Loksabha Election 2019 :मैनपुरी में आज नामांकन करेंगे मुलायम सिंह, इटावा में भेंट करने के बाद शिवपाल लौटे लखनऊ
मुलायम सिंह यादव आज लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे। शिवपाल सिंह यादव को छोड़कर उनके साथ पूरा परिवार रहेगा।
मैनपुरी, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव आज लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे। शिवपाल सिंह यादव को छोड़कर उनके साथ पूरा परिवार रहेगा। नामांकन के बाद आज मुलायम सिंह यादव का जनसभा करने का भी कार्यक्रम है।
मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से 23 वर्ष पहले लोकसभा पहुंचे मुलायम सिंह यादव एक बार फिर ताल ठोंक रहे हैं। मैनपुरी में आज मुलायम सिंह यादव अपने कुनबे के साथ नामांकन करेंगे। उनके साथ इस दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, मुख्य राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव, सांसद धर्मेंद्र यादव, सांसद तेज प्रताप यादव भी रहेंगे। मुलायम सिंह यादव के नामांकन से पहले पार्टी कार्यालय पर बने मैदान में ही एक सभा का आयोजन होगा।
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट पर चार बार जीत हासिल कर चुके हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने साढ़े तीन लाख के अंतर से विजय प्राप्त की थी। हालांकि बाद में सीट छोडऩे के बाद उप चुनाव में तेजप्रताप यादव सांसद बन गए। इस बार भी गठबंधन ने मुलायम सिंह यादव को ही प्रत्याशी बनाया है। शुक्रवार को उनके नाम से चार सेट में पर्चा भी खरीद लिया गया था। पार्टी कार्यालय के बगल में स्थित पार्क में मंच सजाया गया है। नामांकन के शामिल होने वाले नेता-कार्यकर्ताओंऔर समर्थकों एकत्र किया जाएगा। इस जनसभा को मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, प्रो. रामगोपाल यादव सहित अन्य आला नेता संबोधित करेंगे।
नहीं निकलेगा जुलूस
पार्टी के नगर अध्यक्ष हृदेश सिंह जॉनी ने बताया कि नामांकन के लिए कोई जुलूस ले जाना प्रस्तावित नहीं है। नेताओं-कार्यकर्ताओं को सभा में ही रोका जाएगा। नामांकन के लिए मुलायम सिंह यादव और अन्य प्रमुख लोग ही जाएंगे।
पुलिस ने परखे सुरक्षा के इंतजाम
नामांकन में दिग्गज नेताओं के आने के चलते पुलिस भी पुख्ता इंतजामों में जुटी रही। कल दोपहर को एएसपी ओमप्रकाश सिंह ने अधीनस्थों के साथ सभा स्थल का जायजा लिया। मुलायम सिंह यादव लंबे समय के बाद मैनपुरी आ रहे हैं। 2014 के चुनाव के बाद वे आखिरी बार 13 जून 2018 को मैनपुरी आए थे। उन्होंने एक सड़क हादसे के बाद मृतकों के परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी थी। उनके नाम की घोषणा होने के बाद से ही कार्यकर्ताओं को बेसब्री से उनके आने का इंतजार था।
दिनभर चला बैठकों का दौर
मुलायम सिंह के नामांकन के लिए सपा और बसपा के नेताओं की संयुक्त बैठकों का सिलसिला चलता रहा। यहां पर चार दिन पहले सभी नेताओं को अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं। बैठक में सांसद तेज प्रताप यादव, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष खुमान सिंह वर्मा, बसपा जिलाध्यक्ष शुभम सिंह आदि मौजूद रहे।
इटावा में मुलायम सिंह से मिले शिवपाल सिंह
इटावा में आज सुबह शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव से भेंट की। उन्होंने कहा कि वह नामांकन में मैनपुरी नहीं जाएंगे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि वह मुलायम सिंह के नामांकन में शामिल नहीं होंगे।
उन्होंने मुलायम से अपनी पार्टी के लिए रैली करवाने की बात जरूर की। शिवपाल ने कहा कि मैनपुरी न जाने के कारण पर चर्चा करते हुए कहा कि मेरे विरोधी वहां पर मौजूद होंगे इसलिए मैं वहां नहीं जा सकता। वह अपने बड़े भाई से मिले हैं और उनको उन्हें रैली के आमंत्रित किया। मैं नेताजी को शुभकामनाएं देने के लिए उनसे मिला था। उनका आशीर्वाद भी हासिल करूंगा।
23 वर्ष पहले मैनपुरी से पहली बार लोकसभा पहुंचे थे मुलायम
मुलायम सिंह एक बार फिर उस लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमा रहे हैं जहां से विजय प्राप्त करते हुए उन्होंने अपनी संसदीय राजनीति का आगाज किया था। 23 वर्ष पहले 1996 में मुलायम सिंह यादव अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव मैनपुरी सीट से जीतकर ही लोकसभा पहुंचे थे। इतना ही नहीं, इस चुनाव में विजय पताका लहराने वाले मुलायम सिंह यादव को केंद्र में बनी संयुक्त मोर्चे की सरकार में रक्षा मंत्रालय संभालने की अहम जिम्मेदारी भी मिली थी।
उम्र के आठ दशक पूरे कर रहे मुलायम सिंह यादव को सियासी अखाड़े का बड़ा पहलवान माना जाता है और उनके बेटे अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सियासत को उसी राह पर ला दिया है, जिस पर कभी मुलायम सिंह यादव ने अपनी मंजिल पाई थी। देश में बाबरी मस्जिद ढांचा गिरने के बाद मंडल-कमंडल की जो राजनीति शुरू हुई, उसमें मुलायम सिंह यादव ने अपनी नवगठित पार्टी का बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ कर लिया और 1993 का यूपी विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर लड़ा। मुलायम सिंह की यह तरकीब काम कर गई और यूपी के मुख्यमंत्री बने। सपा-बसपा का साथ दो वर्ष भी नहीं चल सका और इसी दौरान लखनऊ गेस्ट हाउस कांड भी देखने को मिला। यूपी की सत्ता हाथ से जाने के बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव लडऩे का फैसला किया और वह यहां से जीत दर्ज करने के बाद केंद्र की राजनीति की अहम धुरी बन गए।
रक्षा मंत्री बने मुलायम सिंह
केंद्र में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी और मुलायम सिंह 1996-1998 के बीच रक्षा मंत्री रहे। यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और एक बार हालात ये पैदा हो गए कि मुलायम सिंह यादव का नाम प्रधानमंत्री की रेस में भी आने लगा। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेरने का काम किया। इसके बाद 1998 में चुनाव हुए तो मुलायम सिंह ने संभल सीट से बाजी लड़ी और जीत हासिल की। 1999 में फिर चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल और कन्नौज सीट से जीते। इसके बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी, जहां हुए उपचुनाव में वो पहली बार सांसद बने। इसके बाद 2004, 2009 व 2014 का लोकसभा चुनाव भी मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से जीता, लेकिन दो-दो सीटों पर जीतने के चलते उन्होंने 2004 व 2014 में मैनपुरी सीट खाली कर दी। जिसके बाद 2004 में हुए उपचुनाव में मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव यहां से जीते और 2014 में मुलायम सिंह के पोते तेज प्रताप सिंह यादव ने उपचुनाव में यहां से जीत दर्ज की।