MP में बिजली संकट: भाजपा पर दोष मढ़ रही कांग्रेस, लोग पूछ रहे राज्य में सरकार किसकी है
Lok Sabha Election 2019 के दौरान MP में परिवर्तन की बयार बह रही और ये केवल चुनाव तक सीमित नहीं है। यहां हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के लोग पूछ रहे हैं कि राज्य में सरकार किसकी है...
भोपाल, आशीष व्यास। मध्य प्रदेश में परिवर्तन की बयार है। बात चुनाव की ही हो रही है, लेकिन इसे सिर्फ उम्मीदवारों के चेहरे और राजनीतिक समीकरणों के दायरे में बांधकर मत देखिए। दरअसल, यह परिवर्तन मौसम में भी है। इस बार अप्रैल में ही बेहिसाब गर्मी आ धमकी है। सूरज आग उगल रहा है और कहीं-कहीं पारा 47 डिग्री तक पहुंच गया है। ऐसे में बिजली कटौती लोगों के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है। राज्य की कांग्रेस सरकार इसके लिए भाजपा पर दोष मढ़ रही है। ऐसे में अब लोग पूछने लगे हैं कि आखिर प्रदेश में सरकार किसकी है?
इसी माहौल के बीच सोमवार को एक ओर बड़ा परिवर्तन मतदान को लेकर भी नजर आया। भीषण गर्मी में भी मध्य प्रदेश के सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिले के लोगों ने जमकर मतदान किया। राज्य में पहले चरण में 74 फीसद मतदान हुआ है। यह राजस्थान, ओडिशा, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में हुए मतदान से ज्यादा है। नक्सली माने जाने वाले बालाघाट जैसे इलाके में 76.96 फीसद मतदान हुआ, जो पिछले लोकसभा के मुकाबले 8.75 फीसद ज्यादा है।
वहीं, मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृहनगर छिंदवाड़ा ने मतदान में तीन फीसद की बढ़ोत्तरी करते हुए नया रिकॉर्ड कायम किया। यह तो सिर्फ ट्रायल है, अभी 45 जिलों में रिकॉर्ड बनना बाकी है। मौसम ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़कर ताल ठोकी तो मतदाताओं ने भी 11 फीसद ज्यादा मतदान कर सुर में सुर मिलाया है। उधर, पहले चरण के मतदान के पहले 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबलपुर में थे। आयकर छापों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा- कांग्रेस के लिए भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार हो गया है। मुख्यमंत्री के करीबियों के यहां पिछले दिनों हुई आयकर विभाग की कार्रवाई इस बयान के साथ ही एक बार फिर चर्चा में आ गई। बात यहीं खत्म नहीं हुई, जाते-जाते मोदी यह भी कह गए कि यदि मोदी कुछ गलत करे, तो उसके घर भी छापा डालो। दरअसल, कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने की तैयारी में है कि केंद्र सरकार ने चुनाव के पहले दिल्ली से आयकर विभाग की टीम भेजकर चुनावी फायदा लेने के लिए कार्रवाई की। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने इसके जवाब में ही ऐसा पासा फेंका कि विपक्ष अब तक कोई नया सवाल नहीं ला पाया है।
भोपाल से लोकसभा चुनाव की प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर को अभी तक सभी ने गरजते-बरसते ही सुना व देखा था। जब से उम्मीदवारी घोषित हुईं, उस वक्त से लगभग रोजाना उनके बयानों से बवाल ही मच रहा था। लेकिन हाल ही में उनका एक और चेहरा सामने आया। प्रचार के दौरान वह केंद्रीय मंत्री उमा भारती से मिलने उनके भोपाल स्थित निवास पर पहुंचीं। उमा भारती ने उनका स्वागत किया, मुंह भी मीठा कराया। जब विदाई लेने का समय आया तो प्रज्ञा ठाकुर उनसे लिपटकर रो पड़ीं। उमा ने उनके आंसू पोंछे और फिर विदा किया। 30 सेकंड के इस दृश्य को वहां मौजूद सभी लोगों ने कैमरे में कैद किया। इसी के साथ तेज तर्रार साध्वी का भावुक पक्ष भी पहली बार मीडिया के सामने आया।
दरअसल, पिछले दिनों उमा भारती ने साध्वी प्रज्ञा की तुलना में खुद को मूर्ख प्राणी बताया था। इसके बाद से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि साध्वी प्रज्ञा की उपस्थिति से उमा भारती असंतुष्ट हैं। हालांकि, इस भावुक मुलाकात ने एक ऐसे राजनीतिक कयास को वनवास भेज दिया, जिस पर कांग्रेस उम्मीद लगाए बैठी थी। सरप्लस बिजली वाले मध्य प्रदेश में अब जैसे ही बिजली कटौती शुरू होती है, कांग्रेस को करंट लग जाता है। शिकायत हो गई।जांच हो गई। यहां तक की कार्रवाई भी कर दी गई, लेकिन बिजली संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है।
ऐसा नहीं है कि मुद्दा बन चुकी यह समस्या चुनाव की देन है। जब से कांग्रेस सरकार आई है, तभी से यह धारणा बन रही है (या बनाई जा रही है) कि प्रदेश में दोबारा बिजली कटौती शुरू हो गई है। इन आशंकाओं को बल तब मिलता है, जब छिंदवाड़ा में मुख्यमंत्री के बंगले की बिजली भी चली जाती है। राजनीतिक आरोप झेलती कमलनाथ सरकार ने आनन-फानन में सैकड़ों कर्मचारी-अधिकारी सस्पेंड कर दिए। लंबी-चौड़ी कार्रवाई भी हो गई, लेकिन फॉल्ट कहां पर है, यह अभी तक पकड़ में नहीं आया।
विरोध और विवाद की राजनीतिक बयानबाजी के बीच हद तो तब हो गई, जब सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा में मतदान करने पहुंचे और उसी समय बिजली चली गई। उन्हें मोमबत्ती की रोशनी में मतदान करना पड़ा। प्रदेश सरकार और कांग्रेस की बात मानें तो यह भाजपा की साजिश है। यदि मान भी लिया जाए कि उनकी आशंका सही है तो भी यह चिंताजनक ही है। क्योंकि, सत्ता में बैठे शासन का यदि एक विभाग पर ही नियंत्रण नहीं है, तो पूरे प्रदेश की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसीलिए, प्रदेश की राजनीति के जानकार खिलाड़ी अब इस तर्क-कुतर्क से सवाल पूछ रहे हैं कि मध्य प्रदेश में सरकार किसकी है?