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Loksabha Election 2019 : न ही मजबूत उम्मीदवार और न उत्साह, 'आप' तो ऐसे न थे

2014 में वाराणसी की लड़ाई को और रोचक बनाया था आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने लेकिन इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में केजरीवाल का नाम तक नहीं है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 10:57 AM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 12:42 PM (IST)
Loksabha Election 2019 : न ही मजबूत उम्मीदवार और न उत्साह, 'आप' तो ऐसे न थे
Loksabha Election 2019 : न ही मजबूत उम्मीदवार और न उत्साह, 'आप' तो ऐसे न थे

लखनऊ [आनन्द राय]। आम आदमी पार्टी (आप) ने उत्तर प्रदेश में अपने 12 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की तो पार्टी संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम नदारद था। पार्टी के सर्वेसर्वा केजरीवाल की यूपी के चुनाव प्रचार में दिलचस्पी न होना अपने आप में बड़ा सवाल है। क्या वाकई यूपी से केजरीवाल का मन उचट गया या फिर 2014 के चुनाव परिणामों ने उन्हें विचलित कर दिया है।

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दरअसल, उत्तर प्रदेश में 2014 में आम आदमी पार्टी 77 सीटों पर चुनाव लड़ी और खाता न खुल सका। पिछले परिणाम के चलते आप को 'जमानत जब्त पार्टी' जैसे जुमले भी सुनने पड़े थे।

अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन के बाद अस्तित्व में आयी आम आदमी पार्टी ने इस बार सहारनपुर, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, लालगंज, संभल और कानपुर देहात समेत कुल सात क्षेत्रों से उम्मीदवार घोषित किये हैं। इनमें गौतमबुद्धनगर की उम्मीदवार श्वेता शर्मा का पर्चा खारिज हो गया है। श्वेता का पर्चा अनिवार्य प्रस्तावकों का नाम न देने की वजह से खारिज हुआ। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनाव के प्रति कितनी गंभीर है।

हालांकि आप के प्रदेश प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी कहते हैं 'इस बार मजबूत सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे गए हैं और यह कोशिश है कि मोदी विरोधी वोट बंटने न पाए।' तर्क जो हो लेकिन, पिछले चुनाव के मुकाबले न ही मजबूत उम्मीदवार हैं और न ही पार्टी का उत्साह दिख रहा है। अब इसमें रणनीति चाहे जो हो।

तब केजरीवाल ने यूपी में लगाई थी ताकत

2014 में उत्तर प्रदेश में जमने से पहले ही आम आदमी पार्टी के पैर भले उखड़ गए लेकिन, जलवा जलाल कायम था। इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि दिल्ली में सरकार बनने और फिर गिरने के बाद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश में अपनी ताकत लगाई थी। केजरीवाल खुद वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे। वह सीधे मुकाबले में थे और मोदी की जीत का अंतर भले बहुत ज्यादा था लेकिन, दूसरे नंबर पर केजरीवाल ही थे। उन्होंने अपने चुनाव में 50 लाख रुपये खर्च किये थे।

सिने स्टार, कवि से लेकर शिक्षाविद तक थे उम्मीदवार

आम आदमी पार्टी ने टिकट बांटने से पहले शहर-शहर में चौपाल लगाई। लोगों के इंटरव्यू किये। एक-एक सीट पर औसत 17-18 दावेदार रहे। पार्टी ने सिने स्टार से लेकर शिक्षाविदों तक पर दांव लगाया। पर, मतदाता ने यूपी में किसी भी उम्मीदवार की तकदीर का ताला खोलने को चाबी नहीं दी।

लखनऊ में सिने स्टार जावेद जाफरी ने लटके-झटके तो खूब दिखाये लेकिन, बुरी तरह हार गए। स्टार कवि कुमार विश्वास अमेठी में तो पूरे लाव-लश्कर से पहुंचे और हवा भी बनाई। उनका विश्वास जम पाता कि स्मृति ईरानी की आमद ने हवा बिगाड़ दी और कुमार 25 हजार वोटों के आसपास सिमटकर जमानत जब्त करा बैठे।

इलाहाबाद में आदर्श शास्त्री, मैनपुरी में पीसीएस संघ के अध्यक्ष रहे बाबा हरदेव सिंह, गाजियाबाद में शाजिया इल्मी, गोरखपुर में पूर्व कुलपति प्रोफेसर राधेमोहन मिश्र, जौनपुर में डॉ. केपी यादव जैसे कई खास उम्मीदवारों ने दस्तक दी लेकिन, कारगर नतीजा नहीं निकला। पर, इतना जरूर था कि आप उम्मीदवारों ने चुनाव को रोमांचक बना दिया था। लखनऊ से अमेठी तक की पहली यात्रा में कुमार विश्वास के स्वागत में जनता सड़कों पर उमड़ आई थी लेकिन, मोदी की लहर में सब ध्वस्त हो गया।

पिछले चुनाव में ही पड़ गई थी दरार

बहुत से लोग आप छोड़ रहे हैं और बहुत छोड़कर जा चुके हैं लेकिन, इस पार्टी में दरार पिछले लोकसभा चुनाव में ही पड़ गई। पार्टी ने संस्थापक सदस्य पूर्व सांसद इलियास आजमी को खीरी से उम्मीदवार घोषित किया था। जब राजनाथ सिंह को भाजपा ने लखनऊ से उम्मीदवार बनाया तो इलियास ने राजनाथ के खिलाफ चुनाव लडऩे की इच्छा जताई लेकिन, तब तक जावेद जाफरी से केजरीवाल की बात हो चुकी थी। फिर मतभेद, मनभेद होते-होते विभाजन शुरू हो गया।

फर्रुखाबाद में केजरीवाल ने किया था दल बनाने का एलान

आम आदमी पार्टी के गठन की औपचारिक घोषणा 26 नवंबर, 2012 को दिल्ली के जंतर-मंतर में की गई थी लेकिन, अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक दल बनाने का एलान फर्रुखाबाद में किया था। एक नवंबर, 2012 को केजरीवाल ने फर्रुखाबाद में एक रैली की। कहा, कांग्रेस को उखाड़ फेंकने के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया को सबसे बड़ी ताकत फर्रुखाबाद ने दी थी और मैं भी इस धरती से कांग्रेस को उखाड़ फेंकने का संकल्प लेता हूं।


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