चुके सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर नया त्रिकोण बनाने में जुटे हैं।

loksabha election banner

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पिछड़ा कार्ड के सबसे बड़े हस्ताक्षर नरेंद्र मोदी थे। यह दांव सफल हुआ और उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में गठबंधन समेत भाजपा ने 73 सीटें जीत लीं। उप्र के 50 हजार गांवों में पिछड़ों की आबादी 42 से 45 फीसद है और पिछली बार 39 फीसद सांसद पिछड़ी जाति के हुए थे। इस बार सपा-बसपा गठबंधन के बाद मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पिछड़ों, दलितों और मुसलमानों को लामबंद कर रहे हैं। पिछले दिनों मायावती ने मोदी के पिछड़ा होने पर सवाल उठाया तो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के चुनाव क्षेत्र कन्नौज में मोदी ने इस सवाल पर दो कदम आगे बढ़कर जवाब दिया। उन्होंने खुद को अति पिछड़ा बताया।

भाजपा ने पिछले वर्ष अपने पिछड़ा वर्ग मोर्चा के बैनर तले सभी अति पिछड़ी जातियों का अलग-अलग सम्मेलन आयोजित किया। इसमें प्रदेश भर के अग्रणी कार्यकर्ता शामिल हुए। तब पार्टी ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में सभी पिछड़े समाज को गोलबंद करने की मुहिम शुरू की। इसके बाद लोकसभावार पिछड़ा वर्ग मोर्चा के सम्मेलन भी हुए। मोदी के इस बयान ने प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को और सक्रिय किया है। हालांकि इस बीच ओमप्रकाश राजभर ने ट्वीट कर अति पिछड़ों के 27 फीसद आरक्षण में बंटवारे का सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा है कि जब पिछड़ों ने साथ छोड़ दिया तो प्रधानमंत्री खुद को अति पिछड़ा बताने लगे हैं। राजभर इस मुद्दे को अलग रंग देने में जुट गये हैं।

इसके पहले सपा सरकार में अखिलेश यादव ने 17 अति पिछड़ी जातियों को दलित का दर्जा देने की पहल की थी। हालांकि सत्ता मिलने के बाद भाजपा ने सरकारी दांव से भी अति पिछड़ों को भी साधने की पहल की। अति पिछड़ी जातियों में मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहांर, कुम्हार, मांझी, तुरहा, धीमर, निषाद, बिंद, केवट, कश्यप, नाई, भर, धीवर, बाथम और गोड़ आदि जातियों के हक में भाजपा सरकार में कई बड़े फैसले किये गए। सरकार ने माटी कला बोर्ड, विश्वकर्मा श्रम सम्मान जैसी योजनाओं से भी उनके बीच मजबूत पकड़ बनाने की भाजपा ने पहल की थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.