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Lok Sabha Election 2024: 'मोदी भक्त' नोटा को दबा देंगे लेकिन..., कप-प्लेट को लेकर आखिर क्यों भड़के रॉबर्ट्सगंज के लोग, जानिए पूरा समीकरण

Lok Sabha Election 2024 छह चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है। सातवें और आखिरी चरण का मतदान एक जून को होगा। चुनाव से पहले रॉबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है। लोगों में अपना दल (एस) के प्रति जोश दिखाई नहीं दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि हम नोटा को दबा देंगे लेकिन कप प्लेट पर मुहर नहीं लगाएंगे।

By Ajay Jaiswal Edited By: Sushil Kumar Tue, 28 May 2024 06:21 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: 'मोदी भक्त' नोटा को दबा देंगे लेकिन..., कप-प्लेट को लेकर आखिर क्यों भड़के रॉबर्ट्सगंज के लोग, जानिए पूरा समीकरण
Lok Sabha Chunav 2024: अपना दल (एस) से रिंकी सिंह कोल, सपा से छोटेलाल खरवार और घनेश्वर गौतम मैदान।

अजय जायसवाल, सोनभद्र: मध्य प्रदेश से लेकर बिहार, झारखंड व छत्तीसगढ़ की सीमाओं से लगने वाले सोनभद्र जिले में उत्तर प्रदेश की आखिरी लोकसभा सीट राबर्ट्सगंज है। अनुसूचित जाति-जनजाति आदिवासी बहुल इस क्षेत्र के चुनाव में न 'कमल' है और न ही 'हाथ का पंजा। यही वजह है कि मुख्य लड़ाई सपा की साइकिल और अपना दल (एस) के 'कप-प्लेट' के बीच है। 

सोनभद्र की पहचान 'पावर कैपिटल आफ इंडिया' के रूप में है और इस बार राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र पर निगाह इसलिए है कि मौजूदा सांसद पकौड़ी लाल की विधायक बहू रिंकी कोल यहां से चुनाव लड़ रही हैं और वह भी अपना दल (एस) के टिकट पर, लेकिन उनकी राह आसान नहीं। क्षेत्र के शहरी कस्बाई इलाकों के पढ़े-लिखे नौकरी-पेशा और कारोबारी मोदी-योगी के कामकाज से तो प्रभावित हैं, लेकिन पकौड़ी लाल की बहू को ही टिकट दिए जाने से नाराज हैं।

ज्यादातर यही कह रहे कि भाजपा खुद यहां से मैदान में उतरती तो ‘कमल' के खिलने में कोई दिक्कत नहीं थी। पकौड़ी लाल के परिवार में ही टिकट दिए जाने से अबकी सीट फंस भी सकती है। कांग्रेस के साथ होने, बेरोजगारी, महंगाई के साथ ही क्षेत्र में पानी के संकट को लेकर लोगों की नाराजगी और 'कमल' के मैदान में न होने से बहुतों को सपा की स्थिति ठीक दिखाई दे रही है।

'मोदी भक्त क्यों वोट देगा'

चकिया क्षेत्र के मवैया में रहने वाले जितेंद्र पाठक व अश्विनी उपाध्याय मोबाइल में पकौड़ी लाल की एक सभा का वीडियो दिखाते हुए कहते हैं जो व्यक्ति खुले मंच से सवर्णों को गाली दे रहा हो उसकी बहू को भी कोई मोदी भक्त क्यों वोट देगा?" द्रोणापुर माती के राजेश मिश्र कहते हैं 'परिवारवाद के बजाय प्रत्याशी बदलना चाहिए था। मजबूरी है कि इन्हें नहीं मोदी को देखना है।'

क्यों है लोगों में नाराजगी?

