केंद्र सरकार ने चुनाव के वक्त सीबीआइ का फिर तोते की तरह किया इस्तेमाल : मायावती
मायावती ने सफाई दी कि बसपा शासनकाल में हुई चीनी मिलों की बिक्री में बतौर मुख्यमंत्री उनकी न तो कोई भूमिका थी न ही उन्होंने कोई निर्णय किया। यह तो कैबिनेट का फैसला था।
लखनऊ, जेएनएन। बसपा अध्यक्ष मायावती ने शनिवार को कहा कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन की सफलता और अपनी हार से बौखलाई भाजपा सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय जैसी जांच एजेंसियों का खुलकर दुरुपयोग कर रही है जो कि अब तक किसी और सत्ताधारी दल ने नहीं किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया हैै कि उप्र की सरकारी चीनी मिलों की बिक्री के मामले में उसने चुनाव के दौरान सीबीआइ का एक बार फिर तोते की तरह इस्तेमाल किया है। सफाई दी कि बसपा शासनकाल में हुई चीनी मिलों की बिक्री में बतौर मुख्यमंत्री उनकी न तो कोई भूमिका थी, न ही उन्होंने कोई निर्णय किया। यह तो कैबिनेट का फैसला था।
गौरतलब है कि बसपा शासनकाल में 21 सरकारी चीनी मिलों को औने-पौने बेचने के मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने इस मामले में सात नामजद आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया है। बसपा प्रदेश कार्यालय में मीडिया से मुखातिब मायावती ने कहा कि चीनी मिलों की बिक्री की कार्यवाही स्थापित नियमों के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार संबंधित विभाग द्वारा की गई थी। चीनी मिलों की बिक्री के संबंध में ऑडिट रिपोर्ट और लोकायुक्त की रिपोर्ट में भी मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की गई है। यह भी कहा कि यदि कहीं कोई कमी है तो उसकी जांच हो सकती है लेकिन चुनाव के समय ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा हैै कि जैसे इस मामले में मेरी पूरी भूमिका थी।
शनिवार को मायावती ने कहा कि मीडिया के जरिये यह पता चला है कि चीनी मिलों की बिक्री मामले को सीबीआइ राजनीतिक रंग दे रही हैै। इतने पुराने मामले में चुनाव के दौरान सीबीआइ द्वारा केस दर्ज किया जाना इसका संकेत है।
जनता की पुकार नो मोर मोदी सरकार
इससे पहले मायावती ने शनिवार को ट्वीट किया कि जनता की पुकार नो मोर गरीब विरोधी मोदी सरकार। उन्होंने कहा कि भाजपा के दावे-वादे हवा-हवाई हैं। इनकी घोषणाएं जनता की आंखों में धूल झोकने वाली हैं। भाजपा की सरकारें झूठ व नाटकबाजी की सरताज हैं। अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने सवाल किया कि केंद्र व यूपी में भाजपा की सरकार होने के बावजूद यूपी की अति गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन का चेहरा अब तक थोड़ा भी क्यों नहीं बदला? पीएम मोदी क्या नजर मिलाकर इसका जवाब जनता को दे पाएंगे?