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Loksabha Election 2019 : भाजपा ने जिस जाति के सांसद का काटा टिकट, उसी की जाति का बनाया नया प्रत्याशी

भाजपा ने कल शाम उम्मीदवारों की बहुप्रतीक्षित सूची में उत्तर प्रदेश के 28 उम्मीदवारों के नाम घोषित करते हुए छह सांसदों के टिकट काट दिए।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 05:08 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 05:09 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : भाजपा ने जिस जाति के सांसद का काटा टिकट, उसी की जाति का बनाया नया प्रत्याशी

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश से भाजपा के लोकसभा के उम्मीदवारों की पहली सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह समेत 28 प्रत्याशियों के नाम हैं। इस सूची में दो पिछड़े और चार आरक्षित वर्ग के टिकट कटे हैं।

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उत्तर प्रदेश से इस बार पिछड़ों में जिस बिरादरी के सांसद का टिकट कटा है, उसी बिरादरी का उम्मीदवार उतारा गया है। पहली सूची में 17 फीसद से अधिक सांसदों के टिकट काटे गये हैं। भाजपा ने पिछली बार हारी हुई सीट पर नया फार्मूला अपनाया गया है।

भाजपा ने कल शाम उम्मीदवारों की बहुप्रतीक्षित सूची में उत्तर प्रदेश के 28 उम्मीदवारों के नाम घोषित करते हुए छह सांसदों के टिकट काट दिए। जिन सांसदों के टिकट काटे गए उनमें अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री राम शंकर कठेरिया और मोदी सरकार की मंत्री कृष्णा राज प्रमुख हैं। इनके अलावा संभल से सत्यपाल सैनी, हरदोई से अंशुल वर्मा, मिश्रिख से अंजू बाला और फतेहपुर सीकरी से चौधरी बाबूलाल का टिकट कटा है। संभल से सत्यपाल सैनी का टिकट काटा तो वहां उनकी ही बिरादरी के परमेश्वर लाल सैनी को मौका दिया है। फतेहपुर सीकरी में जाट समाज के चौधरी बाबूलाल की जगह राजकुमार चाहर को उम्मीदवार बनाया है। पिछड़े वर्ग की इन दोनों सीटों पर सांसद की जाति वाले ही उम्मीदवार दिए गये हैं।

भाजपा ने इस बार उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए समीकरण बनाने की भरपूर कोशिश की है। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मायावती को अचानक झटका देकर भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ संघमित्र मौर्य को इस बार बदायूं से उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने पिछली बार यहां वागीश पाठक को चुनाव लड़ाया था उनका टिकट काट दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य तो योगी सरकार में श्रम मंत्री हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पहले चरण के ज्यादातर उम्मीदवारों का टिकट बचा हुआ है। सबसे खास बात यह है कि अभी हाल में टिकट को लेकर भाजपा नेतृत्व के नाक में दम करने वाले उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज का टिकट नेतृत्व ने बहाल रखा है।

साक्षी महाराज ने चिट्ठी लिखी थी और यह पत्र मीडिया में लीक होने के बाद उन्होंने प्रदेश नेतृत्व के ऊपर सवाल खड़े किए थे। सुरक्षित सीटों पर ज्यादा बदलाव हुआ है। मिश्रिख और हरदोई में हाल में भाजपा में शामिल हुए समाजवादी पार्टी के बाद बहुजन समाज पार्टी छोड़कर आए पूर्व सांसद जयप्रकाश रावत और अशोक रावत पर नेतृत्व ने दांव लगाया है। शाहजहांपुर से केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज का टिकट काट दिया गया है।

जाति को लेकर विवादों में एसपी सिंह बघेल

भाजपा ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री एसपी सिंह बघेल को आगरा सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। बघेल 2017 में फीरोजाबाद की टूंडला आरक्षित सीट से विधायक चुने गये। उनके दलित होने को लेकर पश्चिम के कई नेताओं ने उन पर आरोप लगाए हैं। आरोप यहां तक है कि बघेल ने पहले पिछड़ी जाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया और फिर वह अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र पर विधानसभा चुनाव लड़कर जीते। अब लोकसभा में यही दांव आजमा रहे हैं। 2014 के चुनाव में एसपी बघेल फीरोजाबाद सीट पर भाजपा के टिकट पर मजबूती से चुनाव लड़े थे।

सवर्ण कार्ड फेल तो पिछड़े पर दांव

भाजपा ने बदायूं सीट पर पिछली बार ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा लेकिन, सफलता नहीं मिली। इस बार मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा को मौका देकर पिछड़े वर्ग को खासतौर से मौर्य, शाक्य, सैनी और कुशवाहा समाज को साधने की पहल की है। संघमित्रा 2014 में मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बसपा की उम्मीदवार थीं लेकिन, हार गईं।

नगीना और कैराना में नहीं खुला पत्ता

पहले चरण में कैराना उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है। कैराना बहुत ही प्रतिष्ठित सीट है और उपचुनाव में यहां से भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह को शिकस्त मिली। उन्हें राष्ट्रीय लोकदल की तबस्सुम ने चुनाव हराया था। भाजपा इस सीट पर फूंक फूंक कर कदम रख रही है और एक एक बिंदुओं का अवलोकन कर रही है। वहीं दूसरे चरण में होने वाले चुनाव नगीना के लिए अभी तक कोई नाम तय नहीं हुआ। नगीना सीट से पहले मायावती के चुनाव लडऩे की बात थी। नगीना पर भी भाजपा नजर टिकाए है। प्रदेश में पहले चरण में करीब 17 प्रतिशत सांसदों के टिकट काटे गए हैं। 


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