लोकसभा चुनाव की दुंदुभि बज गई, अब आपकी बारी है
विचारधारा और मुद्दों की लड़ाई भले ही विभिन्न नियोजित मंचों पर दिखे लेकिन यह लड़ी जाएगी जनता के बीच ही। इसलिए मतदाता की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
मुरादाबाद(संजय मिश्र)। लोकसभा चुनाव की दुंदुभि बज चुकी है। चुनाव आयोग मतदान की तिथियां घोषित कर गेंद मतदाता के पाले में डाल चुका है। आदर्श आचार संहिता के तत्काल प्रभाव से लागू होने के साथ राजनीतिक दल अपनी रणनीति को जमीन पर उतारने की कोशिश में जुट गए हैं। संभव है दो-चार दिन में उम्मीदवारों की सूचियां सामने आ जाएं। विचारधारा और मुद्दों की लड़ाई भले ही विभिन्न नियोजित मंचों पर दिखे, लेकिन यह लड़ी जाएगी जनता के बीच ही। इसलिए मतदाता की जिम्मेदारी बढ़ गई है। चुनाव की शुचिता बनाए रखने से लेकर बेहतर जनप्रतिनिधि चुनने तक की जिम्मेदारी मतदाता को निभानी होगी। इसलिए तैयार हो जाइए अपने उन सवालों के साथ, जो आपके मन में उमड़-घुमड़ रहे हैं।
सात चरणों में होगा चुनाव
आयोग की घोषणा के अनुसार इस बार सात चरणों में लोकसभा के चुनाव कराए जाएंगे। मुरादाबाद मंडल की छह सीटों पर तीसरे चरण में मतदान होगा। फिलहाल देश का जो राजनीतिक माहौल है उससे अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि यह चुनाव कई नए वादों-आश्वासनों के साथ कटुता की अनंत कहानियों का गवाह बनेगा। ऐसे में मतदाता की जागरूकता ही लोकतांत्रिक मूल्यों को बचा सकेगी। जाति-संप्रदाय और क्षेत्रवाद की धारणाओं से ऊपर उठकर मतदाता को देश के सवालों को दलों और प्रत्याशियों को परखने की कसौटी बनानी होगी। एक मजबूत और विकास के लिए समर्पित सरकार एवं जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के चुनाव के लिए जरूरी है कि मतदाता अपनी भूमिका को ठीक से समझे और मत देने मतदान केंद्र तक जरूर पहुंचे। पिछले कई चुनावों की तस्वीर देखें तो मिलेगा कि चुनाव आयोग की सक्रियता के कारण मतदाताओं की भागीदारी बढ़ी है, लेकिन अभी बड़ी संख्या में मतदाताओं का मतदान से वंचित रहना भारतीय लोकतंत्र के सामने बड़ा सवाल है। आयोग और राजनीतिक दलों के लिए भी यह सवाल बड़ी चुनौती की तरह है। बेहतर होगा कि स्वयंसेवी और शैक्षणिक संस्थाएं, नामी-गिरामी हस्तियां चुनाव प्रशासन के साथ कदमताल करते हुए मतदाता जागरूकता अभियान में अभी से जुट जाएं।
90 करोड़ मतदाता करेंगे मताधिकार का प्रयोग
इस चुनाव में देश के 90 करोड़ मतदाता मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इसमें बड़ी बात यह है कि 18 से 19 आयुवर्ग के लगभग डेढ़ करोड़ युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। जाहिर है वे नई आकांक्षा के साथ मतदान केंद्र तक जाना चाहेंगे। लगभग 1.60 करोड़ नौकरीपेशा वाले मतदाता भी मतदान में भाग ले सकेंगे। अक्सर ऐसा होता है कि चुनावी और प्रशासनिक व्यस्तता के कारण नौकरीपेशा मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग मतदान से दूर ही रहता है। इस बार ऐसी नौबत न आए इसे सुनिश्चित करना होगा।
तो आइये संकल्प लें कि देश के जिम्मेदार नागरिक के रूप में चुनाव की पवित्रता बनाए रखने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव आयोग का सहयोग कर लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। साथ ही एक अच्छी सरकार चुनने के लिए मतदान केंद्र तक जरूर पहुंचेंगे।