Lok Sabha Election 2019 : शरद पवार ने सबसे पहले किया था 'हिंदू आतंकवाद’ शब्द का प्रयोग
शरद पवार ने मालेगांव विस्फोट के बाद पुलिस पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि आतंकी घटनाओं में सिर्फ सिमी जैसे मुस्लिम संगठनों की जांच करती है।
मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। Lok Sabha Election 2019 हिंदू संगठनों पर आतंकवाद का ठप्पा लगाने का काम सबसे पहले शरद पवार ने किया था। वह भी 2008 में हुई साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी से ठीक पहले। केंद्रीय गृहमंत्री का पद संभालने वाले पी.चिदंबरम् एवं सुशील कुमार शिंदे ने इसके बाद ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द का प्रयोग किया।
29 सितंबर, 2008 को नासिक के मालेगांव कस्बे में हुए दो विस्फोटों में छह लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हुए थे। इस घटना के छह दिन बाद ही 5-6 अक्टूबर को मुंबई से सटे रायगढ़ जिले के अलीबाग में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन था। इसी अधिवेशन के समापन समारोह में मराठा छत्रप शरद पवार यह कहते हुए पुलिस पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पुलिस आतंकी घटनाओं में सिर्फ सिमी जैसे मुस्लिम संगठनों की जांच करती है, बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों की नहीं।
पवार ने अपने संबोधन में साफ कहा था कि यदि आतंक के लिए मुस्लिमों को निशाने पर लिया जा सकता है, तो सनातन प्रभात और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती ? पवार ने अपने इसी संबोधन में गृह विभाग के अधिकारियों को अपने नजरिए में बदलाव लाने के निर्देश दिए थे और कहा था कि अंततोगत्वा देश की एकता सर्वोपरि है। अन्यथा इसकी कीमत समाज को चुकानी पड़ सकती है।
पवार ने अपने इसी संबोधन में कहा था कि जो भी लोग गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं, चाहें वे बजरंगदल के हों या सिमी के, उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। पवार ने आगे कहा था कि समाज के किसी एक हिस्से पर ही आतंकवादी का ठप्पा लगा देना अच्छे संकेत नहीं हैं। पवार ने संवाददाता सम्मेलनों में पुलिस द्वारा आतंकियों के नाम जाहिर करने पर भी आपत्ति जताई थी।
उन्होंने कहा था कि ऐसा करने से जांच में बाधा पैदा हो सकती है। पवार ने जिस दौरान ये बातें कही थीं, उस दौरान महाराष्ट्र के गृहमंत्री उनकी ही पार्टी के आर.आर.पाटिल थे। स्वयं शरद पवार केंद्र में कृषिमंत्री थे और केंद्रीय गृहमंत्रालय के प्रभारी शिवराज पाटिल थे। राज्य में आर.आर.पाटिल एवं केंद्र में शिवराज पाटिल को अपनी कुर्सी करीब डेढ़ माह बाद हुए 26/11 के हमले के बाद छोड़नी पड़ी थी। पी.चिंदबरम् ने उसके बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय संभाला था।
बता दें कि पवार के इस बयान के अगले दिन, यानी सात अक्टूबर, 2008 को ही मालेगांव कांड की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी सावंत ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को फोन करके उनके नाम से पंजीकृत एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल के बारे में पूछताछ की थी। नासिक एटीएस कोर्ट में दाखिल साध्वी प्रज्ञा के शपथपत्र में कहा गया है कि फोन पर हुई उस बातचीत में ही सावंत ने उन्हें सूरत आने को कहा, जहां साध्वी के माता-पिता रह रहे थे। 10 अक्टूबर को साध्वी सूरत पहुंचीं।
एटीएस अधिकारी सावंत ने वहीं साध्वी को बताया कि उनकी मोटरसाइकिल का इस्तेमाल मालेगांव विस्फोट में हुआ है। तब साध्वी ने सावंत को जानकारी दी कि यह मोटरसाइकिल वह अक्टूबर 2004 में ही मध्यप्रदेश निवासी सुनील जोशी को बेच चुकी हैं। सावंत 10 अक्टूबर को ही साध्वी को उनके एक साथी के साथ मुंबई ले आए, जहां उनसे पूछताछ के दौरान उनपर वो सारे जुल्म हुए, जिनकी चर्चा आजकल साध्वी प्रज्ञा प्रेस के सामने कर रही हैं। उस दौरान हेमंत करकरे ही एटीएस प्रमुख थे।