Lok Sabha Election 2019: काका हाथरसी की जन्मभूमि इस बार किसके साथ?
दूसरे चरण के तहत उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर चुनाव संपन्न हो गए। पश्चिमी यूपी की खास सीट हाथरस पर भाजपा और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। पढ़ें रिपोर्ट...
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Lok Sabha Election 2019 में यदि किसी को दिल्ली तक पहुंचना है तो उसका रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। दूसरे चरण के तहत यूपी की आठ सीटों पर चुनाव संपन्न हो गए। पश्चिमी यूपी की खास सीट हाथरस पर भाजपा और महागठबंधन के बीच टक्कर देखी जा रही है। काका हाथरसी की जन्मभूमि पर पिछले दो दशक से भाजपा का वर्चस्व रहा है, लेकिन इस बार देखना है कि जाट लैंड का यह ऊंट किस करवट बैठता है।
भाजपा के सामने दोहरी चुनौती
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस लोकसभा चुनाव में नया प्रयोग देखने को मिल रहा है, जब सपा और बसपा एक साथ मिलकर भाजपा को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। हाथरस की सीट पर जाट-मुस्लिम बाहुल्य हैं, ऐसे में सपा और बसपा के साथ आने से मुस्लिम वोटों में बिखराव होने की कम संभवाना है। वहीं, महागठबंधन में आरएलडी के शामिल होने से जाट वोटों पर भी इसका असर दिख सकता है। भाजपा ने इस बार चुनौतियों को देखते हुए वर्तामान सांसद राजेश कुमार दिवाकर का टिकट काटकर राजवीर दिलेर पर भरोसा दिखाया है। राजवीर के पिता कृष्ण लाल दिलेर, इस सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। दिलेर को चुनौती देने के लिए महागठबंधन की ओर से रामजी लाल सुमन चुनावी समर में हैं। कांग्रेस ने इस सीट से त्रिलोकी राम को टिकट दिया, जिसका फायदा भाजपा को मिल सकता है।
भाजपा का रहा वर्चस्व
जाट लैंड की इस सीट पर पिछले दो दशक से भाजपा का वर्चस्व रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर राजेश कुमार दिवाकर ने बसपा के उम्मीदवार को तीन लाख से अधिक वोटों से हराया। इससे पहले 2009 में आरएलडी और भाजपा गठबंधन की उम्मीदवार सारिका बघेल संसद पहुंची। 1996-2004 तक यहां से लगातार कृष्ण लाल दिलेर लगातार सांसद रहे। भाजपा को इस बार उनके बेटे से यह उम्मीद है कि वह पार्टी की नैया पार लगाएंगे।
विधानसभा में भाजपा का पलड़ा था भारी
विधानसभा के लिए 2017 में हुए चुनावों में भाजपा का पलड़ा भारी रहा था। हाथरस लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा छर्रा, इगलास, हाथरस, सादाबाद और सिकंदरा राऊ सीटें आती हैं। विधानसभा चुनाव में सिर्फ सादाबाद में बसपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि बाकी अन्य चार सीटों पर बीजेपी का ही कब्जा है।