साढ़े तीन दशक पहले बने सोनभद्र जिले की राबर्ट्सगंज सुरक्षित संसदीय क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीट चकिया (चंदौली जिले की), घोरावल, राबर्ट्सगंज, ओबरा और दुद्धी पर भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में कब्जा जमाया था। इनमें 50 फीसद से अधिक अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं वाली ओबरा और दुद्धी विधानसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित है।

2014 में मोदी लहर के चलते राबर्ट्सगंज सीट पर भाजपा ने डेढ़ दशक बाद वापसी की थी इस बीच बसपा और सपा के कब्जे में रही सीट को पिछले चुनाव में भाजपा ने अपने सहयोगी अपना दल (एस) के लिए छोड़ दिया था।

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रिंकी कोल मैदान में

पूर्व में सपा से सांसद रहे पकौड़ी लाल कोल ने अपना दल (एस) से जीत दर्ज की थी। पकौड़ी लाल के विवादित बोल से खासतौर से सवर्णों में नाराजगी को देखते हुए अपना दल (एस) ने अबकी उन्हें टिकट न देते हुए मिर्जापुर की छानबे विधानसभा सीट से उनकी विधायक बहू रिंकी कोल को चुनाव मैदान में उतारा है। एक दशक पहले भाजपा से सांसद चुने गए छोटेलाल खरवार अब सपा से मैदान में हैं।

अपना दल (एस) को लेकर जोश नहीं

बसपा ने सत्येन्द्र कुमार मौर्य पर दांव लगाया है, लेकिन 'हाथी' का प्रभाव कम ही दिखाई दे रहा है। क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में भी 'मोदी के मुफ्त राशन' का असर तो खूब है, लेकिन मैदान में भाजपा के न होने से लोगों में अपना दल (एस) के प्रति उतना जोश नहीं।

असंतोष कितना है इसे चकिया में

पान बेचने वाले राम अवध की बातों से भांपा जा सकता है। वह कहते हैं कि 'भाजपा यहां से हारेगी तो सिर्फ प्रत्याशी के कारण।' घोरावल के सुकृत में रेस्टोरेंट खोले संतोष कुमार कहते हैं कि 'मोदी-योगी के करे -कराए पर पकौड़ी लाल की खराब जुबान पानी फेर रही है।'

ओबरा के चोपन में पान की दुकान पर खड़े दिलीप देव पांडेय व प्रमोद व मुकेश मोदनवाल भी पकौड़ी से नाराजगी जताते हुए सवर्णों के आंकड़े पेशकर दावा करते हैं कि इस बार मतदान कम रहेगा या फिर नोटा दबेगा।

कप प्लटे से भड़के लोग

कहते हैं कि 'पार्टी वाले भले ही खुल कर न बोलें, लेकिन वे भी नहीं चाहते कि अपना दल यहां जड़ें जमा ले।' रेनूकूट के मुर्धवा के कमलेश सिंह पटेल, विनोद व राजन कहते हैं कि 'इस बार तो लोग 'कप-प्लेट' से भड़के हैं।'

दुद्धी के नगवां के हरिकिशन खरवार भी पकौड़ी को नहीं चाहते, लेकिन मोदी के हाथों को मजबूत करने की मजबूरी बताते हैं। राबर्ट्सगंज के कोन क्षेत्र में सोन नदी किनारे नकतवार के मल्लाह कहते हैं कि 'उनके नेता संजय निषाद के कहने पर कप-प्लेट का साथ देंगे।'

मोदी-योगी की योजनाओं का असर

वहीं दुर्गम इलाकों में बेहद कठिन जीवन गुजारने वालों के बीच मोदी-योगी सरकार की लाभार्थी योजनाओं का काफी हद तक असर दिखाई देता है। ज्यादातर मुफ्त राशन मिलने की बात स्वीकारते हैं, लेकिन यह वोटों में कितना बदलेगा, कहा नहीं जा सकता।

हालांकि, रविवार को मोदी द्वारा यह कहना कि 'मेरा बचपन कप प्लेट धोते-धोते बीता' और 'एमपी ही नहीं उन्हें पीएम चुनना है' लोगों पर असर डालते दिख रहा है। एनडीए नेताओं की कोशिश है कि मोदी के इस बयान को क्षेत्र में 'खूब फैलाया जाए ताकि गांव के मतदाताओं को भी यह पता हो जाए कि यहां मोदी के लिए 'कमल' नहीं 'कप-प्लेट' का बटन दबाना है।

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